फिर भी पहाड़ी शिखर की वेदियां नहीं तोड़ी गईं। लोग उन पर पशु-बलि चढ़ाते और सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते रहे। योताम ने प्रभु के भवन का ऊपरवाला द्वार फिर से बनवाया था।
यहेजकेल 9:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसी क्षण उत्तर दिशा के उपरले दरवाजे की ओर से छ: जल्लाद निकले। वध करने के लिए हर एक के हाथ में एक घातक हथियार था। उसके साथ एक लिपिक भी था। वह सूती वस्त्र पहिने था, और उसकी कमर में कलम-दवात लटक रही थी। जल्लाद भीतर गए, और पीतल की वेदी के बाजू में खड़े हो गए। पवित्र बाइबल तब मैंने ऊपरी द्वार से छ: व्यक्तियों को सड़क पर आते देखा। यह द्वार उत्तर की ओर है। हर एक व्यक्ति अपने घातक शस्त्र को अपने हाथ में लिये था। उन व्यक्तियों में से एक ने सूती वस्त्र पहन रखा था। उसके पास कमर में लिपिक की एक कलम और स्याही थी। वे लोग मन्दिर से काँसे की वेदी के पास गए और वहाँ खड़े हुए। Hindi Holy Bible इस पर छ: पुरुष, उत्तर की ओर ऊपरी फाटक के मार्ग से अपने अपने हाथ में घात करने का हथियार लिए हुए आए; और उनके बीच सन का वस्त्र पहिने, कमर में लिखने की दवात बान्धे हुए एक और पुरुष था; और वे सब भवन के भीतर जा कर पीतल की वेदी के पास खड़े हुए। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इस पर छ: पुरुष, उत्तर की ओर ऊपरी फाटक के मार्ग से अपने अपने हाथ में घात करने का हथियार लिए हुए आए; और उनके बीच सन का वस्त्र पहिने, कमर में लिखने की दवात बाँधे हुए एक और पुरुष था; और वे सब भवन के भीतर जाकर पीतल की वेदी के पास खड़े हुए। सरल हिन्दी बाइबल और मैंने देखा कि उत्तर की तरफ खुलनेवाले ऊपरी द्वार की दिशा से छः पुरुष चले आ रहे हैं, और उनमें से हर एक के हाथ में एक-एक घातक हथियार है. उनमें से एक व्यक्ति मलमल का कपड़ा पहने हुए था, जिसके बगल में लेखन सामग्री का एक झोला था. वे भीतर आए और कांस्य-वेदी के बाजू में खड़े हो गए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इस पर छः पुरुष, उत्तर की ओर ऊपरी फाटक के मार्ग से अपने-अपने हाथ में घात करने का हथियार लिए हुए आए; और उनके बीच सन का वस्त्र पहने, कमर में लिखने की दवात बाँधे हुए एक और पुरुष था; और वे सब भवन के भीतर जाकर पीतल की वेदी के पास खड़े हुए। |
फिर भी पहाड़ी शिखर की वेदियां नहीं तोड़ी गईं। लोग उन पर पशु-बलि चढ़ाते और सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते रहे। योताम ने प्रभु के भवन का ऊपरवाला द्वार फिर से बनवाया था।
योताम ने प्रभु के भवन का ऊपरवाला द्वार फिर से बनवाया। उसने ओपेल की शहरपनाह पर भी बहुत निर्माण-कार्य किए।
उसने पीतल की एक वेदी बनाई। वह नौ मीटर चौड़ी और नौ मीटर लम्बी थी। वह साढ़े चार मीटर ऊंची थी।
उन्होंने मिलन-शिविर के निवास-स्थान के द्वार पर अग्नि-बलि की वेदी रखी और उस पर अग्नि-बलि तथा अन्न-बलि चढ़ाई; जैसी प्रभु ने मूसा को आज्ञा दी थी।
देख, मैं उत्तर दिशा के सब राज्यों के कुलों को बुला रहा हूं। वे यरूशलेम की सब दीवारों पर, यहूदा प्रदेश के सब नगरों पर आक्रमण करेंगे, और राजधानी यरूशलेम के प्रवेश-द्वारों के सम्मुख अपना-अपना न्यायासन जमाएंगे।
