इस्राएल के पहरेदार अन्धे हैं; वे सबके सब अज्ञानी हैं। वे गूंगे कुत्ते हैं, जो भौंक नहीं सकते। उन्हें पड़े-पड़े नींद में स्वप्न देखता प्रिय है।
1 तीमुथियुस 3:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) धर्माध्यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्दनीय, पत्नीव्रती, संयमी, समझदार, भद्र, अतिथिप्रेमी और कुशल शिक्षक हो। पवित्र बाइबल अब देखो उसे एक ऐसा जीवन जीना चाहिए जिसकी लोग न्यायसंगत आलोचना न कर पायें। उसके एक ही पत्नी होनी चाहिए। उसे शालीन होना चाहिए, आत्मसंयमी, सुशील तथा अतिथिसत्कार करने वाला एवं शिक्षा देने में निपूण होना चाहिए। Hindi Holy Bible सो चाहिए, कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, पहुनाई करने वाला, और सिखाने में निपुण हो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यह आवश्यक है कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, अतिथि–सत्कार करनेवाला, और सिखाने में निपुण हो। नवीन हिंदी बाइबल इसलिए आवश्यक है कि अध्यक्ष निर्दोष, एक ही पत्नी का पति, संयमी, समझदार, सम्माननीय, अतिथि-सत्कार करनेवाला और सिखाने में निपुण हो; सरल हिन्दी बाइबल इसलिये आवश्यक है कि अध्यक्ष प्रशंसनीय, एक पत्नी का पति, संयमी, विवेकी, सम्मान योग्य, अतिथि-सत्कार करनेवाला तथा निपुण शिक्षक हो, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यह आवश्यक है कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, अतिथि-सत्कार करनेवाला, और सिखाने में निपुण हो। |
इस्राएल के पहरेदार अन्धे हैं; वे सबके सब अज्ञानी हैं। वे गूंगे कुत्ते हैं, जो भौंक नहीं सकते। उन्हें पड़े-पड़े नींद में स्वप्न देखता प्रिय है।
वे दोनों परमेश्वर की दृष्टि में धार्मिक थे। वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोष अनुसरण करते थे।
हन्नाह नाम एक नबिया थी जो अशेर-वंशी फ़नूएल की पुत्री थी। वह बहुत बूढ़ी थी। वह विवाह के बाद केवल सात वर्ष अपने पति के साथ रही
जिससे आप निष्कपट और निर्दोष बने रहें और इस कुटिल एवं पथभ्रष्ट पीढ़ी के बीच परमेश्वर की निष्कलंक सन्तान बन कर आकाश के तारों की तरह चमकें
जो विवाह का निषेध करते हैं और कुछ भोज्य वस्तुओं से परहेज करने का आदेश देते हैं−यद्यपि परमेश्वर ने उन वस्तुओं की सृष्टि इसलिए की है कि सत्य जानने वाले विश्वासी धन्यवाद देते हुए उन्हें ग्रहण करें।
और अपने भले कामों के कारण नेकनाम हो, जिसने अपने बच्चों का अच्छा पालन-पोषण किया हो, अतिथियों की सेवा की हो, सन्तों के पैर धोये हों, दीन-दुखियों की सहायता की हो, अर्थात् हर प्रकार के परोपकार में लगी रही हो।
तुम उचित विचार किये बिना किसी पर हस्तारोपण मत करो और दूसरों के पापों के सहभागी मत बनो। अपने को शुद्ध बनाये रखो।
विधवाओं की सूची में उसी का नाम लिखा जाये, जो साठ वर्ष से कम की न हो और जो पतिव्रता पत्नी रह चुकी हो
और प्रभु के सेवक को झगड़ालू नहीं, बल्कि सबके प्रति मिलनसार तथा सहनशील होना चाहिए। वह शिक्षा देने के लिए तैयार रहे
वृद्धों को समझाओ कि उन्हें संयमी, गम्भीर एवं समझदार होना चाहिए और विश्वास, भ्रातृ-प्रेम एवं धैर्य में परिपक्व।
आप लोग आतिथ्य-सत्कार भूलें नहीं, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है।
हम तो मसीह के भागीदार बन गये हैं, बशर्ते हम अपना आधारभूत विश्वास अन्त तक अक्षुण्ण बनाये रखें।
आप संयम रखें और जागते रहें! आपका विरोधी, शैतान, दहाड़ते हुए सिंह की तरह विचरता है और ढूँढ़ता रहता है कि किसे फाड़ खाये।