प्रभु परमेश्वर ने कहा, ‘मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं। मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा।’
उत्पत्ति 1:27 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अत: परमेश्वर ने अपने स्वरूप में मनुष्य को रचा। परमेश्वर के स्वरूप में उसने मनुष्य की सृष्टि की। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया। पवित्र बाइबल इसलिए परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरुप में सृजा। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया। Hindi Holy Bible तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। नवीन हिंदी बाइबल तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में रचा; अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने उसे रचा; उसने उन्हें नर और नारी के रूप में रचा। सरल हिन्दी बाइबल इसलिये परमेश्वर ने अपने स्वरूप में मनुष्य को बनाया, परमेश्वर के ही स्वरूप में परमेश्वर ने उन्हें बनाया; नर और नारी करके उसने उन्हें बनाया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब परमेश्वर ने अपने स्वरूप में मनुष्य को रचा, अपने ही स्वरूप में परमेश्वर ने मनुष्य की रचना की; नर और नारी के रूप में उसने मनुष्यों की सृष्टि की। (मत्ती 19:4, मर. 10:6, प्रेरि. 17:29, 1 कुरि. 11:7, कुलु. 3:10, 1 तीमु. 2:13) |
प्रभु परमेश्वर ने कहा, ‘मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं। मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहायक बनाऊंगा।’
तब प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को भूमि की मिट्टी से गढ़ा तथा उसके नथुनों में जीवन का श्वास फूँका और मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया।
जो कोई मनुष्य का रक्त बहाएगा, उसका भी रक्त मनुष्य द्वारा बहाया जाएगा; क्योंकि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया है।
मैं तेरी सराहना करता हूं, क्योंकि तू भय-योग्य और अद्भुत है तेरे कार्य कितने आश्चर्यपूर्ण हैं! तू मुझे भली भांति जानता है।
देखो, मैंने केवल यह सच पाया है: परमेश्वर ने मनुष्य को सीधा-सादा बनाया है, किन्तु मनुष्य ने स्वयं जीवन की अनेक जटिलताएँ ढूँढ़ निकाली हैं।
ये सब मेरे नाम से आराधना करते हैं, इनको मैंने अपनी महिमा के लिए रचा है, इनको मैंने गढ़ा है, इनको मैंने बनाया है।”
शादी-ब्याह रचाओ, और पुत्र-पुत्रियां उत्पन्न करो। अपने पुत्रों और पुत्रियों का भी विवाह कराओ कि उनके भी पुत्र-पुत्रियां उत्पन्न हों। तुम बेबीलोन में दिन-प्रतिदिन संख्या में बढ़ते जाओ और घटो नहीं।
क्या प्रभु ने पति और पत्नी को एक हो जाने के लिए नहीं बनाया? तो क्या आत्मा इस में सम्मिलित नहीं है? और पति-पत्नी के एक होने का क्या उद्देश्य है? यही कि वे धर्मपरायण सन्तान उत्पन्न करें। अत: अपने प्रति सावधान रहो। कोई भी पति अपनी युवावस्था की पत्नी के प्रति विश्वासघात न करे।
येशु ने उत्तर दिया, “क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा कि सृष्टिकर्ता ने प्रारम्भ ही से उन्हें नर और नारी बनाया
परमेश्वर ने हमारी रचना की। उसने येशु मसीह में हमारी सृष्टि की, जिससे हम उन शुभ कार्यों को पूर्ण करते रहें, जिन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।
और एक नवीन स्वभाव धारण करें, जिसकी सृष्टि परमेश्वर के अनुसार हुई है और जो धार्मिकता तथा सच्ची पवित्रता में व्यक्त होता है।
‘अत: बीते हुए युगों के विषय में, जो तुम्हारे सम्मुख उस दिन से व्यतीत हुए हैं जब परमेश्वर ने मनुष्य को पृथ्वी पर रचा था, यह प्रश्न पूछो : क्या आकाश के एक सीमान्त से दूसरे सीमान्त तक कभी ऐसी महान् घटना घटी है? क्या कभी ऐसी कोई बात सुनी गई है?
परमेश्वर का रहस्य सुनाऊं, जो युगों तथा पीढ़ियों तक गुप्त रहा और अब उसके सन्तों के लिए प्रकट किया गया है।
एक नया स्वभाव धारण किया है। यह स्वभाव अपने सृष्टिकर्ता का प्रतिरूप बन कर नवीन होता रहता और पूर्ण ज्ञान की ओर आगे बढ़ता है।
यदि उन कन्याओं के पिता अथवा भाई हमसे शिकायत करने आएँगे तो हम उनसे यह कहेंगे, “हम पर कृपा कीजिए, और कन्याएँ उन्हें दे दीजिए। हमने युद्ध में प्रत्येक बिन्यामिनी पुरुष के लिए स्त्री नहीं ली थी। आप लोगों ने भी उन्हें ये कन्याएँ नहीं दी थीं। यदि आप ऐसा करते तो अपनी शपथ भी तोड़ते और दोषी ठहरते।” ’