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प्रेरितों के काम 27:1 - पवित्र बाइबल

जब यह निश्चय हो गया कि हमें जहाज़ से इटली जाना है तो पौलुस तथा कुछ दूसरे बंदियों को सम्राट की सेना के यूलियस नाम के एक सेनानायक को सौंप दिया गया।

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Hindi Holy Bible

जब यह ठहराया गया, कि हम जहाज पर इतालिया को जाएं, तो उन्होंने पौलुस और कितने और बन्धुओं को भी यूलियुस नाम औगुस्तुस की पलटन के एक सूबेदार के हाथ सौंप दिया।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जब यह निश्‍चित हो गया कि हम जलमार्ग से इटली जायेंगे, तो पौलुस और कुछ अन्‍य बन्‍दियों को यूलियुस नामक शतपति के हाथ सौंप दिया गया। यूलियुस सम्राट औगुस्‍तुस के सैन्‍यदल का था।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जब यह निश्‍चित हो गया कि हम जहाज द्वारा इटली जाएँ, तो उन्होंने पौलुस और कुछ अन्य बन्दियों को भी यूलियुस नामक औगुस्तुस की पलटन के एक सूबेदार के हाथ सौंप दिया।

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नवीन हिंदी बाइबल

जब यह निश्‍चित हो गया कि हमें जहाज़ से इटली जाना है, तो उन्होंने पौलुस और कुछ अन्य बंदियों को औगुस्तुस के सैन्य दल के यूलियुस नामक शतपति के हाथ सौंप दिया।

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सरल हिन्दी बाइबल

जब यह तय हो गया कि हमें जलमार्ग से इतालिया जाना है तो उन्होंने पौलॉस तथा कुछ अन्य बंदियों को राजकीय सैन्य दल के यूलियुस नामक शताधिपति को सौंप दिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जब यह निश्चित हो गया कि हम जहाज द्वारा इतालिया जाएँ, तो उन्होंने पौलुस और कुछ अन्य बन्दियों को भी यूलियुस नामक औगुस्तुस की सैन्य-दल के एक सूबेदार के हाथ सौंप दिया।

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प्रेरितों के काम 27:1
29 क्रॉस रेफरेंस  

तुम लोगों ने मेरे साथ जो कुछ बुरा करने की योजना बनाई थी। किन्तु परमेश्वर सचमुच अच्छी योजना बना रहा था। परमेश्वर की योजना बहुत से लोगों का जीवन बचाने के लिए मेरा उपयोग करने की थी और आज भी उसकी यही योजना है।


किन्तु यहोवा के उपदेश सदा ही खरे होते है। उसकी योजनाएँ पीढी पर पीढी खरी होती हैं।


हे परमेश्वर, जब तू दुष्टों को दण्ड देता है। लोग तेरा गुण गाते हैं। तू अपना क्रोध प्रकट करता है और शेष बचे लोग बलशाली हो जाते हैं।


मनुष्य अपने मन में क्या—क्या! करने की सोचता है किन्तु यहोवा का उद्देश्य पूरा होता है।


यह उत्तम है कि कोई व्यक्ति यहोवा के जुए को धारण करे, उस समय से ही जब वह युवक हो।


इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।


रोमी सेना नायक और यीशु पर पहरा दे रहे लोग भूचाल और वैसी ही दूसरी घटनाओं को देख कर डर गये थे। वे बोले, “यीशु वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था।”


जब रोमी सेनानायक ने, जो कुछ घटा था, उसे देखा तो परमेश्वर की प्रशंसा करते हुए उसने कहा, “यह निश्चय ही एक अच्छा मनुष्य था!”


