मैंने उन्हें प्रेम किया, वे मुझसे बैर करते हैं। इसलिए, परमेश्वर अब मैं तुझ से प्रार्थना कर रहा हूँ।
मरकुस 1:35 - पवित्र बाइबल अँधेरा रहते, सुबह सवेरे वह घर छोड़ कर किसी एकांत स्थान पर चला गया जहाँ उसने प्रार्थना की। Hindi Holy Bible और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रात:काल, जब अंधेरा ही था, येशु उठे और घर से बाहर निकले। वह किसी एकान्त स्थान जा कर प्रार्थना करने लगे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा। नवीन हिंदी बाइबल बड़े भोर को अंधेरे में ही वह उठकर बाहर निकल गया और किसी एकांत स्थान पर जाकर वहाँ प्रार्थना करने लगा। सरल हिन्दी बाइबल भोर होने पर, जब अंधकार ही था, मसीह येशु उठे और एक सुनसान जगह को गए. वहां वह प्रार्थना करने लगे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा। |
मैंने उन्हें प्रेम किया, वे मुझसे बैर करते हैं। इसलिए, परमेश्वर अब मैं तुझ से प्रार्थना कर रहा हूँ।
हे यहोवा, हर सुबह तुझको, मैं अपनी भेंटे अर्पित करता हूँ। तू ही मेरा सहायक है। मेरी दृष्टि तुझ पर लगी है और तू ही मेरी प्रार्थनाएँ हर सुबह सुनता है।
जब यीशु ने इसकी चर्चा सुनी तो वह वहाँ से नाव में किसी एकान्त स्थान पर अकेला चला गया। किन्तु जब भीड़ को इसका पता चला तो वे अपने नगरों से पैदल ही उसके पीछे हो लिये।
भीड़ को विदा करके वह अकेले में प्रार्थना करने को पहाड़ पर चला गया। साँझ होने पर वह वहाँ अकेला था।
उन्हीं दिनों ऐसा हुआ कि यीशु प्रार्थना करने के लिये एक पहाड़ पर गया और सारी रात परमेश्वर की प्रार्थना करते हुए बिता दी।
यीशु ने उनसे कहा, “मेरा भोजन उसकी इच्छा को पूरा करना है जिसने मुझे भेजा है। और उस काम को पूरा करना है जो मुझे सौंपा गया है।
यीशु यह जानकर कि वे लोग आने वाले हैं और उसे ले जाकर राजा बनाना चाहते हैं, अकेला ही पर्वत पर चला गया।
हर प्रकार की प्रार्थना और निवेदन सहित आत्मा की सहायता से हर अवसर पर विनती करते रहो। इस लक्ष्य से सभी प्रकार का यत्न करते हुए सावधान रहो। तथा सभी संतों के लिये प्रार्थना करो।
यीशु ने इस धरती पर के जीवनकाल में जो उसे मृत्यु से बचा सकता था, ऊँचे स्वर में पुकारते हुए और रोते हुए उससे प्रार्थनाएँ तथा विनतियाँ की थीं और आदरपूर्ण समर्पण के कारण उसकी सुनी गयी।