व्यवस्थाविवरण 26:12 - पवित्र बाइबल
“जब तुम सारा दशमांश जो तीसरे वर्ष (दशमांश का वर्ष) तुम्हारी फ़सल का दिया जाना है, दे चुको तब तुम्हें लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को इसे देना चाहिए। तब हर एक नगर में वे खा सकते हैं और सन्तुष्ट किये जा सकते हैं।
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और जितने अच्छे पदार्थ तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे और तेरे घराने को दे, उनके कारण तू लेवीयों और अपने मध्य में रहने वाले परदेशियों सहित आनन्द करना॥
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‘जब तू तीसरे वर्ष, अर्थात् दशमांश वर्ष में, अपनी उपज का समस्त दशमांश लेवीय जन, प्रवासी, पितृहीन और विधवा को चुका देगा कि वे तेरे नगर में भर पेट भोजन करें
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“तीसरे वर्ष जो दशमांश देने का वर्ष ठहरा है, जब तू अपनी सब भाँति की बढ़ती के दशमांश को निकाल चुके, तब उसे लेवीय, परदेशी, अनाथ, और विधवा को देना, कि वे तेरे फाटकों के भीतर खाकर तृप्त हों;
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जब तृतीय साल में, जो दसवें अंश का साल है, तुम अपना समग्र दसवां अंश दे चुको, तब तुम यह उस लेवी को, उस प्रवासी को, अनाथ, और विधवा को दे दोगे, जिससे वे तुम्हारे साथ नगर में इसका उपभोग करते हुए संतुष्ट रह सकें.
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“तीसरे वर्ष जो दशमांश देने का वर्ष ठहरा है, जब तू अपनी सब भाँति की बढ़ती के दशमांश को निकाल चुके, तब उसे लेवीय, परदेशी, अनाथ, और विधवा को देना, कि वे तेरे फाटकों के भीतर खाकर तृप्त हों;
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