यहेजकेल 41:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रवेश-द्वार की चौड़ाई पांच मीटर थी। प्रवेश-द्वार के दोनों ओर दीवारें थीं। प्रत्येक दीवार अढ़ाई मीटर चौड़ी थी। इसके पश्चात् उसने मध्यभाग को नापा। मन्दिर के मध्यभाग की लम्बाई बीस मीटर और चौड़ाई दस मीटर निकली। पवित्र बाइबल दरवाजा दस हाथ चौड़ा था। द्वार की बगलें पाँच हाथ हर ओर थीं। उस व्यक्ति ने बाहरी पवित्र स्थान को नापा। यह चालीस हाथ लम्बा और बीस हाथ चौड़ा था। Hindi Holy Bible और द्वार की चौड़ाई दस हाथ की थी, और द्वार की दोनों अलंगें पांच पांच हाथ की थीं; और उसने मन्दिर की लम्बाई माप कर चालीस हाथ की, और उसकी चौड़ाई बीस हाथ की पाई। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) द्वार की चौड़ाई दस हाथ की थी, और द्वार के दोनों ओर की दीवारें पाँच पाँच हाथ की थीं; और उसने मन्दिर की लम्बाई मापकर चालीस हाथ की, और उसकी चौड़ाई बीस हाथ की पाई। सरल हिन्दी बाइबल प्रवेश की चौड़ाई लगभग पांच मीटर, और इससे लगी दोनों तरफ के दीवारों की चौड़ाई लगभग ढाई-ढाई मीटर थी. उसने मुख्य सभागृह को भी नापा; यह लगभग इक्कीस मीटर लंबा और लगभग ग्यारह मीटर चौड़ा था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 द्वार की चौड़ाई दस हाथ की थी, और द्वार की दोनों ओर की दीवारें पाँच-पाँच हाथ की थीं; और उसने मन्दिर की लम्बाई मापकर चालीस हाथ की, और उसकी चौड़ाई बीस हाथ की पाई। |
जो भवन राजा सुलेमान ने प्रभु के लिए बनाया, वह सत्ताइस मीटर लम्बा, नौ मीटर चौड़ा और साढ़े तेरह मीटर ऊंचा था।
उन्होंने प्रभु के भवन की ड्योढ़ी के द्वार बन्द कर दिये थे। उन्होंने उसके दीपक बुझा दिये थे। वे इस्राएली राष्ट्र के परमेश्वर के पवित्र स्थान में उसके लिए न सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते थे, और न उसको अग्नि-बलि अर्पित करते थे।
उसने परमेश्वर के भवन की लम्बाई-चौड़ाई यह रखी: पुरानी नाप के अनुसार भवन सत्ताईस मीटर लम्बा, और नौ मीटर चौड़ा था।
उसने भवन को सोने से मढ़ दिया−उसकी कड़ियों, ड्येढ़ियों, दीवारों और द्वारों पर सोना मढ़ दिया। उसने दीवारों पर करूबों के चित्र खुदवाए।
‘तू तम्बू के द्वार के लिए नीले, बैंजनी और लोहित रंग के वस्त्र से, पतले सूत से बुने हुए वस्त्र से, जिसपर बेल-बूटे काढ़े गए हों, एक परदा बनाना।
उसने तम्बू के प्रवेश-द्वार के लिए भी नीले, बैंजनी और लोहित रंग के वस्त्र से, पतले सूत के बुने हुए वस्त्र से, जिस पर बेल-बूटे काढ़े गए थे, एक परदा बनाया।
फिर वह मुझे मन्दिर के द्वार पर वापस ले गया। वहाँ मैंने यह देखा: मन्दिर की ड्योढ़ी के नीचे से पानी निकल रहा है, और पूर्व की ओर बह रहा है (क्योंकि मन्दिर का मुंह पूर्व दिशा में था)। पानी मन्दिर की दाहिनी ओर नीचे से और वेदी के दक्षिणी ओर से निकल रहा था।
मैं ही द्वार हूँ। यदि कोई मुझ से हो कर प्रवेश करेगा तो उसे मुक्ति प्राप्त होगी। वह भीतर-बाहर आया-जाया करेगा और उसे चरागाह मिलेगा।