आज मैं अस्सी वर्ष का हूँ। क्या मैं इस उम्र में भले और बुरे की पहचान कर सकता हूँ? अब क्या मुझमें खाने-पीने की रुचि रह गई है? अब क्या मैं गायक-गायिकाओं का मधुर गीत सुन सकता हूँ? ऐसी स्थिति में आपका यह सेवक अपने स्वामी पर, महाराज पर भार क्यों बने?
जब तक उस के देश के पतन का निर्धारित समय नहीं आता, तब तक पृथ्वी की सब जातियां उसकी, उसके पुत्र की और पौत्र की सेवा करेंगी। निर्धारित समय के पश्चात् अनेक जातियां और बड़े राजा उसको अपना गुलाम बना लेंगे।