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रोमियों 9:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इस सम्‍बन्‍ध में हम क्‍या कहें? क्‍या परमेश्‍वर अन्‍याय करता है? कदापि नहीं!

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पवित्र बाइबल

तो फिर हम क्या कहें? क्या परमेश्वर अन्यायी है?

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Hindi Holy Bible

सो हम क्या कहें क्या परमेश्वर के यहां अन्याय है? कदापि नहीं!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

इसलिये हम क्या कहें? क्या परमेश्‍वर के यहाँ अन्याय है? कदापि नहीं।

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नवीन हिंदी बाइबल

तो हम क्या कहें? क्या परमेश्‍वर के यहाँ अन्याय है? कदापि नहीं!

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सरल हिन्दी बाइबल

तब इसका मतलब क्या हुआ? क्या इस विषय में परमेश्वर अन्यायी थे? नहीं! बिलकुल नहीं!

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तो हम क्या कहें? क्या परमेश्वर के यहाँ अन्याय है? कदापि नहीं!

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रोमियों 9:14
18 क्रॉस रेफरेंस  

तू ऐसा कार्य करने से सदा दूर रहे कि दूराचारियों के साथ धार्मिक भी मारे जाएँ। धार्मिकों की दशा दुराचारियों के सदृश हो, यह कार्य तुझसे कभी न हो। क्‍या सारी पृथ्‍वी का न्‍यायाधीश उचित न्‍याय न करेगा?’


इसलिए, तुममें प्रभु का भय हो। जो भी प्रशासनिक काम करो, उसको सोच-समझकर करो; क्‍योंकि हमारा प्रभु परमेश्‍वर न तो अन्‍यायी है, और न पक्षपाती, और न वह घूसखोर है।’


‘क्‍या तुम इस बात को न्‍यायसंगत समझते हो? क्‍या तुम यह दावा करते हो कि तुम परमेश्‍वर से अधिक धार्मिक हो?


भाई, क्‍या परमेश्‍वर न्‍याय को अन्‍याय में बदल देता है? क्‍या सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर, धर्म को अधर्म में उलट देता है?


प्रभु अपने समस्‍त आचरण में धार्मिक, और अपने सब कार्यों में करुणामय है।


जिससे वे यह घोषित कर सकें कि प्रभु सच्‍चा है; वह हमारी चट्टान है; उसमें लेशमात्र भी अधार्मिकता नहीं है।


मैं तुझसे क्‍यों वाद-विवाद करूं? क्‍योंकि तू धार्मिक है, और तेरा न्‍याय सच्‍चा है। फिर भी, हे प्रभु, मैं तेरे सम्‍मुख अपनी शिकायत पेश करूंगा; दुर्जन अपने काम में सफल क्‍यों होते हैं? विश्‍वासघाती सुख-चैन से क्‍यों रहते हैं?


वह आ कर उन किसानों का वध करेगा और अपना अंगूर-उद्यान दूसरों को दे देगा।”


क्‍योंकि परमेश्‍वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।


किन्‍तु तुम अपने इस हठ और अपने हृदय के अपश्‍चात्ताप के कारण कोप के दिन के लिए अपने विरुद्ध कोप का संचय कर रहे हो, जब परमेश्‍वर का निष्‍पक्ष न्‍याय प्रकट होगा।


तो दूसरों की अपेक्षा यहूदी को अधिक क्‍या मिला? और खतने से क्‍या लाभ?


हम क्‍या कहें? इसका निष्‍कर्ष यह है कि गैर-यहूदियों ने, जो धार्मिकता की खोज में नहीं लगे हुए थे, धार्मिकता, अर्थात् विश्‍वास पर आधारित धार्मिकता प्राप्‍त की।


‘प्रभु चट्टान है। उसका शासन-कार्य सिद्ध है; क्‍योंकि उसके समस्‍त मार्ग न्‍यायपूर्ण हैं। वह सच्‍चा परमेश्‍वर है, उसमें पक्षपात नहीं, वह निष्‍पक्ष न्‍यायी और निष्‍कपट है।


और मैंने वेदी को यह कहते सुना, “सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर! तेरे निर्णय वास्‍तव में सच्‍चे और न्‍यायसंगत हैं।”