निज उत्तम चेतना, तूने दी उनको ताकि तू विवेकी बनाये उन्हें। खाने को देता रहा, तू उनको मन्ना और प्यास को उनकी तू देता रहा पानी!
फिलिप्पियों 4:12 - पवित्र बाइबल मैं अभावों के बीच रहने का रहस्य भी जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि सम्पन्नता में कैसे रहा जाता है। कैसा भी समय हो और कैसी भी परिस्थिति चाहे पेट भरा हो और चाहे भूखा, चाहे पास में बहुत कुछ हो और चाहे कुछ भी नहीं, मैंने उन सब में सुखी रहने का भेद सीख लिया है। Hindi Holy Bible मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं दरिद्रता तथा सम्पन्नता, दोनों से परिचित हूँ। चाहे परितृप्ति हो या भूख, समृद्धि हो या अभाव-मुझे जीवन के उतार-चढ़ाव का पूरा अनुभव है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मैं दीन होना भी जानता हूँ और बढ़ना भी जानता हूँ; हर एक बात और सब दशाओं में मैं ने तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना–घटना सीखा है। नवीन हिंदी बाइबल मैं दीन-हीन दशा में रहना जानता हूँ, और बहुतायत में रहना भी। मैंने हर बात और सब परिस्थितियों में रहना सीख लिया है, चाहे तृप्त होना हो या भूखा रहना, बहुतायत हो या घटी। सरल हिन्दी बाइबल मैंने कंगाली और भरपूरी दोनों में रहना सीख लिया है. हर एक परिस्थिति और हर एक विषय में मैंने तृप्त होने और भूखा रहने का भेद और घटना व बढ़ना दोनों सीख लिया है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मैं दीन होना भी जानता हूँ और बढ़ना भी जानता हूँ; हर एक बात और सब दशाओं में मैंने तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। |
निज उत्तम चेतना, तूने दी उनको ताकि तू विवेकी बनाये उन्हें। खाने को देता रहा, तू उनको मन्ना और प्यास को उनकी तू देता रहा पानी!
यहोवा ने अपनी महान शक्ति के साथ मुझ से कहा। यहोवा ने मुझे चेतावनी दी कि मैं इन अन्य लोगों के समान न बनूँ। यहोवा ने कहा,
हे यहोवा, मैं तुझसे भटक गया था। किन्तु मैंने जो बुरा किया उससे शिक्षा ली। अत: मैंने अपने हृदय और जीवन को बदल डाला। जो मैंने युवाकाल में मूर्खतापूर्ण काम किये उनके लिये मैं परेशान और लज्जित हूँ।’”
मेरा जुआ लो और उसे अपने ऊपर सँभालो। फिर मुझसे सीखो क्योंकि मैं सरल हूँ और मेरा मन कोमल है। तुम्हें भी अपने लिये सुख-चैन मिलेगा।
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “देखो, इसीलिये हर धर्मशास्त्री जो परमेश्वर के राज्य को जानता है, एक ऐसे गृहस्वामी के समान है, जो अपने कठोर से नई-पुरानी वस्तुओं को बाहर निकालता है।”
मैं, पौलुस, निजी तौर पर मसीह की कोमलता और सहनशीलता को साक्षी करके तुमसे निवेदन करता हूँ। लोगों का कहना है कि मैं जो तुम्हारे बीच रहते हुए विनम्र हूँ किन्तु वही मैं जब तुम्हारे बीच नहीं हूँ, तो तुम्हारे लिये निर्भय हूँ।
मेरे विरोधियों का कहना है, “पौलुस के पत्र तो भारी भरकम और प्रभावपूर्ण होते हैं। किन्तु मेरा व्यक्तित्व दुर्बल और वाणी अर्थहीन है।”
मैंने कड़ा परिश्रम करके थकावट से चूर हो कर जीवन जिया है। अनेक अवसरों पर मैं सो तक नहीं पाया हूँ। भूखा और प्यासा रहा हूँ। प्रायः मुझे खाने तक को नहीं मिल पाया है। बिना कपड़ों के ठण्ड में ठिठुरता रहा हूँ।
और फिर मैंने मुफ्त में सुसमाचार का उपदेश देकर तुम्हें ऊँचा उठाने के लिये अपने आप को झुकाते हुए, क्या कोई पाप किया है?
और जब मैं तुम्हारे साथ था तब भी आवश्यकता पड़ने पर मैंने किसी पर बोझ नहीं डाला क्योंकि मकिदुनिया से आये भाईयों ने मेरी आवश्यकताएँ पूरी कर दी थीं। मैंने हर बात में अपने आप को तुम पर न बोझ बनने दिया है और न बनने दूँगा।
“यहोवा ने याकूब (इस्राएल) को पाया मरू में, सप्त, झंझा—स्वरित उजड़ मरुभूमि में योहवा ने याकूब को लिया अंक में, रक्षा की उसकी, यहोवा ने रक्षा की, मानों वह आँखों की पुतली हो।