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याकूब 3:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

धार्मिकता शान्‍ति के क्षेत्र में बोयी जाती है और शान्‍ति स्‍थापित करने वाले उसका फल प्राप्‍त करते हैं।

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पवित्र बाइबल

शांति के लिए काम करने वाले लोगों को ही धार्मिक जीवन का फल प्राप्त होगा यदि उसे शांतिपूर्ण वातावरण में बोया गया है।

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Hindi Holy Bible

और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मिलाप कराने वाले धार्मिकता का फल मेलमिलाप के साथ बोते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

और मेल करानेवाले धार्मिकता का फल मेल-मिलाप के साथ बोते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

मेल-मिलाप कराने वाला व्यक्ति शांति के बीज बोने के द्वारा धार्मिकता की उपज इकट्ठा करते है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और मिलाप करानेवालों के लिये धार्मिकता का फल शान्ति के साथ बोया जाता है। (यशा. 32:17)

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याकूब 3:18
13 क्रॉस रेफरेंस  

वे वृद्धावस्‍था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं,


दुर्जन की कमाई मिथ्‍या है; पर धार्मिकता का बीज बोनेवाला मनुष्‍य निश्‍चय ही सच्‍चा फल प्राप्‍त करता है।


अपनी धन-सम्‍पत्ति पर भरोसा करनेवाला सूखे पत्ते के समान झड़ जाता है; पर धार्मिक मनुष्‍य नए पत्ते के समान लहलहाता है।


धार्मिक व्यक्‍ति के आचरण का फल है: जीवन वृक्ष! पर दुष्‍कर्मी के कार्य का फल है: हिंसा!


अपनी भलाई के लिए धार्मिकता के बीज बोओ, तब करुणा की फसल काटोगे। अपनी परती भूमि को जोतो। प्रभु को ढूंढ़ने का यह समय है, जिससे वह तुम्‍हारे पास आए, और तुम पर धार्मिकता की वर्षा करे।


क्‍या घोड़े चट्टानों पर दौड़ते हैं? क्‍या बैलों से समुद्र पर हल चलाया जाता है? परन्‍तु तुमने न्‍याय-व्‍यवस्‍था को जहर, और धर्म को चिरायता-सा कड़ुवा बना दिया है।


धन्‍य हैं वे, जो मेल-मिलाप कराते हैं; क्‍योंकि वे परमेश्‍वर की संतान कहलाएँगे।


अब काटने वाला मजदूरी प्राप्‍त कर शाश्‍वत जीवन के लिए फल संग्रह कर रहा है, जिससे बोने वाला और काटने वाला, दोनों मिल कर आनन्‍द मनाएँ;


जो अपनी शारीरिक प्रवृत्ति के लिए बोता है, वह शरीर की भूमि में विनाश की फसल काटेगा; किन्‍तु जो पवित्र आत्‍मा के लिए बोता है, वह पवित्र आत्‍मा की भूमि में शाश्‍वत जीवन की फसल काटेगा।


और परमेश्‍वर की महिमा तथा प्रशंसा के लिए उस धार्मिकता से परिपूर्ण होंगे, जो येशु मसीह के द्वारा ही फलती-फूलती है।


कोई भी अनुशासन, अनुशासन की अवधि में सुखद नहीं, दु:खद प्रतीत होता है; किन्‍तु जो ताड़ना-प्रताड़ना द्वारा प्रशििक्षत होते हैं, वे बाद में धार्मिकता का शान्‍तिप्रद फल प्राप्‍त करते हैं।


क्‍योंकि मनुष्‍य का क्रोध उस धार्मिकता में सहायक नहीं होता, जिसे परमेश्‍वर चाहता है।