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भजन संहिता 36:2 - पवित्र बाइबल

वह मनुष्य स्वयं से झूठ बोलता है। वह मनुष्य स्वयं अपने खोट को नहीं देखता। इसलिए वह क्षमा नहीं माँगता।

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Hindi Holy Bible

वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

वह स्‍वयं अपनी प्रशंसा करता है, कि उसका तिरस्‍कार करने के लिए उसका अधर्म प्रकट नहीं किया जा सकता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

क्योंकि वह अपनी इतनी प्रशंसा करता है कि उसे अपने अधर्म को देखने और उससे घृणा करने का बोध नहीं होता।

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सरल हिन्दी बाइबल

अपनी ही नज़रों में वह खुद की चापलूसी करता है. ऐसे में उसे न तो अपना पाप दिखाई देता है, न ही उसे पाप से घृणा होती है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है।

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भजन संहिता 36:2
15 क्रॉस रेफरेंस  

दुष्ट जन उन वस्तुओं पर गर्व करते हैं, जिनकी उन्हें अभिलाषा है और लालची जन परमेश्वर को कोसते हैं। इस प्रकार दुष्ट दर्शाते हैं कि वे यहोवा से घृणा करते हैं।


लोगों को चाहिए कि वे जब तक जीवित रहें परमेश्वर की स्तुति करें। जब परमेश्वर उनके संग भलाई करे, तो लोगों को उसकी स्तुति करनी चाहिए।


“व्यक्ति का दिमाग बड़ा कपटी होता है। दिमाग बहुत बीमार भी हो सकता है और कोई भी व्यक्ति दिमाग को ठीक ठीक नहीं समझता।


“यहूदा, तुम मुझसे कैसे कह सकते हो, ‘मै अपराधी नहीं हूँ, मैंने बाल की मूर्तियों की पूजा नहीं की है!’ उन कामों के बारे में सोचों जिन्हें तुमने घाटी में किये। उस बारे में सोचों, तुमने क्या कर डाला है। तुम उस तेज ऊँटनी के समान हो जो एक स्थान से दूसरे स्थान को दौड़ती है।


जब राजा यहोयाकीम और उसके सेवकों ने पत्रक से सन्देश सुने तो वे डरे नहीं। उन्होंने अपने वस्त्र यह प्रकट करने के लिए नहीं फाड़े कि उन्हें अपने बुरे किये कामों के लिये दु:ख है।


किन्तु उसने अपने को न्याय संगत ठहराने की इच्छा करते हुए यीशु से कहा, “और मेरा पड़ोसी कौन है?”


क्योंकि वे उस धार्मिकता को नहीं जानते थे जो परमेश्वर से मिलती है और वे अपनी ही धार्मिकता की स्थापना का जतन करते रहे सो उन्होंने परमेश्वर की धार्मिकता को नहीं स्वीकारा।


तो फिर हम क्या कहें? क्या हम यहूदी ग़ैर यहूदियों से किसी भी तरह अच्छे है, नहीं बिल्कुल नहीं। क्योंकि हम यह दर्शा चुके है कि चाहे यहूदी हों, चाहे ग़ैर यहूदी सभी पाप के वश में हैं।


एक समय मैं बिना व्यवस्था के ही जीवित था, किन्तु जब व्यवस्था का आदेश आया तो पाप जीवन में उभर आया।


“कोई व्यक्ति इन अभिशापों को सुन सकता है और अपने को संतोष देता हुआ कह सकता है, ‘मैं जो चाहता हूँ करता रहूँगा। मेरा कुछ भी बुरा नहीं होगा।’ वह व्यक्ति अपने ऊपर ही आपत्ति नहीं बुलाएगा अपितु वह सबके ऊपर अच्छे लोगों पर भी बुलाएगा।