अबशालोम तथा सब इस्राएली सैनिकों ने कहा, ‘अर्की हूशय की सलाह अहीतोफल की सलाह से उत्तम है।’ प्रभु ने यह निश्चय किया था कि वह अहीतोफल की अच्छी सलाह को निष्फल कर देगा जिससे अबशालोम पर ही विपत्ति आए।
2 इतिहास 10:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पर रहबआम ने धर्मवृद्धों की सलाह, जो उन्होंने उसे दी थी, अस्वीकार कर दी। तब उसने उन युवकों से विचार-विमर्श किया, जो उसके साथ बड़े हुए थे और उसकी परिचर्या करते थे। पवित्र बाइबल किन्तु रहूबियाम ने बुजुर्गों की दी सलाह को स्वीकार नहीं किया। रहूबियाम ने उन युवकों से बात की जो उसके साथ युवा हुए थे और उसकी सेवा कर रहे थे। Hindi Holy Bible परन्तु उसने उस सम्मति को जो बूढ़ों ने उसको दी थी छोड़ दिया और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु उसने उस सम्मति को जो बूढ़ों ने उसको दी थी छोड़ दिया और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे। सरल हिन्दी बाइबल मगर रिहोबोयाम ने पुरनियों की इस सलाह को छोड़ दिया और जाकर उन युवाओं से सलाह ली, जो उसी के साथ बड़े हुए थे और जो उसके सेवक थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु उसने उस सम्मति को जो बूढ़ों ने उसको दी थी छोड़ दिया और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे। |
अबशालोम तथा सब इस्राएली सैनिकों ने कहा, ‘अर्की हूशय की सलाह अहीतोफल की सलाह से उत्तम है।’ प्रभु ने यह निश्चय किया था कि वह अहीतोफल की अच्छी सलाह को निष्फल कर देगा जिससे अबशालोम पर ही विपत्ति आए।
रहबआम ने उनसे पूछा, ‘तुम मुझे क्या सलाह देते हो? मैं उन लोगों को क्या उत्तर दूं? उन्होंने मुझसे निवेदन किया है कि मैं जूए के भार को, जो उनके कन्धे पर मेरे पिता ने रखा है, हलका कर दूं।’
जो मनुष्य बुद्धिमानों का सत्संग करता है, वह स्वयं बुद्धिमान बनता है; पर मूर्खों का साथी विपत्ति में पड़ता है।
डांट-डपट को माननेवाले मनुष्य के कान में ताड़ना के शब्द वैसे ही कीमती होते हैं, जैसे सोने की बाली अथवा स्वर्ण आभूषण।
अपने मित्र को, और अपने पिता के मित्र को कभी मत छोड़ना; अपने संकट के दिन अपने भाई के घर में पैर मत रखना। दूर रहनेवाले भाई से पास रहनेवाला पड़ोसी उत्तम है।
बुद्धिमान को शिक्षा दो तो वह और भी बुद्धिमान बनता है; धार्मिक मनुष्य को सीख दो तो वह अपनी विद्या बढ़ाता है।
ओ देश! धिक्कार है तुझे, यदि तेरा राजा अनुभव-हीन युवक है; और यदि तेरे सामन्त प्रात: से ही खाने-पीने में जुट जाते हैं।
प्रभु कहता है; “ओ विद्रोही पुत्रो, धिक्कार है तुम्हें! तुम योजना तो बनाते हो, परन्तु मेरी सम्मति से नहीं; तुम सन्धि तो करते हो, पर मेरे आत्मा की प्रेरणा से नहीं। यों तुम पाप पर पाप करे रहे हो।