तुम हिजकियाह की बात मत सुनो! असीरिया देश के महाराज यह कहते हैं : मुझसे समझौता करो। हरएक व्यक्ति नगर से निकलकर मेरे पास आए, और आत्म-समर्पण करे। तब तुम-सब अपने अंगूर-उद्यान का, अपने अंजीर वृक्ष का फल खा सकोगे, और अपने कुएं का पानी पी सकोगे।
नीतिवचन 27:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जो मनुष्य अंजीर के वृक्ष की देखभाल करता है, उसे उसके फल खाने को मिलते हैं। ऐसे ही जो सेवक अपने मालिक की सेवा करता है, मालिक उसका सम्मान करता है। पवित्र बाइबल जो कोई अंजीर का पेड़ सिंचता है, वह उसका फल खाता है। वैसे ही जो निज स्वामी की सेवा करता, वह आदर पा लेता है। Hindi Holy Bible जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है, इसी रीति से जो अपने स्वामी की सेवा करता उसकी महिमा होती है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है, इसी रीति से जो अपने स्वामी की सेवा करता उसकी महिमा होती है। नवीन हिंदी बाइबल जो अंजीर के पेड़ की देखभाल करता है, वह उसका फल खाएगा; और जो अपने स्वामी की सेवा करता है, वह सम्मान पाएगा। सरल हिन्दी बाइबल अंजीर का फल वही खाता है, जो उस वृक्ष की देखभाल करता है, वह, जो अपने स्वामी का ध्यान रखता है, सम्मानित किया जाएगा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है, इसी रीति से जो अपने स्वामी की सेवा करता उसकी महिमा होती है। |
तुम हिजकियाह की बात मत सुनो! असीरिया देश के महाराज यह कहते हैं : मुझसे समझौता करो। हरएक व्यक्ति नगर से निकलकर मेरे पास आए, और आत्म-समर्पण करे। तब तुम-सब अपने अंगूर-उद्यान का, अपने अंजीर वृक्ष का फल खा सकोगे, और अपने कुएं का पानी पी सकोगे।
यहोशाफट ने पूछा, ‘क्या यहां प्रभु का नबी नहीं है, जिसके माध्यम से हम प्रभु से पूछ सकें?’ इस्राएल प्रदेश के एक राज-कर्मचारी ने बताया, ‘यहां एलीशा बेन-शाफट हैं। वह नबी एलियाह के निजी सेवक थे।’
गेहजी भीतर गया और अपने गुरु के सम्मुख खड़ा हुआ। एलीशा ने उससे पूछा, ‘गेहजी, तू कहां गया था?’ उसने उत्तर दिया, ‘आपका सेवक कहीं नहीं गया था।’
किन्तु नामान का कुष्ठ-रोग तुझे और तेरे वंशजों को सदा लगा रहेगा।’ गेहजी उसी क्षण बर्फ के समान सफेद कोढ़ी हो गया। वह एलीशा के सम्मुख से बाहर चला गया।
अत: हामान ने राजसी पोशाक और घोड़ा लिया। उसने मोरदकय को राजसी पोशाक पहनाई, और उसको घोड़े पर बैठाकर नगर के चौक में घुमाया। वह उसके आगे-आगे यह घोषणा करता रहा, ‘जिस व्यक्ति से महाराज प्रसन्न होते हैं और जिसको सम्मान देना चाहते हैं, उसके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है।’
जैसे सेवक की आंखें स्वामी के हाथ पर, जैसे सेविका की आंखें स्वामिनी के हाथ पर, लगी रहती हैं, वैसे ही हमारी आंखें अपने प्रभु परमेश्वर की ओर लगी रहती हैं, जब तक वह हम पर कृपा न करे।
जो संतान अपने माता-पिता के लिए लज्जा का कारण बनती है, उस पर वह सेवक शासन करता है, जो बुद्धि से कार्य करता है। ऐसा सेवक मालिक की पैतृक सम्पत्ति में संतान के साथ बराबर का हिस्सा पाता है।
यदि तुम्हें ऐसा मनुष्य दिखाई दे जो अपने काम में माहिर है, तो समझ जाना कि वह उच्च पद पर नियुक्त होगा, वह साधारण नौकरी नहीं करेगा।
जैसे जल में मुख की परछाई मुख को प्रकट करती है, वैसे ही मनुष्य का मन मनुष्य को प्रकट करता है।
मेरा, मेरे निज का अंगूर-उद्यान मेरे सामने है! ओ सुलेमान, तुम ये हजार सिक्के ले लो, और उसके फल के रखवाले भी दो सौ सिक्के ले लें!’
