तब मैंने उन्हें डांटा और उन्हें कटु शब्द कहे। मैंने कुछ को मारा-पीटा और उनके बाल नोचे। मैंने परमेश्वर के नाम पर उन्हें यह शपथ दी : ‘तुम गैर-यहूदी कौमों के पुत्रों से अपनी पुत्रियों का विवाह नहीं करोगे, और न अपना और न अपने पुत्रों का विवाह उनकी पुत्रियों से करोगे।
मैंने अपने हृदय में सोच-विचार किया, और तब प्रतिष्ठित नागरिकों तथा सरकारी अफसरों पर दोषारोपण किया। मैंने उनसे कहा, ‘तुम अपने जाति-भाई-बहिनों से ही ब्याज खा रहे हो!’ मैंने शोषण करनेवाले इन यहूदियों के विरुद्ध एक बड़ी आम-सभा की,
ये आपके सब कर्मचारी मेरे पास आएंगे और सिर झुकाकर मेरा अभिवादन करेंगे। वे कहेंगे, “कृपया, अपने अनुचरों को लेकर चले जाइए।” तत्पश्चात् मैं भी चला जाऊंगा।’ मूसा तीव्र क्रोध में भरे हुए फरओ के पास से चले गए।
मूसा को बड़ा क्रोध आया। उन्होंने प्रभु से कहा, ‘उनकी भेंटों की ओर ध्यान मत देना। मैंने घूस में उनसे एक गधा भी नहीं लिया और न उनमें से किसी का अनिष्ट ही किया।’
उनके हृदय की कठोरता देख कर येशु को दु:ख हुआ और वह उन पर क्रोध भरी दृष्टि दौड़ा कर उस मनुष्य से बोले, “अपना हाथ बढ़ाओ।” उसने अपना हाथ बढ़ाया और उसका हाथ अच्छा हो गया।