तब मैंने (यहेजकेल) आश्चर्य से कहा, “किन्तु मेरे स्वामी यहोवा, मैंने अपवित्र भोजन कभी नहीं खाया। मैंने कभी उस जानवर का माँस नहीं खाया, जो किसी रोग से मरा हो या जिसे जंगली जानवर ने मार डाला हो। मैंने बाल्यावस्था से लेकर अब तक कभी अपवित्र माँस नहीं खाया है। मेरे मुँह में कोई भी वैसा बुरा माँस कभी नहीं गया है।”
दानिय्येल राजा के उत्तम भोजन और दाखमधु को ग्रहण करना नहीं चाहता था। दानिय्येल नहीं चाहता था कि वह उस भोजन और उस दाखमधु से अपने आपको अशुद्ध कर ले। सो उसने इस प्रकार अपने आपको अशुद्ध होने से बचाने के लिये अशपनज से विनती की।
हर प्रकार की विचित्र शिक्षाओं से भरमाये मत जाओ। तुम्हारे मनों के लिए यह अच्छा है कि वे अनुग्रह के द्वारा सुदृढ़ बने न कि खाने पीने सम्बन्धी नियमों को मानने से, जिनसे उनका कभी कोई भला नहीं हुआ, जिन्होंने उन्हें माना।