इस्राएली लोग तथा लेवी कुल के उपपुरोहित अन्न, अंगूर-रस और तेल की भेंट कक्षों के उस स्थान में लाएंगे जहाँ पवित्र स्थान के पात्र रखे जाते हैं, और जहाँ सेवक-पुरोहितों, द्वारपालों और गायकों के कक्ष हैं। ‘हम शपथ लेते हैं कि हम परमेश्वर के भवन की उपेक्षा नहीं करेंगे। ‘यदि हम अपनी शपथ के अनुसार कार्य नहीं करेंगे तो हम शापित हों।’
येशु ने उन से कहा, “इस कारण प्रत्येक शास्त्री, जो स्वर्ग के राज्य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्थ के सदृश है, जो अपने भंडार से नयी और पुरानी वस्तुएँ निकालता है।”