चार पीढ़ियों के बाद तुम्हारे लोग इसी प्रदेश में फिर आएंगे। उस समय तुम्हारे लोग एमोरियों को हरांएगे। यहाँ रहने वाले एमोरियों को, दण्ड देने के लिए मैं तुम्हारे लोगों का प्रयोग करूँगा। यह बात भविष्य में होगी क्योंकि एमोरी दण्ड पाने येग्य बुरे अभी नहीं हुए हैं।”
यहोवा, मुझको भी उन भली बातों में हिस्सा बँटाने दे जिन को तू अपने लोगों के लिये करता है। तू अपने भक्तों के साथ मुझको भी प्रसन्न होने दे। तुझ पर तेरे भक्तों के साथ मुझको भी गर्व करने दे।
इस्राएल के लोग विजय के उत्साह में अपने शस्त्रों को ऊपर उठाए जा रहे थे किन्तु यहोवा ने मिस्र के राजा फिरौन को साहसी बनाया। और फ़िरौन ने इस्राएल के लोगों का पीछा करना शुरु कर दिया।
परमेश्वर अपने लोगों को मुक्त करेगा और वे लोग फिर लौट कर वहाँ आयेंगे। लोग जब सिय्योन पर आयेंगे तो वे प्रसन्न होंगे। वे सदा सदा के लिए प्रसन्न हो जायेंगे। उनकी प्रसन्नता उनके माथों पर एक मुकुट के समान होगी। वे अपनी प्रसन्नता और आनन्द से पूरी तरह भर जायेंगे। शोक और दु:ख उनसे दूर बहुत दूर चले जायेंगे।
“जब तुम्हें आनन्द से भरकर शांति और एकता के साथ में उस धरती से छुड़ाकर ले जाया जा रहा होगा जिसमें तुम बन्दी थे, तो तुम्हारे सामने खुशी में पहाड़ फट पड़ेंगे और थिरकने लगेंगे। पहाड़ियाँ नृत्य में फूट पड़ेंगी। तुम्हारे सामने जंगल के सभी पेड़ ऐसे हिलने लगेंगे जैसे तालियाँ पीट रहे हो।
इन इस्राएल के लोगों के परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को चुना था और जब हमारे लोग मिसरमें ठहरे हुए थे, उसने उन्हें महान् बनाया था और अपनी महान शक्ति से ही वह उनको उस धरती से बाहर निकाल लाया था।
“‘तब मैंने मूसा और हारून को मिस्र भेजा। मैं उनसे यह चाहता था कि मेरे लोगों को मिस्र से बाहर लाएँ। मैंने मिस्र के लोगों पर भयंकर विपत्तियाँ पड़ने दीं। तब मैं तुम्हारे लोगों को मिस्र से बाहर लाया।
मैंने मिस्र के शक्तिशाली लोगों से तुम्हारी रक्षा की। तब कनान के लोगों ने तुमको कष्ट दिया। इसलिए मैंने फिर तुम्हारी रक्षा की। मैंने उन लोगों से उनका देश छुड़वाया और मैंने उनका देश तुम्हें दिया।’