प्रभु ने अपने निज लोगों के लिए उद्धार भेजा; उसने सदैव के लिए अपना विधान स्थापित किया। उसका नाम पवित्र और आतंकमय है!
याकूब 2:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्या वे उस सुन्दर नाम की निन्दा नहीं करते, जिस से आप पुकारे जाते हैं? पवित्र बाइबल क्या ये वे ही नहीं हैं, जो मसीह के उस उत्तम नाम की निन्दा करते हैं, जो तुम्हें दिया गया है? Hindi Holy Bible क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिस के तुम कहलाए जाते हो? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिसके तुम कहलाते हो? नवीन हिंदी बाइबल क्या वे उस उत्तम नाम की निंदा नहीं करते जिसके तुम कहलाते हो? सरल हिन्दी बाइबल क्या ये ही उस सम्मान योग्य नाम की निंदा नहीं कर रहे, जो नाम तुम्हारी पहचान है? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्या वे उस उत्तम नाम की निन्दा नहीं करते जिसके तुम कहलाए जाते हो? |
प्रभु ने अपने निज लोगों के लिए उद्धार भेजा; उसने सदैव के लिए अपना विधान स्थापित किया। उसका नाम पवित्र और आतंकमय है!
तुम भिन्न-भिन्न इत्र लगाए हो, उनकी महक कितनी तेज है। तुम्हारा नाम मानो उण्डेला हुआ इत्र है, इसलिए कन्याएँ तुमसे प्रेम करती हैं।
ये सब मेरे नाम से आराधना करते हैं, इनको मैंने अपनी महिमा के लिए रचा है, इनको मैंने गढ़ा है, इनको मैंने बनाया है।”
मेरे मनोनीत लोग तुम्हारे नाम से शाप देंगे। मैं स्वामी, उनका प्रभु, तुम्हारा वध करूंगा। मैं अपने मनोनीत लोगों का एक दूसरा नाम रखूंगा।
अत: स्वयं स्वामी तुम्हें एक संकेत-चिह्न देगा: देखो, एक कन्या गर्भवती होगी और वह एक पुत्र को जन्म देगी। वह उसका नाम ‘इम्मानुएल’ रखेगी।
उस के समय में यहूदा प्रदेश सुरक्षित रहेगा, और इस्राएल प्रदेश निश्चिंत निवास करेगा। वह इस नाम से प्रसिद्ध होगा “प्रभु हमारा धर्म है।” ’
“देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी, और उसका नाम ‘इम्मानुएल’ रखा जाएगा” − जिसका अर्थ है, “परमेश्वर हमारे साथ है।”
यह सुन कर फरीसियों ने कहा, “यह भूतों के नायक बअलजबूल की सहायता से भूतों को निकालता है।”
और बोले, “श्रीमान! हमें याद है कि उस धोखेबाज ने अपने जीवनकाल में कहा था कि मैं तीन दिन बाद जी उठूँगा।
और जब वह उन्हें मिले तो वह शाऊल को अन्ताकिया ले आये। वे दोनों पूरे एक वर्ष तक वहाँ की कलीसिया के साथ रहे और बहुत-से लोगों को शिक्षा देते रहे। सब से पहले अन्ताकिया में ही येशु के शिष्य ‘मसीही’ कहलाए।
जिससे मानव-जाति के शेष लोग, अर्थात् सभी जातियाँ जिनको अपनाने के लिए मैंने उन्हें अपना नाम दिया है, प्रभु की खोज में लगे रहें। यह कथन उस प्रभु का है
मैं उन्हें प्रत्येक सभागृह में बार-बार दण्ड दिला कर येशु की निन्दा के लिए बाध्य करने का प्रयत्न करता था। मैं उनके प्रति क्रोध में इतना पागल हो गया था कि मैं विदेशी नगरों में भी जा कर उन को सताता था।
किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं है; क्योंकि समस्त संसार में मनुष्यों को कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है।”
मैं तो पहले ईश-निन्दक, अत्याचारी और उद्दण्ड था; किन्तु मुझ पर दया की गयी है, क्योंकि अविश्वास के कारण मैं यह नहीं जानता था कि मैं क्या कर रहा हूँ।
परन्तु यदि किसी को मसीही होने के नाते दु:ख भोगना पड़े, तो उसे लज्जित नहीं होना चाहिए, बल्कि वह परमेश्वर की महिमा के लिए इस नाम को स्वीकार करे;