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सभोपदेशक 12:8 - पवित्र बाइबल

सब कुछ बेकार है, उपदेशक कहता है कि सब कुछ व्यर्थ है!

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Hindi Holy Bible

उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

सभा-उपदेशक यह कहता है: सब व्‍यर्थ है, सब निस्‍सार है। निस्‍सन्‍देह सब कुछ व्‍यर्थ है!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।

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नवीन हिंदी बाइबल

उपदेशक कहता है, “व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है!”

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सरल हिन्दी बाइबल

“बेकार! ही बेकार है!” दार्शनिक कहता है, “सब कुछ बेकार है!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।

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सभोपदेशक 12:8
10 क्रॉस रेफरेंस  

सचमुच लोग कोई मदद नहीं कर सकते। सचमुच तुम उनके भरोसे सहायता पाने को नहीं रह सकते! परमेश्वर की तुलना में वे हवा के झोंके के समान हैं।


ये उपदेशक के शब्द हैं। उपदेशक दाऊद का पुत्र था और यरूशलेम का राजा था।


मैं, जो कि एक उपदेशक हूँ, यरूशलेम में इस्राएल का राजा हुआ करता था और आज भी हूँ।


इस पृथ्वी पर की सभी वस्तुओं पर मैंने दृष्टि डाली और देखा कि यह सब कुछ व्यर्थ है। यह वैसा ही है जैसा वायु को पकड़ना।


मैंने यह जानने का निश्चय किया कि मूर्खतापूर्ण चिन्तन से विवेक और ज्ञान किस प्रकार श्रेष्ठ हैं। किन्तु मुझे ज्ञात हुआ कि विवेकी बनने का प्रयास वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न।


उपदेशक का कहना है कि हर वस्तु अर्थहीन है और अकारथ है! मतलब यह कि हर बात व्यर्थ है!


इसके कारण मुझे जीवन से घृणा हो गई। इस विचार से मैं बहुत दुःखी हुआ कि इस जीवन में जो कुछ है सब व्यर्थ है। बिल्कुल वैसा ही जैसे वायु को पकड़ने की कोशिश करना।


फिर मैंने सोचा, “लोग इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं?” मैंने देखा है कि लोग सफल होने और दूसरे लोगों से और अधिक ऊँचा होने के प्रयत्न में लगे रहते हैं। ऐसा इसलिये होता है कि लोग ईष्यालु हैं। वे नहीं चाहते कि जितना उनके पास है, दूसरे के पास उससे अधिक हो। यह सब अर्थहीन है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ना।


कौन जानता है कि इस धरती पर मनुष्य के छोटे से जीवन में उसके लिये सबसे अच्छा क्या है? उसका जीवन तो छाया के समान ढल जाता है। बाद में क्या होगा कोई नहीं बता सकता।


आत्मा को इस देह को छोड़कर जाने से कोई नहीं रोके रख सकता है। अपनी मृत्यु को रोक दें, ऐसी शक्ति तो किसी भी व्यक्ति में नहीं है। जब युद्ध चल रहा हो तो किसी भी सैनिक को यह स्वतंत्रता नहीं है कि वह जहाँ चाहे वहाँ चला जाये। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति पाप करता है तो वह पाप उस व्यक्ति को स्वतंत्रत नहीं रहने देता।