जब आराधक प्रभु की स्तुति और धन्यवाद में गीत गाते थे, तब उनके स्वर में स्वर मिलाकर ये गायक भी गाते और तुरही बजाने वाले पुरोहित तुरही बजाते थे। इस प्रकार गीत और संगीत में ताल-मेल बैठाना गायकों और इन पुरोहितों का काम था। अत: जब पुरोहित पवित्र स्थान से बाहर निकले, और जब तुरही और झांझ तथा अन्य वाद्य-यन्त्रों पर प्रभु की स्तुति में यह गीत गूंजा : ‘क्योंकि प्रभु भला है, और उसकी करुणा सदा की है,’ तब भवन, प्रभु का भवन एक मेघ से भर गया।
मसीह का वचन अपनी परिपूर्णता में आप लोगों में निवास करे। आप बड़ी समझदारी से एक-दूसरे को शिक्षा और उपदेश दिया करें। आप कृतज्ञ हृदय से परमेश्वर के आदर में भजन, स्तोत्र और आध्यात्मिक गीत गाया करें।