फिलिप्पियों 2:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि आप लोगों के लिए मसीह में सांत्वना, प्रेम से उत्प्रेरणा तथा पवित्र आत्मा की सहभागिता कुछ महत्व रखती हो, यदि हार्दिक अनुराग तथा सहानुभूति का कुछ अर्थ हो, पवित्र बाइबल फिर तुम लोगों में यदि मसीह में कोई उत्साह है, प्रेम से पैदा हुई कोई सांत्वना है, यदि आत्मा में कोई भागेदारी है, स्नेह की कोई भावना और सहानुभूति है Hindi Holy Bible सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) अत: यदि मसीह में कुछ शान्ति, और प्रेम से ढाढ़स, और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करुणा और दया है, नवीन हिंदी बाइबल अतः यदि मसीह में कुछ प्रोत्साहन है, प्रेम का ढाढ़स है, आत्मा की सहभागिता है, स्नेह और करुणा है, सरल हिन्दी बाइबल इसलिये यदि मसीह में ज़रा सा भी प्रोत्साहन, प्रेम से उत्पन्न धीरज, आत्मा की सहभागिता तथा करुणा और कृपा है, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 अतः यदि मसीह में कुछ प्रोत्साहन और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करुणा और दया हो, |
अत: मोआब के लिए मेरा प्राण शोक-संतप्त वीणा के सदृश व्याकुल है; कीर-हेरेस के लिए मेरा हृदय रो रहा है।
उस समय यरूशलेम में शिमोन नामक एक धर्मी तथा भक्त मनुष्य रहता था। वह इस्राएल की सान्त्वना की प्रतीक्षा में था। पवित्र आत्मा उस पर था
“शान्ति मैं तुम को दिए जाता हूँ। अपनी शान्ति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ− जैसे संसार देता वैसे मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल और भयभीत न हो।
“परन्तु अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ। जब तक मैं संसार में हूँ, यह सब कह रहा हूँ जिससे उन्हें मेरा आनन्द पूर्ण रूप से प्राप्त हो।
वे प्रतिदिन मन्दिर में एक भाव से उपस्थित होते, घर-घर में रोटी तोड़ते और निष्कपट हृदय से आनन्दपूर्वक एक साथ भोजन करते थे।
विश्वासियों का समुदाय एक हृदय और एक प्राण था। उनमें कोई भी अपनी सम्पत्ति को अपना नहीं समझता था। जो कुछ उनके पास था, उस में सब का साझा था।
आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है और उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम ही हमारे हृदय में उंडेला गया है।
पवित्र आत्मा भी हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। हम यह नहीं जानते कि हमें कैसे प्रार्थना करना चाहिए, किन्तु आत्मा स्वयं आहें भरकर—जो शब्दों द्वारा प्रकट नहीं की जा सकती हैं—हमारे लिए विनती करता है।
हम यहूदी हों या यूनानी, दास हों या स्वतन्त्र, हम सब-के-सब एक ही आत्मा का बपतिस्मा ग्रहण कर एक ही शरीर बन गये हैं। हम सब को एक ही आत्मा का पान कराया गया है।
हे भाइयो और बहिनो! आप हमारे प्रभु येशु मसीह में मेरे गौरव हैं। मैं आपकी शपथ खा कर कहता हूँ कि मुझे प्रतिदिन मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
क्या आप यह नहीं जानते कि आप परमेश्वर का मन्दिर हैं और परमेश्वर का आत्मा आप में निवास करता है?
परमेश्वर को धन्यवाद, जो हमें निरन्तर मसीह की विजय-यात्रा में ले चलता और हमारे द्वारा अपने नाम के ज्ञान की सुगन्ध सर्वत्र फैलाता है!
आप लोग संतान ही हैं। इसका प्रमाण यह है कि परमेश्वर ने हमारे हृदय में अपने पुत्र का आत्मा भेजा है, जो पुकार कर यह कहता है, “अब्बा! पिता!”
परन्तु पवित्र आत्मा का फल है : प्रेम, आनन्द, शान्ति, सहनशीलता, दयालुता, हितकामना, ईमानदारी,
परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मैं येशु मसीह की करुणा से प्रेरित हो कर आप लोगों को कितना चाहता हूँ।
सच पूछिए तो “खतने वाले” हम हैं; हम परमेश्वर के आत्मा से प्रेरित हो कर उपासना करते हैं और बाह्य प्रथाओं पर नहीं, बल्कि येशु मसीह पर गर्व करते हैं-
जिससे वे हिम्मत न हारें, प्रेम की एकता में बँधे रहें, सुनिश्चित अन्तर्ज्ञान की परिपूर्णता प्राप्त करें और इस प्रकार परमेश्वर के रहस्य के मर्म तक पहुँच जायें। वह रहस्य स्वयं मसीह है,
आप लोग परमेश्वर की पवित्र एवं परमप्रिय चुनी हुई प्रजा हैं। इसलिए आप लोगों को सहानुभूति, अनुकम्पा, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता धारण करनी चाहिए।
वह इन दो अपरिवर्तनीय कार्यों, अर्थात् प्रतिज्ञा और शपथ में, झूठा प्रमाणित नहीं हो सकता। इस से हमें, जिन्होंने परमेश्वर की शरण ली है, यह प्रबल प्रेरणा मिलती है कि हमें जो आशा दिलायी गयी है, हम उसे धारण किये रहें।
जो पिता परमेश्वर के पूर्व-ज्ञान के अनुसार बुलाये गये हैं और पवित्र आत्मा के द्वारा पवित्र किये गये हैं, जिससे वे येशु मसीह की आज्ञा का पालन करें और उनके रक्त से अभिसिंचित हों। आप लोगों को प्रचुर मात्रा में अनुग्रह और शान्ति प्राप्त हो!
जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करता है, वह परमेश्वर में निवास करता है और परमेश्वर उस में। और हम जानते हैं कि वह हम में निवास करता है, क्योंकि उसने हम को अपना आत्मा प्रदान किया है।
परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।
इस प्रकार हम अपने प्रति परमेश्वर का प्रेम जान गये और इस में विश्वास करते हैं। परमेश्वर प्रेम है और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में और परमेश्वर उस में निवास करता है।