एसाव ने कहा, ‘उसका नाम याकूब ठीक ही रखा गया था। उसने दो बार मुझे अड़ंगा मारा : पहले तो मेरा ज्येष्ठ पुत्र होने का अधिकार ले लिया, और अब मेरा आशीर्वाद भी छीन लिया।’ एसाव ने पूछा, ‘क्या आपने मेरे लिए कोई आशीर्वाद बचाकर नहीं रखा?’
इब्रानियों 12:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) आप लोगों में न तो कोई व्यभिचारी हो और न एसाव के सदृश कोई अधर्मी, जिसने एक ही बार के भोजन के लिए अपना पहलौठे का अधिकार बेच दिया। पवित्र बाइबल देखो कि कोई भी व्यभिचार न करे अथवा उस एसाव के समान परमेश्वर विहीन न हो जाये जिसे सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते उत्तराधिकार पाने का अधिकार था किन्तु जिसने उसे बस एक निवाला भर खाना के लिए बेच दिया। Hindi Holy Bible ऐसा न हो, कि कोई जन व्यभिचारी, कष्ट ऐसाव की नाईं अधर्मी हो, जिस न एक बार के भोजन के बदले अपने पहिलौठे होने का पद बेच डाला। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) ऐसा न हो कि कोई जन व्यभिचारी, या एसाव के समान अधर्मी हो जिसने एक बार के भोजन के बदले अपने पहिलौठे होने का पद बेच डाला। नवीन हिंदी बाइबल ऐसा न हो कि तुममें से कोई व्यभिचारी या एसाव के समान भक्तिहीन हो, जिसने एक बार के भोजन के लिए अपने पहलौठे होने का अधिकार बेच डाला था। सरल हिन्दी बाइबल सावधान रहो कि तुम्हारे बीच न तो कोई व्यभिचारी व्यक्ति हो और न ही एसाव के जैसा परमेश्वर का विरोधी, जिसने पहलौठा पुत्र होने के अपने अधिकार को मात्र एक भोजन के लिए बेच दिया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 ऐसा न हो, कि कोई जन व्यभिचारी, या एसाव के समान अधर्मी हो, जिसने एक बार के भोजन के बदले अपने पहलौठे होने का पद बेच डाला। (कुलु. 3:5, उत्प. 25:31-34) |
एसाव ने कहा, ‘उसका नाम याकूब ठीक ही रखा गया था। उसने दो बार मुझे अड़ंगा मारा : पहले तो मेरा ज्येष्ठ पुत्र होने का अधिकार ले लिया, और अब मेरा आशीर्वाद भी छीन लिया।’ एसाव ने पूछा, ‘क्या आपने मेरे लिए कोई आशीर्वाद बचाकर नहीं रखा?’
क्योंकि बुरे विचार भीतर से, अर्थात् मनुष्य के मन से निकलते हैं। व्यभिचार, चोरी, हत्या,
बल्कि पत्र लिख कर उन्हें बताया जाये कि वे मूर्तियों की अशुद्धताओं से, व्यभिचार से, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से और रक्त के खान-पान से परहेज करें;
आप लोग मूर्तियों पर चढ़ाये हुए मांस से, रक्त के खान-पान से, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से और व्यभिचार से परहेज करें। इन से अपने को बचाये रखने में आप लोगों का कल्याण है। शुभकामना!”
हम व्यभिचार नहीं करें, जैसा कि उन में से से कुछ लोगों ने व्यभिचार किया और एक ही दिन में तेईस हजार मर गये।
कहीं ऐसा न हो कि मेरे आपके यहाँ पहुँचने पर मेरा परमेश्वर मुझे फिर आपके सामने नीचा दिखाए और मुझे उन बहुसंख्यक लोगों के लिए शोक मनाना पड़े, जिन्होंने पहले पाप किया और अपनी अशुद्धता, व्यभिचार और लम्पटता के लिए पश्चात्ताप नहीं किया है।
जैसा कि सन्तों के लिए उचित है, आप लोगों के बीच किसी प्रकार के व्यभिचार और अशुद्धता अथवा लोभ की चर्चा तक न हो,
आप लोग यह निश्चित रूप से जान लें कि कोई व्यभिचारी, लम्पट अथवा लोभी-जो मूर्तिपूजक के बराबर है-मसीह और परमेश्वर के राज्य का अधिकारी नहीं होगा।
इसलिए आप लोग अपने शरीर में इन बातों को निर्जीव करें जो संसार की हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, विषयवासना और लोभ को जो मूर्तिपूजा के सदृश है।
हमें याद रहे कि व्यवस्था धर्मियों के लिए निर्धारित नहीं हुई, बल्कि उपद्रवी और निरंकुश लोगों के लिए, विधर्मियों और पापियों, नास्तिकों और धर्मविरोधियों, मातृ-पितृ-घातकों, हत्यारों,
आप लोगों में विवाह सम्मानित और दाम्पत्य जीवन अदूषित हो; क्योंकि परमेश्वर लम्पटों और व्यभिचारियों का न्याय करेगा।
लेकिन कायरों, अविश्वासियों, नीचों, हत्यारों, व्यभिचारियों, ओझों, मूर्तिपूजकों और हर प्रकार के मिथ्यावादियों का अंत यह होगा − धधकती आग और गन्धक के कुण्ड में द्वितीय मृत्यु!”
कुत्ते, ओझे, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक, असत्य से प्रेम करनेवाले और मिथ्याचारी बाहर ही रहेंगे।