सभोपदेशक 1:2 - पवित्र बाइबल2 उपदेशक का कहना है कि हर वस्तु अर्थहीन है और अकारथ है! मतलब यह कि हर बात व्यर्थ है! अध्याय देखेंHindi Holy Bible2 उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)2 सभा-उपदेशक यह कहता है: सब व्यर्थ है, सब निस्सार है। निस्सन्देह सब व्यर्थ है, सब निस्सार है; सब कुछ व्यर्थ है! अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)2 उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” अध्याय देखेंनवीन हिंदी बाइबल2 उपदेशक कहता है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है!” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल2 “बेकार ही बेकार!” दार्शनिक का कहना है. “बेकार ही बेकार! बेकार है सब कुछ.” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20192 उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” अध्याय देखें |
एक व्यक्ति अपनी बुद्धि, अपने ज्ञान और अपनी चतुराई का प्रयोग करते हुए कठिन परिश्रम कर सकता हैं। किन्तु वह व्यक्ति तो मर जायेगा और जिन वस्तुओं के लिये उस व्यक्ति ने कठिन परिश्रम किया था, वे किसी दूसरे ही व्यक्ति को मिल जायेंगी। उन व्यक्तियों ने वस्तुओं के लिये कोई काम तो नहीं किया था, किन्तु उन्हें वह सभी कुछ हासिल हो जायेगा। इससे मुझे बहुत दुःख होता है। यह न्यायपूर्ण तो नहीं है। यह तो विवेकपूर्ण नहीं है।
यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को प्रसन्न करता है तो परमेश्वर उसे बुद्धि, ज्ञान और आनन्द प्रदान करता है। किन्तु वह व्यक्ति जो उसे अप्रसन्न करता है, वह तो बस वस्तुओं के संचय और उन्हें ढोने का ही काम करता रहेगा। परमेश्वर बुरे व्यक्तियों से लेकर अच्छे व्यक्तियों को देता रहता है। इस प्रकार यह समग्र कर्म व्यर्थ है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना।
फिर मैंने सोचा, “लोग इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं?” मैंने देखा है कि लोग सफल होने और दूसरे लोगों से और अधिक ऊँचा होने के प्रयत्न में लगे रहते हैं। ऐसा इसलिये होता है कि लोग ईष्यालु हैं। वे नहीं चाहते कि जितना उनके पास है, दूसरे के पास उससे अधिक हो। यह सब अर्थहीन है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ना।
एक व्यक्ति परिवार विहीन हो सकता है। हो सकता है उसके कोई पुत्र और यहाँ तक कि कोई भाई भी न हो किन्तु वह व्यक्ति कठिन से कठिन परिश्रम करने में लगा रहता है और जो कुछ उसके पास होता है, उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। सो मैं भी इतनी कड़ी मेहनत क्यों करता हूँ? मैं स्वयं अपने जीवन का आनन्द क्यों नहीं लेता हूँ? अब देखो यह भी एक दुःख भरी और व्यर्थ की बात है।