प्रभु की स्तुति करो! धन्य है, वह मनुष्य जो प्रभु का भय मानता है, जो उसकी आज्ञाओं से बहुत प्रसन्न होता है।
रोमियों 4:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इसी तरह दाऊद उस मनुष्य को धन्य कहते हैं, जिसे परमेश्वर कर्मों के अभाव में भी धार्मिक मानता है : पवित्र बाइबल ऐसे ही दाऊद भी उसे धन्य मानता है जिसे कामों के आधार के बिना ही परमेश्वर धर्मी मानता है। वह जब कहता है: Hindi Holy Bible जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाउद भी धन्य कहता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है : नवीन हिंदी बाइबल उसी प्रकार दाऊद भी उस मनुष्य को धन्य कहता है जिसे परमेश्वर कर्मों के बिना धर्मी गिनता है : सरल हिन्दी बाइबल जैसे दावीद ने उस व्यक्ति की धन्यता का वर्णन किया है, जिसे परमेश्वर ने व्यवस्था का पालन न करने पर भी धर्मी घोषित किया: इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है: |
प्रभु की स्तुति करो! धन्य है, वह मनुष्य जो प्रभु का भय मानता है, जो उसकी आज्ञाओं से बहुत प्रसन्न होता है।
तेरे विरुद्ध बनाया गया कोई भी शस्त्र सफल न होगा; जो साक्षी न्यायालय में तेरे विरुद्ध प्रस्तुत होगी, तू उसको निरस्त करने में सफल होगी। यह प्रभु के सेवकों की नियति है, मैं उनको विजय प्रदान करता हूं।’ प्रभु यह कहता है।
यहूदा के राजा के राजमहल के सम्बन्ध में प्रभु यह कहता है : ‘तू मेरे लिए गिलआद के सदृश प्रिय और लबानोन पर्वत के शिखर के सदृश सुन्दर था; किन्तु अब मैं तुझको मरुस्थल बना दूंगा, तुझको उजाड़ नगर-जैसा निर्जन कर दूंगा।
उस के समय में यहूदा प्रदेश सुरक्षित रहेगा, और यरूशलेम नगर निश्चिंत निवास करेगा। उसका यह नाम होगा, “प्रभु हमारा धर्म है।”
“तेरी कौम और तेरे पवित्र नगर के लिए वर्षों के सत्तर सप्ताह निश्चित किए गए हैं। इन वर्षों के व्यतीत होने में सब प्रकार के अपराध समाप्त हो जाएँगे, पाप का अन्त हो जाएगा, अधर्म का प्रायश्चित कराया जाएगा, धार्मिकता शाश्वत बना दी जाएगी, दर्शन और नबूवत सत्य प्रमाणित होगी और “परम पवित्र’ को अभ्यंजित किया जाएगा।
शुभ समाचार में परमेश्वर की धार्मिकता, जो आदि से अन्त तक विश्वास पर आधारित है, प्रकट हो रही है, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है : “धार्मिक मनुष्य विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा”
इसलिए किसी को अपने पर गर्व करने का अधिकार नहीं रहा। किस विधान के कारण यह अधिकार जाता रहा? यह कर्मकाण्ड के विधान के कारण नहीं, बल्कि विश्वास के विधान के कारण हुआ;
बेखतने रहते समय उन को विश्वास द्वारा जो धार्मिकता प्राप्त हुई थी, उस पर मुहर की तरह खतने का चिह्न लगाया गया। इस प्रकार वह उन सब के भी पिता बने, जो खतना कराये बिना विश्वास करते हैं, जिससे उनका भी विश्वास उनके लिए धार्मिकता माना जाये।
बल्कि हम से भी सम्बन्ध रखता है। यदि हम परमेश्वर में विश्वास करेंगे, जिसने हमारे प्रभु येशु को मृतकों में से जिलाया, तो हम भी विश्वास के कारण धार्मिक माने जायेंगे।
जो कर्म नहीं करता, किन्तु उस में विश्वास करता है, जो अधर्मी को धार्मिक बनाता है तो उसका यह विश्वास धार्मिकता माना जाता है।
क्या यह धन्यता खतने वाले यहूदियों से ही सम्बन्ध रखती है, या गैर-यहूदी लोगों से भी? देखिए, हम कहते हैं : “अब्राहम का विश्वास उनके लिए धार्मिकता माना गया है।”
उसी परमेश्वर के वरदान से आप लोग येशु मसीह के अंग बन गये हैं। परमेश्वर ने मसीह को हमारा ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और पापमुक्ति बना दिया है।
मसीह, जो आप से अपरिचित ही थे, उनको परमेश्वर ने हमारे लिए पाप बना दिया, जिससे हम उनके द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त कर सकें।
यह इसलिए हुआ कि येशु मसीह के द्वारा अब्राहम का आशीर्वाद गैर-यहूदियों को भी प्राप्त हो और हमें विश्वास द्वारा वह आत्मा मिले, जिसकी प्रतिज्ञा की गयी थी।
उस समय आप लोग अपने को धन्य समझते थे। अब आप लोगों का वह मनोभाव कहाँ गया? मैं आप के विषय में यह कह सकता हूँ कि यदि सम्भव होता, तो आप अपनी आँखें निकाल कर मुझे दे देते!
धन्य है परमेश्वर, हमारे प्रभु येशु मसीह का पिता! उसने मसीह द्वारा हम लोगों को स्वर्ग के हर प्रकार के आध्यात्मिक वरदान प्रदान किये हैं।
ओ इस्राएल, तू धन्य है! तेरे सदृश और कौन जाति है, जिसका प्रभु ने उद्धार किया है? वह तेरी सहायता के लिए ढाल, और विजय-प्राप्ति के हेतु तलवार है! तेरे शत्रु तेरी ठकुर-सुहाती करेंगे, पर तू उनके पहाड़ी शिखर के पूजा-स्थलों को रौंद देगा।’
और उनके साथ पूर्ण रूप से एक हो जाऊं। मुझे अपनी धार्मिकता का नहीं, जो व्यवस्था के पालन से मिलती है, बल्कि उस धार्मिकता का भरोसा है, जो मसीह में विश्वास करने से मिलती है। उस धार्मिकता का उद्गम परमेश्वर है और उसका आधार विश्वास है।
परमेश्वर ने हमारा उद्धार किया और हमें पवित्र जीवन बिताने के लिए बुलाया है। उसने हमारे किसी पुण्य के कारण नहीं, बल्कि अपने उद्देश्य तथा अपनी कृपा के कारण ऐसा किया है। वह कृपा अनादि काल से येशु मसीह द्वारा हमें प्राप्त थी,
और ऐसे मनुष्य से कोई कह सकता है, “तुम विश्वास करते हो, किन्तु मैं उसके अनुसार आचरण करता हूँ। मुझे अपना विश्वास दिखाओ जिस पर तुम नहीं चलते और मैं अपने आचरण द्वारा तुम्हें अपने विश्वास का प्रमाण दूँगा।”
येशु मसीह के सेवक और प्रेरित शिमोन पतरस का यह पत्र उन लोगों के नाम है, जिन्हें हमारे परमेश्वर और मुक्तिदाता येशु मसीह की धार्मिकता द्वारा हमारे ही समान विश्वास का बहुमूल्य वरदान मिला है।