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1 तीमुथियुस 4:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

शरीर के व्‍यायाम से कुछ लाभ तो होता है, किन्‍तु भक्‍ति से जो लाभ मिलता है, वह असीम है; क्‍योंकि वह जीवन का आश्‍वासन देती है, इहलोक में भी और परलोक में भी।

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पवित्र बाइबल

क्योंकि शारीरिक साधना से तो थोड़ा सा ही लाभ होता है जबकि परमेश्वर की सेवा हर प्रकार से मूल्यवान है क्योंकि इसमें आज के समय और आने वाले जीवन के लिए दिया गया आशीर्वाद समाया हुआ है।

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Hindi Holy Bible

क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्‍ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।

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नवीन हिंदी बाइबल

क्योंकि शारीरिक व्यायाम से थोड़ा ही लाभ होता है, परंतु भक्‍ति सब बातों में लाभदायक है, और इसमें वर्तमान और आने वाले जीवन की प्रतिज्ञा पाई जाती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

शारीरिक व्यायाम सिर्फ थोड़े लाभ का है जबकि परमेश्वर भक्ति का लाभ सब बातों में है क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है—इस समय और आनेवाले जीवन, दोनों का.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

क्योंकि देह के प्रशिक्षण से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।

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1 तीमुथियुस 4:8
52 क्रॉस रेफरेंस  

‘क्‍या कोई व्यक्‍ति परमेश्‍वर के लिए लाभप्रद हो सकता है? जो बुद्धिमान है, वह केवल स्‍वयं को लाभ पहुँचाता है।


यदि धार्मिक मनुष्‍य उसकी बात पर ध्‍यान देते और वे उसकी सेवा करते हैं तो वे अपनी आयु के शेष दिन, शेष वर्ष सुख-समृद्धि में कुशलता से बिताते हैं।


वह अपने भक्‍तों की इच्‍छा पूर्ण करता है, वह उनकी दुहाई सुनता और उन्‍हें बचाता है।


दीन-गरीब लोग पृथ्‍वी के अधिकारी होंगे, वे अपार समृद्धि में आनन्‍द करेंगे।


धार्मिक मनुष्‍य पृथ्‍वी के अधिकारी होंगे। वे पृथ्‍वी पर सदा निवास करेंगे।


दुर्जन नष्‍ट किए जाएंगे; परन्‍तु जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे पृथ्‍वी के अधिकारी होंगे।


प्रभु परमेश्‍वर सूर्य और ढाल है, वह अनुग्रह और महिमा प्रदान करता है। जो सिद्ध मार्ग पर चलते हैं, प्रभु उनसे भली वस्‍तुएं नहीं रोकता।


प्रभु की भक्‍ति करने से जीवन प्राप्‍त होता है; जो मनुष्‍य प्रभु की भक्‍ति करता है वह निश्‍चिंत निवास करता है, उस पर विपत्ति के बादल नहीं मंडराते।


जो मनुष्‍य नम्र है, और प्रभु की भक्‍ति करता है, उसको प्रतिफल में मिलता है: धन, सम्‍मान और दीर्घ जीवन।


यद्यपि पापी मनुष्‍य सौ बार दुष्‍कर्म करता है, और उसे दण्‍ड नहीं मिलता, वह लम्‍बी उम्र तक जीवित रहता है, तथापि मैं यह जानता हूं कि परमेश्‍वर से डरनेवालों का अन्‍त में भला ही होता है। परमेश्‍वर उनका भला करता है, क्‍योंकि वे उससे डरते हैं।


धार्मिक व्यक्‍तियों से यह कहो, ‘चिन्‍ता मत करो, तुम्‍हारा भला होगा, तुम अपने परिश्रम का फल खाओगे।’


ये कार्य करनेवाला व्यक्‍ति उच्‍चस्‍थान पर निवास करेगा, उसके रक्षा-स्‍थान चट्टानी किले होंगे; उसे भोजन सदा मिलता रहेगा, उसे जल का अभाव कभी न होगा।


ओ यरूशलेम के निवासियो, शबा देश से लाया गया लोबान, दूर देश से लाए गए सुगन्‍धित द्रव्‍य मेरे किस काम के? इन्‍हें मुझे मत चढ़ाओ। मुझे तुम्‍हारी अग्‍नि-बलि स्‍वीकार नहीं है। मैं तुम्‍हारी पशु-बलि पसन्‍द नहीं करता हूं।’