वहाँ एक सेनानायक था जिसका दास इतना बीमार था कि मरने को पड़ा था। वह सेवक उसका बहुत प्रिय था।


कैसरिया में कुरनेलियुस नाम का एक व्यक्ति था। वह सेना के उस दल का नायक था जिसे इतालवी कहा जाता था।


वे बोले, “हमें सेनानायक कुरनेलियुस ने भेजा है। वह परमेश्वर से डरने वाला नेक पुरुष है। यहूदी लोगों में उसका बहुत सम्मान है। उससे पवित्र स्वर्गदूत ने तुझे अपने घर बुलाने का निमन्त्रण देने को और जो कुछ तू कहे उसे सुनने को कहा है।”


इस दिव्यदर्शन को देखने के बाद तुरन्त ही यह परिणाम निकालते हुए कि परमेश्वर ने उन लोगों के बीच सुसमाचार का प्रचार करने हमें बुलाया है, हमने मकिदुनिया जाने की ठान ली।


वहाँ वह पुन्तुस के रहने वाले अक्विला नाम के एक यहूदी से मिला। जो हाल में ही अपनी पत्नी प्रिस्किल्ला के साथ इटली से आया था। उन्होंने इटली इसलिए छोड़ी थी कि क्लौदियुस ने सभी यहूदियों को रोम से निकल जाने का आदेश दिया था। सो पौलुस उनसे मिलने गया।


इन घटनाओं के बाद पौलुस ने अपने मन में मकिदुनिया और अखाया होते हुए यरूशलेम जाने का निश्चय किया। उसने कहा, “वहाँ जाने के बाद मुझे रोम भी देखना चाहिए।”


उसने तुरंत कुछ सिपाहियों और सेना के अधिकारियों को अपने साथ लिया और पौलुस पर हमला करने वाले यहूदियों की ओर बढ़ा। यहूदियों ने जब उस सेनानायक और सिपाहियों को देखा तो उन्होंने पौलुस को पीटना बंद कर दिया।


यह सुनकर सेनानायक सेनापति के पास गया और बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो? क्योंकि यह तो रोमी नागरिक है।”


अगली रात प्रभु ने पौलुस के निकट खड़े होकर उससे कहा, “हिम्मत रख, क्योंकि तूने जैसे दृढ़ता के साथ यरूशलेम में मेरी साक्षी दी है, वैसे ही रोम में भी तुझे मेरी साक्षी देनी है।”


इस पर पौलुस ने किसी एक सेनानायक को बुलाकर उससे कहा, “इस युवक को सेनापति के पास ले जाओ क्योंकि इसे उससे कुछ कहना है।”


फिर उसने सूबेदार को आज्ञा दी कि थोड़ी छूट देकर पौलुस को पहरे के भीतर रखा जाये और उसके मित्रों को उसकी आवश्यकताएँ पूरी करने से न रोका जाये।


अपनी परिषद् से सलाह करने के बाद फेस्तुस ने उसे उत्तर दिया, “तूने कैसर से पुनर्विचार की प्रार्थना की है, इसलिये तुझे कैसर के सामने ही ले जाया जायेगा।”


किन्तु मैंने जाँच लिया है कि इसने ऐसा कुछ नहीं किया है कि इसे मृत्युदण्ड दिया जाये। क्योंकि इसने स्वयं सम्राट से पुनर्विचार की प्रार्थना की है इसलिये मैंने इसे वहाँ भेजने का निर्णय लिया है।


किन्तु पौलुस ने जो कहा था, उस पर कान देने के बजाय उस सेनानायक ने जहाज़ के मालिक और कप्तान की बातों का अधिक विश्वास किया।


किन्तु सेनानायक पौलुस को बचाना चाहता था, इसलिये उसने उन्हें उनकी योजना को अमल में लाने से रोक दिया। उसने आज्ञा दी कि जो भी तैर सकते हैं, वे पहले ही कूद कर किनारे जा लगें


वहाँ सेनानायक को सिकन्दरिया का इटली जाने वाला एक जहाज़ मिला। उसने हमें उस पर चढ़ा दिया।


इस सब कुछ से सुरक्षापुर्वक बच निकलने के बाद हमें पता चला कि उस द्वीप का नाम माल्टा था।


जब हम रोम पहुँचे तो एक सिपाही की देखरेख में पौलुस को अपने आप अलग से रहने की अनुमति दे दी गयी।


अपने सभी अग्रणियों और संत जनों को नमस्कार कहना। इटली से आये लोग तुम्हें नमस्कार भेजते हैं।