तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही बजायी। इस पर मशाल की तरह जलता हुआ एक विशाल नक्षत्र आकाश से गिर पड़ा। वह एक तिहाई नदियों पर और जलस्रोतों पर गिरा।
प्रकाशितवाक्य 9:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इन तीन विपत्तियों द्वारा, अर्थात् आग, धूएँ और गन्धक द्वारा, जो घोड़ों के मुँह से निकल रही थी, एक तिहाई मनुष्यों का वध किया गया। पवित्र बाइबल इन तीन महाविनाशों से यानी उनके मुखों से निकल रही अग्नि, धुआँ और गंधक से एक तिहाई मानव जाति को मार डाला गया। Hindi Holy Bible इन तीनों मरियों; अर्थात आग, और धुएं, और गन्धक से जो उसके मुंह से निकलती थीं, मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इन तीनों महामारियों अर्थात् आग और धुएँ और गन्धक से, जो उनके मुँह से निकलते थे मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई। नवीन हिंदी बाइबल इन तीन महामारियों, अर्थात् उनके मुँह से निकलनेवाली आग, धुएँ और गंधक के द्वारा एक-तिहाई मनुष्य मार डाले गए। सरल हिन्दी बाइबल उनके मुंह से निकल रही तीन महामारियों—आग, गंधक तथा धुएं से एक तिहाई मनुष्य नाश हो गए, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इन तीनों महामारियों; अर्थात् आग, धुएँ, गन्धक से, जो उसके मुँह से निकलते थे, मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई। |
तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही बजायी। इस पर मशाल की तरह जलता हुआ एक विशाल नक्षत्र आकाश से गिर पड़ा। वह एक तिहाई नदियों पर और जलस्रोतों पर गिरा।
नक्षत्र का नाम “नागदौना” है। एक तिहाई जल नागदौना के सदृश कड़वा हो गया और बहुत-से लोग मर गये, क्योंकि जल कड़वा हो गया था।
चौथे स्वर्गदूत ने तुरही बजायी। इस पर एक तिहाई सूर्य, एक तिहाई चन्द्रमा और एक तिहाई नक्षत्रों पर आघात हुआ, जिससे उनका एक तिहाई भाग अन्धकारमय हो गया : दिन के एक तिहाई भाग में प्रकाश नहीं होता था और रात की भी यही दशा थी।
पहले ने तुरही बजायी। इस पर रक्त से मिश्रित ओले एवं आग उत्पन्न हुई और पृथ्वी पर डाली गयी। एक तिहाई पृथ्वी भस्म हो गयी, एक तिहाई वृक्ष भस्म हो गये और सारी हरी घास भस्म हो गयी।
दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही बजायी। इस पर मानो अग्नि से प्रज्वलित एक विशाल पर्वत समुद्र में फेंका गया। एक तिहाई समुद्र रक्त बन गया,
उन चार दूतों के बन्धन खोल दिये गये, जो उसी घड़ी, दिन, महीने और वर्ष के लिए प्रस्तुत थे, जब उन्हें एक तिहाई मनुष्यों का वध करना था।
मुझे उस दृश्य में वे घोड़े और उन पर सवार सैनिक इस प्रकार दीख पड़े : सैनिक अग्नि-जैसे लाल, धूम्रकान्त-जैसे नीले और गन्धक-जैसे पीले कवच पहने हुए थे। घोड़ों के सिर सिंहों के सिर-जैसे थे और उनके मुँह से आग, धूआँ और गन्धक निकल रही थी।
क्योंकि उन घोड़ों का सामर्थ्य उनके मुँह में ही नहीं, उनकी पूँछ में भी था। उनकी पूँछें साँपों के सदृश थीं, जिनके अपने सिर थे और वे उन से भी हानि पहुँचाते थे।