1 कुरिन्थियों 14:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) किन्तु जो नबूवत करता है, वह मनुष्यों से आध्यात्मिक निर्माण, प्रोत्साहन और सान्त्वना की बातें करता है। पवित्र बाइबल किन्तु वह जिसे परमेश्वर की ओर से बोलने का वरदान प्राप्त है, वह लोगों से उन्हें आत्मा में दृढ़ता, प्रोत्साहन और चैन पहुँचाने के लिए बोल रहा है। Hindi Holy Bible परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति, और उपदेश, और शान्ति की बातें कहता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति और उपदेश और शान्ति की बातें कहता है। नवीन हिंदी बाइबल परंतु जो भविष्यवाणी करता है वह मनुष्यों से उन्नति, प्रोत्साहन और सांत्वना की बातें कहता है। सरल हिन्दी बाइबल किंतु वह, जो भविष्यवाणी करता है, आत्मिक उन्नति, प्रोत्साहन तथा धीरज के लिए मनुष्यों को संबोधित करता है; इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति, और उपदेश, और शान्ति की बातें कहता है। |
व्यवस्था तथा नबियों का पाठ समाप्त हो जाने पर सभागृह के अधिकारियों ने उन्हें यह कहला भेजा, “भाइयो! यदि लोगों के प्रोत्साहन के लिये आप कुछ कहना चाहते हैं, तो कहिए।”
वे शिष्यों का मन सुदृढ़ करते और उन्हें विश्वास में स्थिर रहने के लिए प्रोत्साहित करते थे, और कहते थे कि हमें बहुत-से कष्ट सह कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना है।
यहूदा और सीलास स्वयं नबी थे। उन्होंने भी भाई-बहिनों को देर तक सम्बोधित कर प्रोत्साहित और विश्वास में दृढ़ किया।
उदाहरण के लिये यूसुफ नामक एक व्यक्ति था। वह लेवी वंश का था। उसका जन्म कुप्रुस द्वीप में हुआ था। प्रेरितों ने उसका उपनाम बरनबास अर्थात् “सान्त्वना-पुत्र” रखा था।
अब समस्त यहूदा, गलील तथा सामरी प्रदेशों में कलीसिया को शान्ति मिली और उसका निर्माण होता रहा। वह प्रभु के भय में आचरण करती हुई और पवित्र आत्मा की सान्त्वना प्राप्त कर वृद्धि करती गई।
उपदेशक उपदेश देने में लगे रहें। दान देने वाला उदारता से दे, अधिकारी यत्नपूर्वक नेतृत्व करे और परोपकारक सहर्ष परोपकार करे।
हम ऐसी बातों में लगे रहें, जिन से शान्ति को बढ़ावा मिलता है और जिनके द्वारा हम एक-दूसरे का निर्माण कर सकें।
हम में प्रत्येक को अपने पड़ोसी की भलाई तथा चरित्र-निर्माण के लिए उसकी सुख-सुविधा का ध्यान रखना चाहिए।
“सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्तु सब कुछ हितकर नहीं। “सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्तु सब कुछ से निर्माण नहीं होता।
आप के विषय में भी यही बात है।आप लोग आध्यात्मिक वरदानों की धुन में रहते हैं; इसलिए ऐसे वरदानों से सम्पन्न होने का प्रयत्न करें, जो कलीसिया के आध्यात्मिक निर्माण में सहायक हों।
आपका धन्यवाद भले ही सुन्दर हो, किन्तु इससे दूसरे व्यक्ति का आध्यात्मिक निर्माण नहीं होता।
इसका निष्कर्ष क्या है? हे भाइयो और बहिनो! जब-जब आप आराधना हेतु एकत्र होते हैं, तो कोई भजन सुनाता है, कोई शिक्षा देता है, कोई अपने पर प्रकट किया हुआ सत्य बताता है, कोई अध्यात्म भाषा में बोलता है और कोई उसकी व्याख्या करता है; किन्तु यह सब आध्यात्मिक निर्माण के लिए होना चाहिए।
आप सभी लोग नबूवत कर सकते हैं, किन्तु आप एक-एक कर के बोलें, जिससे सब को शिक्षा और प्रोत्साहन मिले।
अब मूर्तियों को अर्पित मांस के विषय में। इसके संबंध में हम सब को ज्ञान प्राप्त है-यह मानी हुई बात है; किन्तु वह ‘ज्ञान’ मनुष्य को अहंकारी बनाता है, जब कि प्रेम निर्माण करता है।
