‘जब तुम चिट्ठी डालकर इस्राएल देश की भूमि का आबंटन अपने विभिन्न कुलों में करोगे, तब भूमि का एक क्षेत्र प्रभु के लिए पवित्र मान कर अलग कर देना: प्रभु के लिए अर्पित भूमि की लम्बाई साढ़े बारह किलोमीटर और चौड़ाई दस किलोमीटर होगी। यह सारा भूमि-क्षेत्र पवित्र माना जाएगा।
इस देश की भूमि तुम आपस में तथा उन प्रवासियों के मध्य बांटना, जो तुम्हारे समाज में रहते हैं, और यहीं रहते हुए उनके बाल-बच्चे उत्पन्न हुए हैं। ऐसे प्रवासियों को तुम अपने समान ही इस्राएल देश का निवासी मानना। वे भी इस्राएल के पितृकुलों के भूमिक्षेत्र में पैतृक अधिकार के लिए भूमि प्राप्त करेंगे।