इस्राएली जाति के लोग आज तक पशु के कूल्हे की नस को, जो जांघ के जोड़ों पर होती है, नहीं खाते; क्योंकि उस मनुष्य ने याकूब की जांघ में कूल्हे की नस को स्पर्श किया था।
1 इतिहास 13:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) दाऊद को क्रोध आया; क्योंकि प्रभु ऊज्जा पर टूट पड़ा था। इस कारण उस स्थान को आज भी पेरस-ऊज्जाह कहा जाता है। पवित्र बाइबल परमेश्वर ने अपना क्रोध उज्जा पर दिखाया और इससे दाऊद क्रोधित हुआ। उस समय से अब तक वह स्थान “पेरेसुज्जा” कहा जाता है। Hindi Holy Bible तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिये कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिये कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है। सरल हिन्दी बाइबल उज्जा पर याहवेह के इस क्रोध पर दावीद गुस्सा हो गए. वह स्थान आज तक पेरेज़-उज्जा कहा जाता है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिए कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है। |
इस्राएली जाति के लोग आज तक पशु के कूल्हे की नस को, जो जांघ के जोड़ों पर होती है, नहीं खाते; क्योंकि उस मनुष्य ने याकूब की जांघ में कूल्हे की नस को स्पर्श किया था।
ऊज्जाह के प्रति प्रभु का क्रोध भड़क उठा। परमेश्वर ने उसकी इस असावधानी के कारण वहीं उस पर प्रहार किया, और वह परमेश्वर की मंजूषा के पास ही मर गया।
ऊज्जा के प्रति प्रभु का क्रोध भड़क उठा। उसने उस पर प्रहार किया, और वह परमेश्वर के सम्मुख मर गया; क्योंकि उसने हाथ बढ़ाकर मंजूषा को पकड़ा था।
उस दिन दाऊद परमेश्वर से डर गया। उसने कहा, ‘मैं कैसे परमेश्वर की मंजूषा को अपने पास रख सकता हूँ?’
हमारा प्रभु परमेश्वर पहली बार हम पर इसलिए टूट पड़ा था; क्योंकि आप लोग उसकी मंजूषा को उठाकर नहीं लाए थे। इसके अतिरिक्त हमने विधि के अनुसार कार्य नहीं किया था और उसकी उपेक्षा की थी।’
तब परमेश्वर ने योना से पूछा, ‘क्या यह उचित है कि तू अंडी के पेड़ के कारण नाराज हो?’ योना ने उत्तर दिया, ‘मेरा क्रोध उचित है। इसलिए मैं नाराज हूं। मैं मर जाना चाहता हूं।’
प्रभु ने बेत-पओर के सम्मुख मोआब देश की घाटी में मूसा को गाड़ दिया। परन्तु आज तक कोई व्यक्ति नहीं जानता है कि मूसा की कबर कहां है।
यहोशुअ ने यर्दन नदी के मध्य उस स्थान पर, जहां विधान की मंजूषा वहन करनेवाले पुरोहितों ने पैर रखे थे, बारह पत्थर प्रतिष्ठित किए (वे आज भी वहां हैं)।