इसलिए तुम अश्व अथवा खच्चर जैसे न बनो, जिसमें विवेक नहीं होता; जिसे रास और लगाम से वश में करना पड़ता है; अन्यथा वह तुम्हारे निकट न आएगा।
नीतिवचन 10:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जिस मनुष्य में समझ है, उसके ओंठों पर बुद्धि निवास करती है; पर मूर्ख को छड़ी से हांकना पड़ता है। पवित्र बाइबल बुद्धि का निवास सदा समझदार होठों पर होता है, किन्तु जिसमें भले बुरे का बोध नहीं होता, उसके पीठ पर डंडा होता है। Hindi Holy Bible समझ वालों के वचनों में बुद्धि पाई जाती है, परन्तु निर्बुद्धि की पीठ के लिये कोड़ा है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) समझवालों के वचनों में बुद्धि पाई जाती है, परन्तु निर्बुद्धि की पीठ के लिये कोड़ा है। नवीन हिंदी बाइबल समझ रखनेवाले की बातों में बुद्धि पाई जाती है, परंतु निर्बुद्धि की पीठ के लिए छड़ी होती है। सरल हिन्दी बाइबल समझदार व्यक्ति के होंठों पर ज्ञान का वास होता है, किंतु अज्ञानी के लिए दंड ही निर्धारित है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 समझवालों के वचनों में बुद्धि पाई जाती है, परन्तु निर्बुद्धि की पीठ के लिये कोड़ा है। |
इसलिए तुम अश्व अथवा खच्चर जैसे न बनो, जिसमें विवेक नहीं होता; जिसे रास और लगाम से वश में करना पड़ता है; अन्यथा वह तुम्हारे निकट न आएगा।
प्रभु ने मूसा से कहा, ‘मिस्र देश की ओर अपना हाथ उठा कि टिड्डी दल मिस्र देश पर आक्रमण करें और देश के प्रत्येक पौधे को खा डालें जो ओलों की वर्षा से बच गया है।’
धार्मिक मनुष्य के शब्दों से अनेक लोगों का भला होता है; पर मूर्ख मनुष्य समझ के अभाव में मर जाता है।
समय पर उपयुक्त उत्तर देना मनुष्य को आनन्द प्रदान करता है; अवसर पर कही गई बात कितनी भली होती है।
बुद्धिमान अपनी वाणी से ज्ञान का प्रसार करता है; पर मूर्ख का मस्तिष्क ऐसा नहीं कर पाता।
जिसके मस्तिष्क में बुद्धि का निवास है, वह समझदार कहलाता है; मधुर वचन बोलने से मनुष्य अपनी विद्या में वृद्धि करता है।
जितना प्रभाव एक घुड़की का समझदार व्यक्ति पर होता है, उतना सौ बार मार खाने पर भी मूर्ख पर नहीं होता।
ज्ञान की हंसी उड़ानेवाला, निस्सन्देह दण्डित होगा; मूर्ख मनुष्य की पीठ पर कोड़ों का प्रहार होगा।
मनुष्य के पास बहुत सोना और मणि हो सकते हैं, परन्तु बुद्धिमान मनुष्य की वाणी ही अमोल मोती है।
चाहे तू मूर्ख को अनाज की तरह ओखली में डालकर मूसल से क्यों न कूटे, उसकी मूर्खता नहीं जाने की!
व्यभिचार करनेवाला व्यक्ति निरा मूर्ख होता है, जो पुरुष व्यभिचार करता है, वह स्वयं को नष्ट करता है।
स्वामी-प्रभु ने मुझे शििक्षत जन की वाणी दी है ताकि मैं थके-मांदे लोगों को शांति के वचन बोलकर संभाल सकूं। वह प्रतिदिन सबेरे मुझे जगाता है; मेरे कान खोलता है, जिससे मैं शिष्य की तरह ध्यान दे सकूं।
सब लोगों ने उनकी प्रशंसा की। वे उनके मुख से निकले अनुग्रहपूर्ण शब्द सुन कर अचम्भे में पड़ गए, और पूछने लगे, “क्या यह यूसुफ के पुत्र नहीं हैं?”