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फिलिप्पियों 4:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 मैं दरिद्रता तथा सम्‍पन्नता, दोनों से परिचित हूँ। चाहे परितृप्‍ति हो या भूख, समृद्धि हो या अभाव-मुझे जीवन के उतार-चढ़ाव का पूरा अनुभव है।

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पवित्र बाइबल

12 मैं अभावों के बीच रहने का रहस्य भी जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि सम्पन्नता में कैसे रहा जाता है। कैसा भी समय हो और कैसी भी परिस्थिति चाहे पेट भरा हो और चाहे भूखा, चाहे पास में बहुत कुछ हो और चाहे कुछ भी नहीं, मैंने उन सब में सुखी रहने का भेद सीख लिया है।

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Hindi Holy Bible

12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 मैं दीन होना भी जानता हूँ और बढ़ना भी जानता हूँ; हर एक बात और सब दशाओं में मैं ने तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना–घटना सीखा है।

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नवीन हिंदी बाइबल

12 मैं दीन-हीन दशा में रहना जानता हूँ, और बहुतायत में रहना भी। मैंने हर बात और सब परिस्थितियों में रहना सीख लिया है, चाहे तृप्‍त होना हो या भूखा रहना, बहुतायत हो या घटी।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 मैंने कंगाली और भरपूरी दोनों में रहना सीख लिया है. हर एक परिस्थिति और हर एक विषय में मैंने तृप्‍त होने और भूखा रहने का भेद और घटना व बढ़ना दोनों सीख लिया है.

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फिलिप्पियों 4:12
15 क्रॉस रेफरेंस  

तूने उन्‍हें सिखाने के लिए अपना सद् आत्‍मा उन्‍हें दिया। तूने उनके मुंह से अपना ‘मन्ना’ नहीं छीना, और उनकी प्‍यास बुझाने के लिए तू उन्‍हें पानी देता रहा।


प्रभु ने अपना सामर्थ्यपूर्ण हाथ मुझ पर रखा और मुझे चेतावनी दी कि मैं इन लोगों के मार्ग पर न चलूं। उसने मुझ से यों कहा :


तुझ से विमुख हो जाने के बाद मैं पछताया; जब मैं दुष्‍कर्म के अधीन हो गया तब मैंने छाती पीट कर विलाप किया। मैं अपनी जवानी के पापों का स्‍मरण कर लज्‍जित हो जाता हूं, शर्म से मेरा सिर झुक जाता है।”


मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो; क्‍योंकि मैं स्‍वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्‍मा में शान्‍ति पाओगे,


येशु ने उन से कहा, “इस कारण प्रत्‍येक शास्‍त्री, जो स्‍वर्ग के राज्‍य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्‍थ के सदृश है, जो अपने भंडार से नयी और पुरानी वस्‍तुएँ निकालता है।”


मैं-पौलुस-मसीह की नम्रता और दयालुता के नाम पर आप लोगों से यह निवेदन कर रहा हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि मैं आप लोगों के सामने दीन-हीन हूँ, किन्‍तु दूर रहने पर निर्भीक।


कुछ लोगों का कहना है-उसके पत्र कठोर और प्रभावशाली हैं, किन्‍तु जब वह स्‍वयं आता है, तो उसका शरीर दुर्बल लगता है और उसकी बोलने की शक्‍ति नहीं के बराबर है।


मैंने कठोर परिश्रम किया और बहुत-सी रातें जागते हुए बितायीं। मुझे अकसर भोजन नहीं मिला। भूख-प्‍यास, ठण्‍ड और कपड़ों का अभाव−यह सब मैं सहता रहा


आप लोगों को ऊपर उठाने के लिए मैंने अपने को दीन-हीन बनाया और बिना कुछ लिए आप लोगों के बीच परमेश्‍वर के शुभ समाचार का प्रचार किया। क्‍या इस में मेरा कोई दोष था?


आप लोगों के यहाँ रहते समय मैं आर्थिक संकट पड़ने पर भी किसी के लिए भी भार नहीं बनता था। मकिदुनिया से आने वाले भाइयों ने मेरी आवश्‍यकताओं को पूरा किया। मैं आप पर बोझ नहीं बना और कभी नहीं बनूँगा।


प्रभु ने उसको निर्जन प्रदेश में, सुनसान विस्‍तृत मैदान में, गरजते-चीखते पशुओं से भरे मरुस्‍थल में पाया था; रक्षा के हेतु उसको घेर कर रखा; उसकी देख-भाल की, आंख की पुतली के सदृश उसको संभालकर रखा।


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