तुम हिजकियाह की बात मत सुनो। असीरिया देश के राजा यह कहते हैं : मुझसे समझौता करो। हर एक व्यक्ति नगर से निकलकर मेरे पास आए और आत्म-समर्पण करे। तब तुम सब अपने अंगूर-उद्यान का, अपने अंजीर वृक्ष का फल खा सकोगे, अपने कुएं का पानी पी सकोगे।
किन्तु तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने
धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी आने पर जागता हुआ पाएगा! मैं तुम से सच कहता हूँ : स्वामी अपनी कमर कसेगा, उन्हें भोजन के लिए बैठाएगा और एक-एक को भोजन परोसेगा।
प्रभु ने कहा, “कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान प्रबंधक है, जिसे उसका स्वामी अपने सेवक-सेविकाओं पर नियुक्त करे ताकि वह निश्चित् समय पर उन्हें निर्धारित भोजन दे?
स्वामी ने उससे कहा, ‘शाबाश, भले सेवक! तुम छोटी-से-छोटी बात में ईमानदार निकले, इसलिए तुम दस नगरों पर अधिकार करो।’
यदि कोई मेरी सेवा करना चाहता है, तो वह मेरा अनुसरण करे। जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी होगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका सम्मान करेगा।
जब वह स्वर्गदूत, जो उससे बात कर रहा था, चला गया तो करनेलियुस ने दो सेवकों और अपने अनुचरों में से एक धर्मपरायण सैनिक को बुलाया
रोपने वाला और सींचने वाला एक ही काम करते हैं और प्रत्येक अपने-अपने परिश्रम के अनुरूप अपनी मज़दूरी पायेगा।
क्या आप लोग यह नहीं जानते कि मन्दिर में धर्मसेवा करने वालों को मन्दिर से भोजन मिलता है और वेदी की सेवा करने वाले वेदी के चढ़ावे के भागीदार हैं?
क्या यह कभी सुनने में आया कि कोई अपने खर्च से सेना में सेवा करता है? कौन अंगूर-उद्यान लगा कर उसका फल नहीं खाता? कौन पालतू पशु पालकर उन पशुओं का दूध नहीं पीता?
दासों से मेरा अनुरोध यह है कि आप सब बातों में उन लोगों की आज्ञा मानें, जो इस पृथ्वी पर आपके स्वामी हैं। आप मनुष्यों को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दिखावे मात्र के लिए नहीं, बल्कि निष्कपट हृदय से तथा प्रभु पर श्रद्धा-भक्ति रख कर ऐसा करें।
जो सेवक हैं, वे न केवल अच्छे और सहृदय स्वामियों की, बल्कि कठोर स्वामियों की भी अधीनता आदरपूर्वक स्वीकार करें।
इसलिए तो आप बुलाये गये हैं, क्योंकि मसीह ने आप लोगों के लिए दु:ख भोगा और आप को उदाहरण दिया, जिससे आप उनके पद-चिह्नों पर चलें।
इसलिए इस्राएल के प्रभु परमेश्वर की यह घोषणा है: “यद्यपि मैंने निस्सन्देह यह कहा था कि तेरा पितृ-कुल सदा मेरे सम्मुख रह कर मेरी सेवा करेगा, और मेरा कृपा-पात्र बनेगा, तथापि अब मुझ-प्रभु की यह गंभीर घोषणा है: मेरी यह बात मुझ से दूर हो! मैं अपने आदर करने वालों का आदर करूँगा, और मुझे तुच्छ समझने वालों को तुच्छ समझूँगा।