11 तब तुम उन सभी चीज़ों का आनन्द से उपभोग कर सकते हो जिसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें और तुम्हारे परिवार को दिया है। लेवीवंशी और वे विदेशी जो तुम्हारे बीच रहते हैं तुम्हारे साथ इन चीजों का आनन्द ले सकते हैं।
11 उसके बाद अपनी समस्त अच्छी वस्तुओं के लिए जो तेरे प्रभु परमेश्वर ने तुझे दी हैं, अपने परिवार, लेवीय जन और तेरे मध्य रहने वाले प्रवासी के साथ तू आनन्द मनाना।
11 तुम, वह लेवीगोत्रज और वह परदेशी, जो तुम्हारे बीच रह रहा है, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दी सारी उत्तम वस्तुओं के लिए अपने परिवार के साथ उल्लास मनाओगे.
उस स्थान पर जाओ जिसे यहोवा अपने विशेष निवास के रूप में चुनेगा। वहाँ तुम और तुम्हारे लोग, यहोवा अपने परमेश्वर के साथ आनन्द का समय बिताएंगे। अपने सभी लोगों, अपने पुत्रों, अपनी पुत्रियों और अपने सभी सेवकों को वहाँ ले जाओ और अपने नगर में रहने वाले लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को भी साथ में ले जाओ।
तुम और तुम्हारे परिवार वहाँ भोजन करेंगे और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर वहाँ तुम्हारे साथ होगा। जिन अच्छी चीजों के लिये तुमने काम किया है उसका भोग तुम करोगे, क्योंकि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको आशीर्वाद दिया है।
मेरे दासों के मन खरे हैं इसलिये वे प्रसन्न होंगे। किन्तु अरे ओ दुष्टों, तुम रोया करोगे क्योंकि तुम्हारे मनों में पीड़ा बसेगी। तुम अपने टूटे हुए मन से बहुत दु:खी रहोगे।
उस स्थान पर तुम अपने सभी लोगों, अपने बच्चों, सभी सेवकों और अपने नगर में रहने वाले सभी लेवीवंशियों के साथ इकट्ठे होओ। (ये लेवीवंशी अपने लिए भूमि का कोई भाग नहीं पाएंगे।) यहोवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ आनन्द मनाओ।
तुम्हें उन भेंटों को केवल उसी स्थान पर खाना चाहिए जहाँ यहोवा तुम्हारा पमेश्वर तुम्हारे साथ हो। अर्थात् यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिस स्थान को चुने। तुम्हें वहीं जाना चाहिए और अपने पुत्रों, पुत्रियों, सभी सेवकों और तुम्हारे नगर में रहने वाले लेवीवंशियों के साथ मिलकर खाना चाहिए। यहोवा अपने परमेश्वर के साथ वहाँ आनन्द मनाओ। जिन चीज़ों के लिए काम किया है उनका आनन्द लो।
नहेमायाह ने कहा, “जाओ, और जाकर उत्तम भोजन और शर्बत का आनन्द लो। और थोड़ा खाना और शर्बत उन लोगों को भी दो जो कोई खाना नहीं बनाते हैं। आज यहोवा का विशेष दिन है। दु:खी मत रहो! क्यों? क्योंकि परमेश्वर का आनन्द तुम्हें सुदृढ़ बनायेगा।”
मैंने तो यह देखा है कि मनुष्य जो कर सकता है उसमें सबसे उत्तम यह है—एक व्यक्ति को चाहिये कि वह खाए—पीए और जिस काम को वह इस धरती पर अपने छोटे से जीवन के दौरान करता है उसका आनन्द ले। परमेश्वर ने ये थोड़े से दिन दिये हैं और बस यही तो उसके पास है।
जब जीवन उत्तम है तो उसका रस लो किन्तु जब जीवन कठिन है तो याद रखो कि परमेश्वर हमें कठिन समय देता है और अच्छा समय भी देता है और कल क्या होगा यह तो कोई भी नहीं जानता।