वह लोकनायकों की बुद्धि छीन लेता है, और उन्हें पथहीन उजाड़-खण्डों में इधर- उधर भटकाता है।
दानिय्येल 4:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसकी पत्तियां दिखने में सुन्दर थीं और वह फलों से लदा था। उसमें इतने फल थे कि सब प्राणी उनको खाकर तृप्त हो सकते थे। उसकी छांव में सब वन-पशु बसेरा कर रहे थे। उसकी शाखाओं पर आकाश के पक्षियों ने घोंसले बना लिए थे। पृथ्वी के प्राणी उसका फल खाकर अपना भरण-पोषण करते थे। पवित्र बाइबल वृक्ष की पत्तियाँ सुन्दर थीं। वृक्ष पर बहुत अच्छे फल बहुतायत में लगे थे और उस वृक्ष पर हर किसी के लिये भरपूर खाने को था। जंगली जानवर वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए थे और वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ियों का बसेरा था। हर पशु पक्षी उस वृक्ष से ही भोजन पाता था। Hindi Holy Bible उसके पत्ते सुन्दर, और उस में बहुत फल थे, यहां तक कि उस में सभों के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिडिय़ां बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उस से आहार पाते थे॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसके पत्ते सुन्दर, और उस में बहुत फल थे, यहाँ तक कि उसमें सभों के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उस से आहार पाते थे। सरल हिन्दी बाइबल इसकी पत्तियां सुंदर थी और इसमें बहुत सारे फल लगे थे, और इसमें सबके लिये भोजन था. इसके नीचे जंगली जानवर रहते थे, और आकाश के पक्षी इसकी शाखाओं पर बसेरा करते थे; इसमें से हर एक जीव-जन्तु भोजन पाते थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसके पत्ते सुन्दर, और उसमें बहुत फल थे, यहाँ तक कि उसमें सभी के लिये भोजन था। उसके नीचे मैदान के सब पशुओं को छाया मिलती थी, और उसकी डालियों में आकाश की सब चिड़ियाँ बसेरा करती थीं, और सब प्राणी उससे आहार पाते थे। (मत्ती 13:32) |
वह लोकनायकों की बुद्धि छीन लेता है, और उन्हें पथहीन उजाड़-खण्डों में इधर- उधर भटकाता है।
‘वृक्ष’ को भी अपने पुनर्जीवन की आशा है; यदि वह काट लिया जाए तो भी वह पुन: पनप उठेगा; और उसमें से अंकुर फूटेंगे।
हमारा प्राण, प्रभु का अभिषिक्त राजा बन्दी बना लिया गया; और वह उनके गड्ढों में डाल दिया गया। हम अपने राजा के विषय में यह कहते थे: ‘हम महाराज की छत्रछाया में पृथ्वी के राष्ट्रों के मध्य जीवित रहेंगे।’
सुनो, मैं उसको इस्राएल प्रदेश के उच्चतम पर्वत पर रोपूंगा; तब उसमें डालियां फूटेंगी, और उसमें फल लगेंगे। वह एक शानदार देवदार वृक्ष बन जाएगी। उसके नीचे सब जाति के पशु आश्रय लेंगे; उसकी घनी शाखाओं में सब प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बनाएंगे।
वे भी उसके साथ अधोलोक में जाएंगे। वहां जाएंगे, जहां तलवार से वध किए हुए मृतक पड़े होंगे। उसके पतन से उसकी छाया में रहनेवाले राष्ट्र भी नष्ट हो जाएंगे।
उसने उच्च स्वर में पुकारा, और यह कहा, “इस वृक्ष को काट डालो, और इसकी शाखाओं को छांट दो। इसकी पत्तियों को झड़ा दो, और इसके फल बिखेर दो। इसकी छांव में बैठे हुए वनपशुओं को भगा दो। इसकी शाखाओं में बसेरा करनेवाले पक्षियों को उड़ा दो।
राई का बीज तो सब बीजों से छोटा होता है, परन्तु बढ़कर सब पौधों से बड़ा हो जाता है और ऐसा पेड़ बनता है कि आकाश के पक्षी आ कर उसकी डालियों में बसेरा करते हैं।”
“उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता−न स्वर्ग के दूत और न पुत्र। केवल पिता ही जानता है।
परन्तु बोए जाने पर वह उगता है और वह पौधों से बड़ा हो जाता है, और उस में इतनी बड़ी-बड़ी शाखाएँ निकल आती हैं कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।”
वह उस राई के दाने के समान है, जिसे ले कर किसी मनुष्य ने अपने उद्यान में बोया। वह बढ़ते-बढ़ते पेड़ हो गया और आकाश के पक्षी उसकी डालियों में बसेरा करने आए।”