सातवें दिन, जब सम्राट क्षयर्ष शराब में मस्त था, उसने अपने सात सेवक-खोजों−महूमान, बिज्जता, हर्बोना, बिग्ता, अबग्ता, जेतेर और कर्कस−को आदेश दिया
एस्तेर 4:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तब एस्तर ने हताख नामक एक खोजे को बुलाया। सम्राट क्षयर्ष ने हताख को रानी एस्तर की सेवा में नियुक्त किया था। एस्तर ने उसको मोरदकय के पास जाने का आदेश दिया कि वह मोरदकय से पूछे कि क्या बात है, और वह ऐसा क्यों कर रहा है। पवित्र बाइबल इसके बाद एस्तेर ने हताक को अपने पास बुलाया। हताक एक ऐसा खोजा था जिसे राजा ने उसकी सेवा के लिये नियुक्त किया था। एस्तेर ने उसे यह पता लगाने का आदेश दिया कि मोर्दकै को क्या व्याकुल बनाये हुए है और क्यों? Hindi Holy Bible तब एस्तेर ने राजा के खोजों में से हताक को जिसे राजा ने उसके पास रहने को ठहराया था, बुलवा कर आज्ञा दी, कि मोर्दकै के पास जा कर मालूम कर ले, कि क्या बात है और इसका क्या कारण है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब एस्तेर ने राजा के खोजों में से हताक को जिसे राजा ने उसके पास रहने को ठहराया था, बुलवाकर आज्ञा दी कि मोर्दकै के पास जाकर मालूम कर ले कि क्या बात है, और इसका क्या कारण है। सरल हिन्दी बाइबल तब एस्तेर ने राजा के खोजों में से हाथाख नाम खोजा को बुलवाया, जिसे स्वयं राजा ने ही एस्तेर की सेवा के लिए नियुक्त किया था; एस्तेर ने हाथाख को मोरदकय से यह मालूम करने के लिए प्रेषित किया, कि यह सब क्या हो रहा है तथा इसके पीछे क्या कारण है? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब एस्तेर ने राजा के खोजों में से हताक को जिसे राजा ने उसके पास रहने को ठहराया था, बुलवाकर आज्ञा दी, कि मोर्दकै के पास जाकर मालूम कर ले, कि क्या बात है और इसका क्या कारण है। |
सातवें दिन, जब सम्राट क्षयर्ष शराब में मस्त था, उसने अपने सात सेवक-खोजों−महूमान, बिज्जता, हर्बोना, बिग्ता, अबग्ता, जेतेर और कर्कस−को आदेश दिया
खोजों ने सम्राट का आदेश रानी वशती को दिया, किन्तु रानी ने सम्राट के सम्मुख आना अस्वीकार कर दिया। सम्राट नाराज हुआ। उसके भीतर ही भीतर क्रोध भभकने लगा।
रानी एस्तर की सखियों और खोजों ने इन सब बातों की खबर उसको दी। रानी को अत्यन्त दु:ख हुआ। उसने मोरदकय के लिए वस्त्र भेजे ताकि वह उनको पहिने, और टाट-वस्त्र अपने शरीर से उतार दे। किन्तु मोरदकय ने उनको स्वीकार नहीं किया।
हताख मोरदकय के पास नगर के चौराहे पर गया। यह स्थान राजमहल के प्रवेश-द्वार के सम्मुख था।
यदि एक अंग को पीड़ा होती है, तो उसके साथ सभी अंगों को पीड़ा होती है और यदि एक अंग का सम्मान किया जाता है, तो उसके साथ सभी अंग आनन्द मनाते हैं।
हमारे महापुरोहित हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि पाप को छोड़ कर सभी बातों में हमारी ही तरह उनकी परीक्षा ली गयी है।