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1 शमूएल 5:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

अत: उन्‍होंने दूत भेजे और पलिश्‍तियों के सामंतों को एकत्र किया। उन्‍होंने उनसे पूछा, ‘हमें इस्राएल के परमेश्‍वर की मंजूषा के साथ क्‍या करना चाहिए?’ सामंतों ने उत्तर दिया, ‘इस्राएल के परमेश्‍वर की मंजूषा को गत नगर भेज दो।’ अत: वे इस्राएल के परमेश्‍वर की मंजूषा को गत नगर ले गए।

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पवित्र बाइबल

अशदोद के लोगों ने पाँच पलिश्ती शासकों को एक साथ बुलाया। अशदोद के लोगों ने शासकों से पूछा, “हम लोग इस्राएल के परमेश्वर के पवित्र सन्दूक का क्या करें?” शासकों ने उत्तर दिया, “इस्राएल के परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को गत नगर ले जाओ।” अत: पलिश्तियों ने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को हटा दिया।

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Hindi Holy Bible

तब उन्होंने पलिश्तियों के सब सरदारों को बुलवा भेजा, और उन से पूछा, हम इस्राएल के देवता के सन्दूक से क्या करें? वे बोले, इस्राएल के परमेश्वर के सन्दूक को घूमाकर गत में पहुंचाया जाए। तो उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के सन्दूक को घुमाकर गत में पहुंचा दिया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब उन्होंने पलिश्तियों के सब सरदारों को बुलवा भेजा, और उनसे पूछा, “हम इस्राएल के देवता के सन्दूक से क्या करें?” वे बोले, “इस्राएल के देवता का सन्दूक घुमाकर गत नगर में पहुँचाया जाय।” अत: उन्होंने इस्राएल के परमेश्‍वर के सन्दूक को घुमाकर गत में पहुँचा दिया।

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सरल हिन्दी बाइबल

इसलिये उन्होंने फिलिस्तीनियों के सभी अगुओं को इकट्ठा किया और उनके सामने इस प्रश्न पर विचार किया गया, “इस्राएल के परमेश्वर के संदूक के विषय में क्या किया जाना सही होगा?” सबने कहा, “इस्राएल के परमेश्वर के संदूक को गाथ नगर भेज दिया जाना सही होगा.” तो इस्राएल के परमेश्वर के संदूक का स्थान बदलकर गाथ नगर कर दिया गया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब उन्होंने पलिश्तियों के सब सरदारों को बुलवा भेजा, और उनसे पूछा, “हम इस्राएल के देवता के सन्दूक से क्या करें?” वे बोले, “इस्राएल के देवता का सन्दूक घुमाकर गत नगर में पहुँचाया जाए।” अत: उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के सन्दूक को घुमाकर गत में पहुँचा दिया।

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1 शमूएल 5:8
11 क्रॉस रेफरेंस  

और तहत का पुत्र जाबाद था। जाबाद का पुत्र शूतेलह और शूतेलह के पुत्र एजेर और एलआद थे। गत नगर के निवासियों ने इनका वध किया था, क्‍योंकि ये उनके पशुओं का अपहरण करने गए थे।


कलनेह नगर को जाओ, और उसको देखो, और वहाँ से महानगर हमात को। तत्‍पश्‍चात् पलिश्‍ती देश के गत नगर को जाओ क्‍या तुम इन नगर-राज्‍यों से श्रेष्‍ठ हो? क्‍या तुम्‍हारी राज्‍य-सीमाएं इन राज्‍यों की सीमाओं से बड़ी हैं?


उस दिन विश्‍व की सब कौमों के लिए मैं यरूशलेम को भारी चट्टान बनाऊंगा। जो उसे उठाएगा, वह स्‍वयं को गम्‍भीर चोट पहुंचाएगा। विश्‍व के सब राष्‍ट्र संगठित रूप से उसे उठाने आएंगे।


मिस्र देश की सीमा पर शीहोर नदी से उत्तर में एक्रोन नगर-राज्‍य की सीमा के अन्‍तर्गत का भूमि-भाग कनानी जाति का देश माना जाता था। पलिश्‍ती जाति के पांच सामन्‍त गाजा, अश्‍दोद, एश्‍कलोन, गत और एक्रोन नगरों में रहते थे।) और दक्षिण में अव्‍वी जाति का प्रदेश।


सीमा-रेखा एक्रोन के उत्तर में पर्वत-श्रेणी को स्‍पर्श करती और शिक्रोन की ओर मुड़ जाती थी। वह बालाह पर्वत को पार करती, और यब्‍नएल पहुँचती थी। सीमा-रेखा भूमध्‍यसागर पर समाप्‍त हो जाती थी।


तब पलिश्‍ती पड़ाव से एक पराक्रमी योद्धा निकला। उसका नाम गोलयत था। वह गत नगर का रहने वाला था। उसकी ऊंचाई प्राय: तीन मीटर थी।


इस्राएल प्रदेश और यहूदा प्रदेश के सैनिकों ने युद्ध का नारा लगाया। वे तैयार हुए और उन्‍होंने गत नगर तथा एक्रोन नगर के प्रवेश-द्वार तक पलिश्‍ती सैनिकों का पीछा किया। घायल पलिश्‍ती सैनिक शअरइम नगर से गत नगर और एक्रोन नगर तक मार्ग पर बिछ गए।


आकीश ने दाऊद को बुलाया। उसने दाऊद से कहा, ‘जीवन्‍त प्रभु की सौगन्‍ध! तुम निष्‍ठावान हो। मेरी दृष्‍टि में यह उचित प्रतीत होता है कि तुम पड़ाव में मेरे साथ आओ-जाओ। जब से तुम मेरे पास आए हो तब से आज तक मैंने तुममें कोई बुराई नहीं पाई। फिर भी तुम पलिश्‍ती सामन्‍तों की दृष्‍टि में संदिग्‍ध हो।


अत: उन्‍होंने दूत भेजे, और पलिश्‍तियों के सामंतों को एकत्र किया। उन्‍होंने कहा, ‘आप लोग इस्राएल के परमेश्वर की मंजूषा को भेज दीजिए। यह अच्‍छा हो कि वह अपने स्‍थान को लौट जाए, और उसके कारण हम और हमारे लोग न मरें।’ समस्‍त नगर में मृत्‍यु-भय फैल गया था। वहाँ परमेश्‍वर का हाथ विकट रूप से उठा था।


जब अश्‍दोद के रहने वालों ने यह देखा तब उन्‍होंने कहा, ‘इस्राएल के परमेश्‍वर की मंजूषा हमारे साथ नहीं रहना चाहिए; क्‍योंकि उसका हाथ हमारे तथा हमारे दागोन देवता पर विकट रूप से उठा है।’


पलिश्‍ती लोगों ने अपने पुरोहित और भविष्‍यवाणी करनेवालों को बुलाया। उन्‍होंने उनसे पूछा, ‘हमें प्रभु की मंजूषा के साथ क्‍या करना चाहिए? हमें उसके साथ, उसके स्‍थान को क्‍या भेजना चाहिए?’