जो कोई मानव-पुत्र के विरुद्ध कुछ कहेगा, उसे क्षमा मिल जाएगी; परन्‍तु जो पवित्र आत्‍मा के विरुद्ध बोलेगा, उसे क्षमा नहीं मिलेगी − न इहलोक में और न परलोक में।


और जिस किसी ने मेरे नाम के लिए घरबार, भाइयों, बहिनों, पिता, माता, बाल-बच्‍चों अथवा खेतों को छोड़ दिया है, वह सौ गुना पाएगा और शाश्‍वत जीवन का अधिकारी होगा।


तुम सब से पहले परमेश्‍वर के राज्‍य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएँ भी तुम्‍हें मिल जाएँगी।


और जो अब, इस लोक में सौ गुना न पाए−घर, भाई, बहिनें, माताएँ, बाल-बच्‍चे और खेत, साथ ही साथ अत्‍याचार और आनेवाले युग में शाश्‍वत जीवन।


नये दाखरस को नयी मशकों में ही भरना चाहिए।


हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं और उसके उद्देश्‍य के अनुसार बुलाये गये हैं, परमेश्‍वर उनके कल्‍याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है;


चाहे वह पौलुस, अपुल्‍लोस अथवा कैफा हो, संसार हो, जीवन अथवा मृत्‍यु हो, भूत अथवा भविष्‍य हो-वह सब आपका ही है।


“भोजन हमें परमेश्‍वर के निकट नहीं पहुंचा सकता।” यदि हम उसे नहीं खाते तो उससे हमें कोई हानि नहीं और यदि हम उसे खाते हैं, तो उससे हमें कोई लाभ नहीं।


अधार्मिक एवं निस्‍सार कल्‍पित कथाओं से दूर रहो और भक्‍ति की साधना में लगे रहो।


यदि कोई भिन्न शिक्षा देता है और हमारे प्रभु येशु मसीह के हितकारी उपदेशों में और भक्‍ति-सम्‍मत शिक्षा में मन नहीं लगाता,


और निरन्‍तर झगड़े उत्‍पन्न होते हैं। यह सब ऐसे लोगों के योग्‍य है, जिनका मन विकृत और सत्‍य से वंचित हो गया है और यह समझते हैं कि भक्‍ति लाभ का एक साधन है।


वैसे भक्‍ति है भी महान लाभ का साधन, यदि वह संतोष से युक्‍त हो।


वे भक्‍ति का स्‍वांग तो रचेंगे ही, किन्‍तु इसका वास्‍तविक स्‍वरूप अस्‍वीकार करेंगे। तुम ऐसे लोगों से दूर रहो।


यह बात विश्‍वसनीय है और मैं चाहता हूँ कि तुम इस पर बल देते रहो। जो लोग परमेश्‍वर में विश्‍वास कर चुके हैं, वे भले कामों में लगे रहने के लिए उत्‍सुक हों। यह उत्तम है और मनुष्‍यों के लिए लाभदायक भी।


नाना प्रकार के अनोखे सिद्धान्‍तों के फेर में नहीं पड़ें। उत्तम यह है कि हमारा मन भोजन से नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की कृपा से बल प्राप्‍त करे। भोजन-सम्‍बन्‍धी निषेध-विधियों का पालन करने वालों को इन से लाभ नहीं हुआ।


मसीह ने हम से जो प्रतिज्ञा की, वह है-शाश्‍वत जीवन।


“यदि तुम विजय प्राप्‍त करोगे तो मैं तुम को अपने परमेश्‍वर के मन्‍दिर का स्‍तम्‍भ बनाऊंगा। वह फिर कभी उसके बाहर नहीं जायेगा। मैं अपने परमेश्‍वर का नाम, अपने परमेश्‍वर के नगर, उस नवीन यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के यहाँ से स्‍वर्ग से उतरने वाला है और अपना नया नाम भी उस पर अंकित करूँगा।


“जो विजय प्राप्‍त करता है, उसको मैं उसी तरह अपने साथ अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजय प्राप्‍त कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमन हूँ।


किन्‍तु शमूएल ने यह कहा : ‘जैसे प्रभु अपनी आज्ञा का पालन किये जाने पर प्रसन्न होता है, क्‍या वैसे वह अग्‍नि-बलि और पशुओं की बलि से प्रसन्न होता है? देख, प्रभु की आज्ञा मानना पशु की बलि चढ़ाने से श्रेष्‍ठ है! उसकी बात पर ध्‍यान देना मेढ़े की चर्बी चढ़ाने से उत्तम है।