मेघ के कारण पुरोहित सेवा-कार्यों को सम्पन्न करने में असमर्थ थे। वे वहां खड़े नहीं रह सके; क्योंकि प्रभु का तेज प्रभु के भवन में भर गया था।
2 इतिहास 5:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मेघ के कारण पुरोहित सेवा-कार्य न कर सके; वे वहां खड़े नहीं रह सके; क्योंकि प्रभु का तेज परमेश्वर के भवन में भर गया था। पवित्र बाइबल मेघ के कारण याजक सेवा कर न सके, इसका कारण था यहोवा की महिमा मन्दिर में भर गई थी। Hindi Holy Bible और बादल के कारण याजक लोग सेवा-टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज परमेश्वर के भवन में भर गया था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और बादल के कारण याजक लोग सेवा–टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज परमेश्वर के भवन में भर गया था। सरल हिन्दी बाइबल इसके कारण अपनी सेवा पूरी करने के लिए पुरोहित वहां ठहरे न रह सके, क्योंकि याहवेह के तेज से परमेश्वर का भवन भर गया था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और बादल के कारण याजक लोग सेवा-टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज परमेश्वर के भवन में भर गया था। (प्रका. 15:8, निर्ग. 40:35) |
मेघ के कारण पुरोहित सेवा-कार्यों को सम्पन्न करने में असमर्थ थे। वे वहां खड़े नहीं रह सके; क्योंकि प्रभु का तेज प्रभु के भवन में भर गया था।
‘हे हमारे पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर, क्या तू स्वर्ग में ईश्वर नहीं है? क्या तू सब जातियों के राज्यों पर शासन नहीं करता है? हे हमारे परमेश्वर, तेरे ही हाथ में सम्पूर्ण शक्ति और सामर्थ्य है, जिसके कारण कोई भी तेरा सामना नहीं कर सकता है।
जब राजा सुलेमान ने अपनी प्रार्थना समाप्त की तब आकाश से आग गिरी और उसने अग्नि-बलि तथा पशु-बलि को भस्म कर दिया, और प्रभु के तेज से मन्दिर परिपूर्ण हो गया।
पुरोहित प्रभु के भवन में प्रवेश न कर सके; क्योंकि प्रभु के तेज से उसका भवन भरा हुआ था।
मूसा मिलन-शिविर में प्रवेश नहीं कर सके; क्योंकि उस पर मेघ का वास था, और प्रभु की महिमा निवास-स्थान में भर गई थी।
उसी क्षण प्रभु का तेज करूबों के पास से भवन की ड्योढ़ी में चला गया, और सम्पूर्ण भवन बादल से ढक गया। आंगन प्रभु के तेज के प्रकाश से भर गया।
जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्य ज्योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है। उसे सम्मान प्राप्त हो तथा उसका सामर्थ्य युगानुयुग बना रहे! आमेन!
परमेश्वर की महिमा और उसके सामर्थ्य के कारण मन्दिर धूएँ से भर गया था और कोई तब तक मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सकता था, जब तक सात स्वर्गदूतों की सात विपत्तियाँ पूरी न हो जायें।