वह सब कष्टों में हमें सान्त्वना देता रहता है, जिससे परमेश्वर की ओर से हमें जो सान्त्वना मिलती है, उसी के द्वारा हम दूसरों को भी, उनके हर प्रकार के कष्ट में सान्त्वना देने के लिए, समर्थ हो जायें;
अब आप को ही उसे क्षमा और सान्त्वना देनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वह अत्यधिक दु:ख में डूब जाये।
आपके मुख से कोई अश्लील बात नहीं, बल्कि ऐसे शब्द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्याण में सहायक हों।
मैं उन्हें इसलिए आप लोगों के पास भेज रहा हूँ कि आप मेरे विषय में पूरा समाचार जान जायें और इसलिए भी कि वह आप के हृदय को ढाढ़स बंधायें।
मैं उन्हें आप लोगों के पास इसलिए भेज रहा हूँ कि आप हमारे विषय में पूरा समाचार जानें और इसलिए भी कि आप को प्रोत्साहन दें।
हमारा आग्रह न तो भ्रम पर आधारित है, न दूषित अभिप्राय से प्रेरित है और न उस में कोई छल-कपट है।
और मसीह के शुभ समाचार के प्रचार में परमेश्वर के सहयोगी अपने भाई तिमोथी को आपके यहाँ भेजा कि वह आपको धैर्य बँधायें और विश्वास में दृढ़ बनाये रखें,
भाइयो और बहिनो! आप लोग हमसे यह शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं कि किस प्रकार आचरण करना और परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहिए, और आप इसके अनुसार चलते भी हैं। अन्त में, हम प्रभु येशु के नाम पर आपसे आग्रह के साथ अनुनय करते हैं कि आप इस विषय में और आगे बढ़ते जायें।
हम ऐसे लोगों को प्रभु येशु मसीह के नाम पर यह आदेश देते हैं और उन से अनुरोध करते हैं कि वे चुपचाप काम करते रहें और अपनी कमाई की रोटी खायें।
और कल्पित कथाओं एवं अंतहीन वंशावलियों के फेर में नहीं पड़ें। इन से वाद-विवाद को बढ़ावा मिलता है, किन्तु उस ईश्वरीय प्रबन्ध का ज्ञान प्राप्त नहीं होता, जो विश्वास पर आधारित है।
जिनके स्वामी विश्वास में उनके भाई हैं, वे इसके कारण उनका कम आदर नहीं करें, बल्कि और अच्छी तरह उनकी सेवा करें; क्योंकि जो लोग उनकी शुभ सेवा से लाभ उठाते हैं, वे विश्वासी और प्रिय भाई-बहिन हैं। तुम इन बातों की शिक्षा और उपदेश दिया करो।
शुभ संदेश सुनाओ, समय-असमय लोगों से आग्रह करते रहो। बड़े धैर्य से तथा शिक्षा देने के उद्देश्य से लोगों को समझाओ, डांटो और प्रोत्साहित करो;
वह धर्मसमत्त विश्वसनीय वचन पर दृढ़ रहे, जिससे वह हितकारी शिक्षा द्वारा उपदेश दे सके और आपत्ति करनेवालों को निरुत्तर कर सके।
तुम इन बातों की शिक्षा देते हुए उपदेश दिया करो और अधिकारपूर्वक लोगों को समझाओ। कोई तुम्हारा तिरस्कार नहीं करे।
दासों को समझाओ कि वे सब बातों में अपने स्वामियों के अधीन रहें, उनको संतुष्ट रखें; आपत्ति किये बिना उनकी आज्ञाएँ मानें
हम अपनी सभाओं में एकत्र होना न छोड़ें, जैसा कि कुछ लोग किया करते हैं, बल्कि हम एक दूसरे को ढाढ़स बंधाएं। जब आप उस दिन को निकट आते देख रहे हैं, तो ऐसा करना और भी आवश्यक हो जाता है।
भाइयो एवं बहिनो! आप से अनुरोध है कि आप मेरे प्रोत्साहन के इन वचनों को धीरज के साथ स्वीकार करें। मैंने संक्षेप में ही आप को यह पत्र लिखा है।
जब तक “आज” बना रहता है, आप लोग प्रतिदिन एक दूसरे को प्रोत्साहन देते जायें, जिससे कोई भी पाप के फन्दे में पड़ कर कठोर न बने।
मैंने आप लोगों को यह संिक्षप्त पत्र सिलवानुस से लिखवाया है, जिन को मैं अपना विश्वसनीय भाई मानता हूँ। मैं आप को समझाता हूं, और विश्वास दिलाता हूँ कि इस में जो लिखा हुआ है, वह परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह है। उस अनुग्रह में सुदृढ़ बने रहें।
किन्तु प्रिय भाइयो और बहिनो! आप अपने परमपावन विश्वास की नींव पर अपने जीवन का निर्माण करें। पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते रहें।