और वह तुम पर बुद्धि का गूढ़ रहस्य प्रकट करता। बुद्धि की बातें मनुष्य की समझ से परे हैं। अत: मित्र, यह जान लो कि परमेश्वर तुम्हारे अपराध की तुलना में तुम्हें कम सजा दे रहा है!
अय्यूब 15:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्या तुमने परमेश्वर की विद्वत मण्डली में बैठकर ज्ञान प्राप्त किया है? क्या बुद्धि का ठेका केवल तुमने ले रखा है? पवित्र बाइबल क्या तूने परमेश्वर की रहस्यपूर्ण योजनाऐं सुनी थी क्या तू सोचा करता है कि एक मात्र तू ही बुद्धिमान है? Hindi Holy Bible क्या तू ईश्वर की सभा में बैठा सुनता था? क्या बुद्धि का ठेका तू ही ने ले रखा है? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्या तू परमेश्वर की सभा में बैठा सुनता था? क्या बुद्धि का ठेका तू ही ने ले रखा है? सरल हिन्दी बाइबल क्या तुम्हें परमेश्वर की गुप्त अभिलाषा सुनाई दे रही है? क्या तुम ज्ञान को स्वयं तक सीमित रखे हुए हो? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्या तू परमेश्वर की सभा में बैठा सुनता था? क्या बुद्धि का ठेका तू ही ने ले रखा है (यिर्म. 23:18, 1 कुरि. 2:16) |
और वह तुम पर बुद्धि का गूढ़ रहस्य प्रकट करता। बुद्धि की बातें मनुष्य की समझ से परे हैं। अत: मित्र, यह जान लो कि परमेश्वर तुम्हारे अपराध की तुलना में तुम्हें कम सजा दे रहा है!
‘निस्सन्देह तुम मानव-जाति का प्रतिनिधित्व करते हो, और तुम्हारे मरने पर, बुद्धि भी मर जाएगी!
काश! मैं अपनी युवावस्था के दिनों की तरह पुन: जीवन बिताता; जब परमेश्वर की मित्रता मेरे घर पर थी;
प्रभु की दृष्टि में कुटिल व्यक्ति घृणित है, किन्तु निष्कपट व्यक्ति उसका विश्वासपात्र है।
इन नबियों में से कौन नबी प्रभु के दरबार में खड़ा था, और किसने प्रभु की बातें सुनीं, और उनको समझा है? किसने प्रभु के वचन सुने, और उन पर ध्यान दिया है?
निस्सन्देह स्वामी-प्रभु अपने सेवक नबियों पर अपना भेद प्रकट किए बिना कोई कार्य नहीं करता।
उस समय येशु ने कहा, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और बुद्धिमानों से गुप्त रखा; किन्तु बच्चों पर प्रकट किया है।
उन्होंने उत्तर दिया, “यह इसलिए है कि स्वर्गराज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम्हें दिया गया है, उन लोगों को नहीं;
जिससे नबी का यह कथन पूरा हो जाए, “मैं दृष्टान्तों में बोलूँगा। सृष्टि के आरम्भ से जो गुप्त है, उसे मैं प्रकट करूँगा।”
अब से मैं तुम्हें सेवक नहीं कहूँगा। सेवक नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या करने वाला है। मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना, वह सब तुम्हें बता दिया है।
अहा! कितना अगाध है परमेश्वर का वैभव, बुद्धि और ज्ञान! कितने दुर्बोध हैं उसके निर्णय! कितने रहस्यमय हैं उसके मार्ग!
क्योंकि जैसा धर्मग्रंथ में कहा गया, “प्रभु का मन कौन जानता है? कौन उसे परामर्श दे सकता है?” और हम में तो मसीह का मन विद्यमान है।
गुप्त बातें केवल हमारा प्रभु परमेश्वर ही जानता है। पर जो बातें प्रकट की गई हैं, उन्हें हम और हमारी सन्तान सदा-सर्वदा जानेंगे, ताकि हम इस व्यवस्था के वचनों के अनुसार कार्य कर सकें।