गिलआद प्रदेश में तिश्बे नामक एक नगर था। इस नगर के रहनेवाले एलियाह ने अहाब से कहा, ‘जिस इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर के सम्मुख मैं सेवारत रहता हूं, उस जीवंत प्रभु की सौगन्ध! जब तक मैं नहीं कहूंगा, तब तक इन वर्षों में न ओस गिरेगी और न वर्षा होगी।’
तब पतरस ने येशु से कहा, “प्रभु! यह हमारे लिए कितना अच्छा है कि हम यहाँ हैं। आप चाहें, तो मैं यहाँ तीन तम्बू खड़ा करूँ : एक आपके लिए, एक मूसा के लिए और एक एलियाह के लिए।”
वह नबी एलियाह के सदृश आत्मा और सामर्थ्य से सम्पन्न होकर प्रभु का अग्रदूत बनेगा, जिससे वह माता-पिता और उनकी संतान में मेल कराए और आज्ञा-उल्लंघन करने वालों को धार्मिकों की सद्बुद्धि प्रदान करे, और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करे।”
“योहन बपतिस्मादाता के आगमन तक मूसा की व्यवस्था और नबी प्रभावी रहे। अब योहन के आगमन के समय से परमेश्वर के राज्य का शुभ समाचार सुनाया जा रहा है और सब उसमें प्रवेश करने का बलपूर्वक प्रयत्न कर रहे हैं।
येशु ने शिष्यों से कहा, “मैं ने तुम्हारे साथ रहते समय तुम लोगों से कहा था कि जो कुछ मूसा की व्यवस्था में और नबियों के ग्रंथों में तथा भजन-संहिता में मेरे विषय में लिखा है, सब का पूरा होना अनिवार्य है।”
वे पुरुष येशु से विदा हो ही रहे थे कि पतरस ने येशु से कहा, “स्वामी! यह हमारे लिए कितना अच्छा है कि हम यहाँ हैं! हम तीन तम्बू खड़ा करें−एक आपके लिए, एक मूसा के लिए और एक एलियाह के लिए।” उसे पता नहीं था कि वह क्या कह रहा है।
मैं इनके जाति-भाइयों के मध्य से इनके लिए तेरे समान एक नबी को उत्पन्न करूंगा। मैं अपने वचन उसके मुंह में डालूंगा। जो आज्ञा मैं उसे दूंगा, वही वह उन्हें बताएगा।