किन्तु मेरी दृष्टि में मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं। मैं तो केवल अपनी दौड़ समाप्त करना और वह सेवाकार्य पूरा करना चाहता हूँ, जिसे प्रभु येशु ने मुझे सौंपा है − अर्थात् मैं परमेश्वर के अनुग्रह के शुभ समाचार की साक्षी देता रहूँ।
2 कुरिन्थियों 4:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इस प्रकार हम में मृत्यु क्रियाशील है और आप लोगों में जीवन। पवित्र बाइबल इसी से मृत्यु हममें और जीवन तुममें सक्रिय है। Hindi Holy Bible सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इस प्रकार मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर। नवीन हिंदी बाइबल इस प्रकार मृत्यु हममें कार्य करती है, और जीवन तुममें। सरल हिन्दी बाइबल इस स्थिति में मृत्यु हममें सक्रिय है और जीवन तुममें. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इस कारण मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर। |
किन्तु मेरी दृष्टि में मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं। मैं तो केवल अपनी दौड़ समाप्त करना और वह सेवाकार्य पूरा करना चाहता हूँ, जिसे प्रभु येशु ने मुझे सौंपा है − अर्थात् मैं परमेश्वर के अनुग्रह के शुभ समाचार की साक्षी देता रहूँ।
हम मसीह के कारण मूर्ख हैं, किन्तु आप मसीह के समझदार अनुयायी हैं। हम दुर्बल हैं और आप बलवान हैं। आप लोगों को सम्मान मिल रहा है और हमें तिरस्कार।
मैं तो आप लोगों के लिए सहर्ष अपना सब कुछ खर्च करूँगा और अपने को भी अर्पित करूँगा। यदि मैं आप लोगों को इतना प्यार करता हूँ, तो क्या आप मुझे कम प्यार करेंगे?
जब, आप लोग समर्थ हैं, तो हम दुर्बल होना सहर्ष स्वीकार करते हैं। हम इसके लिए भी प्रार्थना करते हैं कि आप लोगों का सुधार हो।
हमें जीवित रहते हुए येशु के कारण निरन्तर मृत्यु का सामना करना पड़ता है, जिससे येशु का जीवन भी हमारे नश्वर शरीर में प्रत्यक्ष हो जाये।
धर्मग्रन्थ में लिखा है, “मैंने विश्वास किया और इसलिए मैं बोला।” हम विश्वास के उसी मनोभाव से प्रेरित हैं। हम विश्वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं।
यदि मुझे आपके विश्वास-रूपी यज्ञ और जन-सेवा में अपने प्राण की आहुति भी देनी पड़ेगी, तो मैं आनन्दित होऊंगा और आप सब के साथ आनन्द मनाऊंगा।
उसने मसीह के कार्य के लिए मृत्यु का सामना किया और अपने जीवन को जोखिम में डाला जिससे वह मेरे प्रति जन-सेवा का वह कार्य पूरा करे, जिसे आप लोग स्वयं करने में असमर्थ थे।
हम प्रेम का मर्म इसी से पहचान गये कि येशु ने हमारे लिए अपना प्राण अर्पित किया तो हमें भी अपने भाई-बहिनों के लिए अपना प्राण अर्पित करना चाहिए।