यहूदी धर्मगुरुओं ने उन्हें घेर लिया और कहा, “आप हमें कब तक असमंजस में रखे रहेंगे? यदि आप मसीह हैं, तो हमें स्पष्ट शब्दों में बता दीजिए।”
2 कुरिन्थियों 3:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अपनी इस आशा के कारण हम बड़ी निर्भीकता से बोलते हैं। पवित्र बाइबल अपनी इसी आशा के कारण हम इतने निर्भय हैं। Hindi Holy Bible सो ऐसी आशा रखकर हम हियाव के साथ बोलते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इसलिये ऐसी आशा रखकर हम हियाव के साथ बोलते हैं, नवीन हिंदी बाइबल अतः ऐसी आशा होने के कारण हम बड़े साहस के साथ बोलते हैं, सरल हिन्दी बाइबल इसी आशा के कारण हमारी बातें बिना डर की है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इसलिए ऐसी आशा रखकर हम साहस के साथ बोलते हैं। |
यहूदी धर्मगुरुओं ने उन्हें घेर लिया और कहा, “आप हमें कब तक असमंजस में रखे रहेंगे? यदि आप मसीह हैं, तो हमें स्पष्ट शब्दों में बता दीजिए।”
“मैंने तुम से यह सब रूपकों में कहा है। वह समय आ रहा है, जब मैं फिर तुम से रूपकों में कुछ नहीं कहूँगा, बल्कि तुम्हें स्पष्ट शब्दों में पिता के विषय में बताऊंगा।
येशु के शिष्यों ने उन से कहा, “देखिए, अब आप रूपकों में नहीं, बल्कि स्पष्ट शब्दों में बोल रहे हैं।
पौलुस तथा बरनबास बहुत समय तक वहां रहे और प्रभु पर भरोसा रख कर निर्भीकता-पूर्वक प्रचार करते रहे। प्रभु ने भी उनके हाथों द्वारा चिह्न तथा आश्चर्य-कर्म दिखा कर अपने अनुग्रह का सन्देश प्रमाणित किया।
पतरस और योहन की निर्भीकता देख कर और यह जानकर कि वे अशििक्षत तथा साधारण मनुष्य हैं, धर्म-महासभा के सदस्य अचम्भे में पड़ गये। फिर, वे पहचान गये कि ये तो येशु के साथ रह चुके हैं;
तब बरनबास उनको प्रेरितों के पास ले गये और बताया कि शाऊल ने मार्ग में किस प्रकार प्रभु के दर्शन किये और प्रभु ने उन से बात की। बरनबास ने उन्हें यह भी बताया कि किस प्रकार पौलुस ने दमिश्क में निर्भीकता से येशु के नाम का प्रचार किया।
वह यूनानी-भाषी यहूदियों से बात-चीत और बहस किया करते थे, किन्तु वे लोग उन्हें मार डालना चाहते थे।
किन्तु अध्यात्म भाषा में दस हजार शब्द बोलने की अपेक्षा मैं दूसरों को शिक्षा देने के लिए धर्मसभा में अपनी बुद्धि से पाँच शब्द बोलना ज्यादा पसन्द करूँगा।
मैं-पौलुस-मसीह की नम्रता और दयालुता के नाम पर आप लोगों से यह निवेदन कर रहा हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि मैं आप लोगों के सामने दीन-हीन हूँ, किन्तु दूर रहने पर निर्भीक।
धर्मग्रन्थ में लिखा है, “मैंने विश्वास किया और इसलिए मैं बोला।” हम विश्वास के उसी मनोभाव से प्रेरित हैं। हम विश्वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं।
मैं आप लोगों से खुल कर बातें करता हूँ। मैं आप लोगों पर बड़ा गर्व करता हूँ। इससे मुझे भरपूर सान्त्वना मिलती है और मेरे सब कष्टों में आनन्द उमड़ता रहता है।
अधिकांश भाई-बहिनों को मेरी कैद से बल मिला है। वे प्रभु पर भरोसा रख कर पहले से अधिक साहस के साथ निर्भीकता से परमेश्वर का वचन सुनाते हैं।
मेरी हार्दिक अभिलाषा और आशा यह है कि मुझे किसी बात पर लज्जित नहीं होना पड़े, वरन् मैं पूर्ण निर्भीकता से बोलूँ, जिससे सदा की भांति अब भी-चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊं-मसीह मेरी देह द्वारा महिमान्वित हों।
आप जानते हैं कि हमें कुछ समय पहले फिलिप्पी नगर में दुर्व्यवहार और अपमान सहना पड़ा था। फिर भी हमने अपने परमेश्वर पर भरोसा रख कर, घोर विरोध का सामना करते हुए, निर्भीकता से आप लोगों के बीच परमेश्वर के शुभ समाचार का प्रचार किया।
जो धर्मसेवक अपना सेवाकार्य अच्छी तरह पूरा करते हैं, वे प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं और येशु मसीह के विश्वास के विषय में निर्भीकता से बोल सकते हैं।
इसलिए, यद्यपि मसीह में निस्संकोच होकर मैं तुम्हें उचित कार्य करने का आदेश दे सकता हूँ,