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कुलुस्सियों 3:22 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 दासों से मेरा अनुरोध यह है कि आप सब बातों में उन लोगों की आज्ञा मानें, जो इस पृथ्‍वी पर आपके स्‍वामी हैं। आप मनुष्‍यों को प्रसन्न करने के उद्देश्‍य से दिखावे मात्र के लिए नहीं, बल्‍कि निष्‍कपट हृदय से तथा प्रभु पर श्रद्धा-भक्‍ति रख कर ऐसा करें।

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पवित्र बाइबल

22 हे सेवकों, अपने सांसारिक स्वामियों की सब बातों का पालन करो। केवल लोगों को प्रसन्न करने के लिये उसी समय नहीं जब वे देख रहे हों, बल्कि सच्चे मन से उनकी मानो। क्योंकि तुम प्रभु का आदर करते हो।

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Hindi Holy Bible

22 हे सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उनकी आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करनेवालों के समान दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्‍वर के भय से।

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नवीन हिंदी बाइबल

22 हे दासो, सब बातों में अपने शारीरिक स्वामियों की आज्ञा मानो, लोगों को प्रसन्‍न करनेवालों के समान दिखावे के लिए नहीं, बल्कि प्रभु का भय मानते हुए मन की सीधाई से।

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सरल हिन्दी बाइबल

22 दास, पृथ्वी पर ठहराए गए अपने स्वामियों की हमेशा आज्ञापालन करें—मात्र दिखावे के लिए नहीं—उनके जैसे नहीं, जो मनुष्यों को प्रसन्‍न करने के लिए ऐसा करते हैं, परंतु प्रभु के भय में मन की सच्चाई में.

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कुलुस्सियों 3:22
22 क्रॉस रेफरेंस  

यूसुफ ने तीसरे दिन उनसे कहा, ‘यह कार्य करो तो तुम जीवित रहोगे, क्‍योंकि मैं परमेश्‍वर से डरता हूँ।


मुझसे पहले के राज्‍यपालों ने जनता पर भारी बोझ डाला था। वे जनता से प्रति व्यक्‍ति कर के रूप में चांदी के चालीस सिक्‍कों के अतिरिक्‍त भोजन-वस्‍तु और अंगूररस भी लेते थे। इतना ही नहीं, उनके सरकारी कर्मचारी भी जनता पर अधिकार जताया करते थे। परन्‍तु मैं ऐसा नहीं करता था, क्‍योंकि मैं परमेश्‍वर से डरता था।


मैंने उनसे फिर कहा, ‘यह काम, जो तुम कर रहे हो, ठीक नहीं है। तुम्‍हें तो परमेश्‍वर का भय मानकर ऐसा आचरण करना चाहिए था ताकि अन्‍य कौमें, जो हमारी शत्रु हैं, हमारा मज़ाक न उड़ाएं।


जैसे सेवक की आंखें स्‍वामी के हाथ पर, जैसे सेविका की आंखें स्‍वामिनी के हाथ पर, लगी रहती हैं, वैसे ही हमारी आंखें अपने प्रभु परमेश्‍वर की ओर लगी रहती हैं, जब तक वह हम पर कृपा न करे।


जो कुछ तुमने सुना, उसका सार यह है : तुम परमेश्‍वर पर श्रद्धा रखो, और उसकी आज्ञाओं का पालन करो; क्‍योंकि मनुष्‍य का सम्‍पूर्ण धर्म यही है।


जब व्यक्‍ति अधिकाधिक स्‍वप्‍न देखने लगता है, तब उसकी व्‍यर्थ बातें भी बढ़ जाती हैं। किन्‍तु तुम परमेश्‍वर का भय मानना।


यद्यपि पापी मनुष्‍य सौ बार दुष्‍कर्म करता है, और उसे दण्‍ड नहीं मिलता, वह लम्‍बी उम्र तक जीवित रहता है, तथापि मैं यह जानता हूं कि परमेश्‍वर से डरनेवालों का अन्‍त में भला ही होता है। परमेश्‍वर उनका भला करता है, क्‍योंकि वे उससे डरते हैं।


प्रभु कहता है, ‘पुत्र अपने पिता का आदर करता है, सेवक अपने स्‍वामी से डरता है। यदि मैं तुम्‍हारा पिता हूं तो कहां है मेरा आदर? यदि मैं तुम्‍हारा स्‍वामी हूं तो तुम मुझसे डरते क्‍यों नहीं हो? मैं, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु तुमसे यों कहता हूं। ओ पुरोहितो, मेरे नाम को अपमानित करने वालो! तुम कहते हो, “हमने तेरे नाम का अपमान कैसे किया?”


“आँख शरीर का दीपक है। यदि तुम्‍हारी आँखें अच्‍छी हैं, तो तुम्‍हारा सारा शरीर प्रकाशमान होगा;


मैं स्‍वयं शासन के अधीन हूँ और सैनिक मेरे अधीन हैं। जब मैं एक से कहता हूँ − ‘जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से − ‘आओ’, तो वह आता है और अपने सेवक से − ‘यह करो’, तो वह करता है।”


“जब तुम मेरी बात पर नहीं चलते, तो ‘प्रभु! प्रभु!’ कह कर मुझे क्‍यों पुकारते हो?


मैं स्‍वयं शासन के अधीन रहता हूँ और सैनिक मेरे अधीन हैं। जब मैं एक से कहता हूँ−‘जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से−‘आओ’, तो वह आता है और अपने सेवक से−‘यह करो’, तो वह करता है।”


वे प्रतिदिन मन्‍दिर में एक भाव से उपस्‍थित होते, घर-घर में रोटी तोड़ते और निष्‍कपट हृदय से आनन्‍दपूर्वक एक साथ भोजन करते थे।


प्रिय भाइयो और बहिनो! हमें इस प्रकार की प्रतिज्ञाएं मिली हैं। इसलिए हम शरीर और मन के हर प्रकार के दूषण से अपने को शुद्ध करें और परमेश्‍वर पर श्रद्धा-भक्‍ति रखते हुए पवित्रता की परिपूर्णता तक पहुँचने का प्रयत्‍न करते रहें।


मैं अब किसका कृपापात्र बनने की कोशिश कर रहा हूँ—मनुष्‍यों का अथवा परमेश्‍वर का? क्‍या मैं मनुष्‍यों को प्रसन्न करना चाहता हूँ? यदि मैं अब तक मनुष्‍यों को प्रसन्न करना चाहता, तो मैं मसीह का सेवक नहीं होता।


बच्‍चो! सभी बातों में अपने माता-पिता की आज्ञा मानो, क्‍योंकि प्रभु इससे प्रसन्न होता है।


परमेश्‍वर ने हमें योग्‍य समझ कर शुभ समाचार सौंपा है। इसलिए हम मनुष्‍यों को नहीं, बल्‍कि हमारा हृदय परखनेवाले परमेश्‍वर को प्रसन्न करने के लिए उपदेश देते हैं।


अब दास के रूप में नहीं, बल्‍कि दास से कहीं बढ़ कर अतिप्रिय भाई के रूप में। यह मुझे अत्‍यन्‍त प्रिय है, फिर मनुष्‍य होने के नाते और प्रभु के शिष्‍य होने के नाते भी यह तुम को कहीं अधिक प्रिय होगा!


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