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प्रकाशितवाक्य 9:18 - नवीन हिंदी बाइबल

18 इन तीन महामारियों, अर्थात् उनके मुँह से निकलनेवाली आग, धुएँ और गंधक के द्वारा एक-तिहाई मनुष्य मार डाले गए।

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पवित्र बाइबल

18 इन तीन महाविनाशों से यानी उनके मुखों से निकल रही अग्नि, धुआँ और गंधक से एक तिहाई मानव जाति को मार डाला गया।

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Hindi Holy Bible

18 इन तीनों मरियों; अर्थात आग, और धुएं, और गन्धक से जो उसके मुंह से निकलती थीं, मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 इन तीन विपत्तियों द्वारा, अर्थात् आग, धूएँ और गन्‍धक द्वारा, जो घोड़ों के मुँह से निकल रही थी, एक तिहाई मनुष्‍यों का वध किया गया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 इन तीनों महामारियों अर्थात् आग और धुएँ और गन्धक से, जो उनके मुँह से निकलते थे मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 उनके मुंह से निकल रही तीन महामारियों—आग, गंधक तथा धुएं से एक तिहाई मनुष्य नाश हो गए,

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प्रकाशितवाक्य 9:18
9 क्रॉस रेफरेंस  

तीसरे स्वर्गदूत ने जब तुरही फूँकी, तो एक विशाल तारा मशाल के सदृश्य जलता हुआ आकाश में से टूटा, और एक-तिहाई नदियों और जल के सोतों पर जा गिरा।


उस तारे का नाम नागदौना है, और जल का एक-तिहाई भाग नागदौना जैसा कड़वा हो गया तथा उस जल के कड़वे हो जाने के कारण बहुत से लोग मर गए।


चौथे स्वर्गदूत ने जब तुरही फूँकी तो सूर्य के एक-तिहाई भाग, चंद्रमा के एक-तिहाई भाग और तारों के एक-तिहाई भाग पर प्रहार हुआ, जिससे उनका एक-तिहाई भाग अंधकारमय हो गया और दिन के एक-तिहाई भाग में प्रकाश न रहा और यही दशा रात की भी हुई।


पहले स्वर्गदूत ने जब तुरही फूँकी, तो लहू मिले हुए ओले और आग उत्पन्‍न‍ हुए, जिन्हें पृथ्वी पर फेंक दिया गया; और पृथ्वी का एक-तिहाई भाग और एक-तिहाई पेड़ भस्म हो गए, तथा सारी हरी घास भी जलकर भस्म हो गई।


दूसरे स्वर्गदूत ने जब तुरही फूँकी, तो मानो आग से जलते हुए विशाल पहाड़ जैसी एक वस्तु को समुद्र में फेंक दिया गया; और समुद्र का एक-तिहाई भाग लहू हो गया।


और समुद्र के एक-तिहाई प्राणी मर गए, तथा एक-तिहाई जहाज़ नष्‍ट हो गए।


अतः उन चारों स्वर्गदूतों को खोल दिया गया जिन्हें उस घड़ी, दिन, महीने और वर्ष के लिए तैयार किया गया था, ताकि वे एक-तिहाई मनुष्यों को मार डालें।


इस दर्शन में मुझे घोड़े और उनके सवार इस प्रकार दिखाई दिए : उन सवारों के कवच आग के समान लाल, धूम्रकांत के समान नीले और गंधक के समान पीले थे, और घोड़ों के सिर सिंहों के सिरों के समान थे और उनके मुँह से आग, धुआँ और गंधक निकल रहा था।


उन घोड़ों का बल उनके मुँह और उनकी पूँछों में था। उनकी पूँछें साँपों के समान थीं, और उनमें सिर भी थे। इन्हीं से वे हानि पहुँचाते थे।


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