इसलिए मैं उत्तर दिशा में रहनेवाले कबीलों को तथा बेबीलोन के राजा, अपने सेवक नबूकदनेस्सर को भेजूंगा। मैं इस देश पर, इस देश के निवासियों पर तथा इस देश के आसपास के सब राष्ट्रों पर कबीलों तथा नबूकदनेस्सर से आक्रमण कराऊंगा। मैं इन सब को पूर्णत: नष्ट कर दूंगा, और इनको आतंक का कारण बना दूंगा। ये सदा के लिए उजड़ जाएंगे और इनको देखकर अन्य कौमों के लोग व्याकुल हो जाएंगे।
यहूदा प्रदेश के उच्चाधिकारियों ने यह खबर सुनी। वे राजमहल से निकलकर प्रभु के भवन में आए, और वहां मन्दिर के नव प्रवेश-द्वार पर आसन जमा कर बैठ गए। नबी यिर्मयाह का न्याय आरम्भ हुआ।
सियोन के मार्ग पर ध्वजा फहराओ, कि लोगों को रास्ता मालूम हो। नगरों में मत रुको, सुरक्षित स्थानों को भाग जाओ; क्योंकि मैं उत्तर दिशा से महा-विनाशकारी शत्रु को लाऊंगा।
फिर उसने लिपिक से कहा, जो सूती वस्त्र पहिने हुए था, ‘देख, करूबों के नीचे पहिए घूम रहे हैं। तू उनके बीच जा, और करूबों के मध्य से दोनों मुिट्ठयों में जलते हुए अंगारे उठा ला, और उनको यरूशलेम नगर के ऊपर बिखेर दे।’ वह मेरी आंखों के सामने भीतर गया।
तब उस आकृति ने हाथ के समान कुछ बढ़ाया, और मेरे सिर के बालों का गुच्छा पकड़ लिया, और आत्मा ने मुझे आकाश और भूमि के मध्य उठा लिया। वह मुझे परमेश्वर के दर्शन में यरूशलेम ले गया। मैं ने परमेश्वर के दर्शन में यह देखा कि मैं यरूशलेम के मन्दिर के भीतरी आंगन के प्रवेश-द्वार पर खड़ा हूं जो उत्तर दिशा में है, और जहां ‘ईष्र्या की मूर्ति’ का सिंहासन है, और जिसको देखकर ईष्र्या जाग्रत होती है।
उसी समय मैंने देखा कि लिपिक, जिसकी कमर में कलम-दवात लटक रही थी, यह समाचार लाया, ‘प्रभु, जैसा तूने मुझे आदेश दिया था, वैसा ही मैंने कर दिया।’
अब इस्राएल के परमेश्वर का तेज, जो करूबों पर स्थित था, मन्दिर की ड्योढ़ी की ओर उठ गया। उसने लिपिक को जिसकी कमर में कलम-दवात लटक रही थी, पुकारा।
सहसा मैंने अपनी आंखें ऊपर उठाई तो मैंने देखा कि एक पुरुष खड़ा है। वह सन का वस्त्र पहिने हुए है। उसकी कमर में ऊफाज देश के सोने का पटुका बन्धा है।
मैंने नदी के जल के ऊपर खड़े तथा सन के वस्त्र पहिने हुए व्यक्ति से पूछा, “इन आश्चर्यपूर्ण कार्यों के घटित होने में कितना समय शेष है?”
वह सूती वस्त्र का पवित्र अंगरखा पहने हुए, अपने शरीर पर सूती वस्त्र का जांघिया धारण किए हुए, सूती वस्त्र का कटिबन्द कसे हुए और सूती वस्त्र की पगड़ी बांधे हुए प्रवेश करेगा। ये पवित्र वस्त्र हैं। वह जल में स्नान करेगा, और तब उनको पहनेगा।
मैंने प्रभु को वेदी के समीप खड़े हुए देखा। उसने आदेश दिया, ‘खम्भों के शीर्ष पर प्रहार कर ताकि ड्योढ़ियाँ हिलने लगें; तू खम्भों को ध्वस्त कर; उन्हें लोगों के सिर पर गिरा। जो उससे बच जाएंगे, मैं उनको तलवार से मौत के घाट उतारूंगा। उनमें एक भी व्यक्ति नहीं बचेगा। वह प्राण बचाकर भाग न सकेगा।
उस मन्दिर में से सात विपत्तियाँ लिये सात स्वर्गदूत निकले। वे स्वच्छ और उज्ज्वल छालटी पहने थे और उनके वक्षस्थल पर स्वर्ण मेखलाएँ बाँधी हुई थीं।