गलातियों 3:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तो क्या व्यवस्था और परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में विरोध है? कभी नहीं! यदि ऐसी व्यवस्था की घोषणा हुई होती, जो जीवन प्रदान करने में समर्थ थी, तो व्यवस्था के पालन द्वारा ही मनुष्य धार्मिक ठहरता। पवित्र बाइबल क्या इसका यह अर्थ है कि व्यवस्था का विधान परमेश्वर के वचन का विरोधी है? निश्चित रूप से नहीं। क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था का विधान दिया गया होता जो लोगों में जीवन का संचार कर सकता तो वह व्यवस्था का विधान ही परमेश्वर के सामने धार्मिकता को सिद्ध करने का साधन बन जाता। Hindi Holy Bible तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि न हो क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धामिर्कता व्यवस्था से होती। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धार्मिकता व्यवस्था से होती। नवीन हिंदी बाइबल तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरुद्ध है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी गई होती जो जीवन प्रदान कर सकती थी तो वास्तव में धार्मिकता व्यवस्था से होती। सरल हिन्दी बाइबल तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विपरीत है? बिलकुल नहीं! यदि कोई ऐसी व्यवस्था दी गई होती, जो जीवन प्रदान कर सकती थी, तब निश्चयतः उस व्यवस्था के पालन करने पर धार्मिकता प्राप्त हो जाती. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धार्मिकता व्यवस्था से होती। |
तो, क्या हम इस विश्वास द्वारा व्यवस्था को रद्द करते हैं? कदापि नहीं! हम व्यवस्था की पुष्टि करते हैं।
कभी नहीं! भले ही प्रत्येक मनुष्य झूठा निकल जाये, किन्तु परमेश्वर सच्चा प्रमाणित होगा; जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है: “तेरे वचन तुझे धार्मिक ठहराते हैं। जब तेरा न्याय होता है तब तू विजयी होता है।”
परन्तु इस्राएल, जो धार्मिकता की व्यवस्था के प्रति उत्साह दिखलाता था, व्यवस्था की परिपूर्णता तक नहीं पहुँच सका।
यदि मृत्यु-जनक व्यवस्था का सेवाकार्य, जो पत्थरों पर अक्षर अंकित करने में संपन्न हुआ, इतना तेजस्वी था कि इस्राएली लोग मूसा के मुख के तेज के कारण-जो क्रमश: क्षीण हो रहा था-उनके मुख पर दृष्टि स्थिर नहीं कर सके,
यदि हम भी, जो मसीह द्वारा धार्मिक ठहरना चाहते हैं, पापी प्रमाणित हो जाते हैं, तो क्या इसका निष्कर्ष यह है कि मसीह पाप को बढ़ावा देते हैं? कभी नहीं!
क्योंकि मैं व्यवस्था द्वारा व्यवस्था के लिए मर चुका हूँ, जिससे मैं परमेश्वर के लिए जी सकूँ। मैं मसीह के साथ क्रूस पर मर गया हूं।
मैं परमेश्वर के अनुग्रह का तिरस्कार नहीं कर सकता। यदि व्यवस्था द्वारा मनुष्य धार्मिक ठहर सकता है, तो मसीह व्यर्थ ही मरे।
परन्तु परमेश्वर न करे कि हमारे प्रभु येशु मसीह के क्रूस के अतिरिक्त-किसी अन्य बात पर गर्व करूँ। उन्हीं के कारण संसार मेरी दृष्टि में क्रूसित हो चुका है और मैं संसार की दृष्टि में।
नूह अपने विश्वास के कारण अदृश्य घटनाओं से परमेश्वर के द्वारा सचेत किया गया। उसने इस चेतावनी का सम्मान किया और अपना परिवार बचाने के लिए जलयान का निर्माण किया। उसने अपने विश्वास द्वारा संसार को दोषी ठहराया और वह उस धार्मिकता का अधिकारी बना, जो विश्वास पर आधारित है।
क्योंकि व्यवस्था कुछ भी पूर्णता तक नहीं पहुँचा सकी। हमें इस से श्रेष्ठ आशा प्रदान की गयी है और इसके माध्यम से हम परमेश्वर के निकट पहुँचते हैं।