जिस समय एलीशा अग्रजों (प्रमुखों) से बातें कर ही रहा था, सन्देशवाहक उसके पास आया। सन्देश यह थाः “यह विपत्ति यहोवा की ओर से आई है! मैं यहोवा की प्रतीक्षा आगे और क्यों करुँ”
प्रकाशितवाक्य 16:9 - पवित्र बाइबल और लोग भयानक गर्मी से झुलसने लगे। उन्होंने परमेश्वर के नाम को कोसा क्योंकि इन विनाशों पर उसी का नियन्त्रण है। किन्तु उन्होंने कोई मन न फिराया और न ही उसे महिमा प्रदान की। Hindi Holy Bible और मनुष्य बड़ी तपन से झुलस गए, और परमेश्वर के नाम की जिसे इन विपत्तियों पर अधिकार है, निन्दा की और उस की महिमा करने के लिये मन न फिराया॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मनुष्य प्रचण्ड ताप से जल गये। उन्होंने उन विपत्तियों पर अधिकार रखने वाले परमेश्वर के नाम की निन्दा की, लेकिन उन्होंने पश्चात्ताप नहीं किया और परमेश्वर की स्तुति करना नहीं चाहा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मनुष्य बड़ी तपन से झुलस गए, और परमेश्वर के नाम की जिसे इन विपत्तियों पर अधिकार है, निन्दा की पर उसकी महिमा करने के लिये मन न फिराया। नवीन हिंदी बाइबल तब मनुष्य भयंकर गर्मी से झुलस गए, और उन्होंने इन विपत्तियों पर अधिकार रखनेवाले परमेश्वर के नाम की निंदा की, परंतु पश्चात्ताप नहीं किया कि उसे महिमा दें। सरल हिन्दी बाइबल इसलिये मनुष्य उस बहुत गर्म ताप से झुलस गए और वे परमेश्वर के नाम की, जिन्हें इन सब विपत्तियों पर अधिकार है, शाप देने लगे. उन्होंने पश्चाताप कर परमेश्वर की महिमा करने से इनकार किया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मनुष्य बड़ी तपन से झुलस गए, और परमेश्वर के नाम की जिसे इन विपत्तियों पर अधिकार है, निन्दा की और उन्होंने न मन फिराया और न महिमा की। |
जिस समय एलीशा अग्रजों (प्रमुखों) से बातें कर ही रहा था, सन्देशवाहक उसके पास आया। सन्देश यह थाः “यह विपत्ति यहोवा की ओर से आई है! मैं यहोवा की प्रतीक्षा आगे और क्यों करुँ”
आहाज की परेशानियों के समय में उसने और अधिक बुरे पाप किये और यहोवा का औऱ अधिक अविश्वास योग्य बन गया।
परमेश्वर कहता है, “मैं तुम लोगों को दण्ड क्यों देता रहूँ मैंने तुम्हें दण्ड दिया किन्तु तुम नहीं बदले। तुम मेरे विरुद्ध विद्रोह करते ही रहे। अब हर सिर और हर हृदय रोगी है।
यदि तुम उन गलत आज्ञाओं पर चलोगे, तो तुम्हारे देश पर विपत्ति आयेगी और भूखमरी फैलेगी। लोग भूखे मरेंगे। फिर वे क्रोधित होंगे और अपने राजा और अपने देवताओं के विरुद्ध बातें कहेंगे। इसके बाद वे सहायता के लिये परमेश्वर की ओर निहारेंगे।
कई दिनों बाद यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, अब तुम परात जाओ। उस अधोवस्त्र को लो जिसे मैंने छिपाने को कहा था।”
हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तू लोगों में सच्चाई देखना चाहता है। तूने यहूदा के लोगों को चोट पहुँचाई, किन्तु उन्होंने किसी पीड़ा का अनुभव नहीं किया। तूने उन्हें नष्ट किया, किन्तु उन्होंने अपना सबक सीखने से इन्करा कर दिया। वे बहुत हठी हो गए। उन्होंने अपने पापों के लिये पछताने से इन्कार कर दिया।
तुमने मेरे विरुद्ध पाप किया और पाप से कलंकित हुई। मैंने तुम्हें नहलाना चाहा और तुम्हें स्वच्छ करना चाहा! किन्तु दाग छूटे नहीं। मैं तुमको फिर नहलाना नहीं चाहूँगा। जब तक मेरा तप्त क्रोध तुम्हारे प्रति समाप्त नहीं होता।
नहीं, मैं तुम्हें बताता हूँ, यदि तुम मन नहीं, फिराओगे तो तुम सब भी वैसी ही मौत मरोगे जैसी वे मरे थे।
मुझे डर है कि जब मैं फिर तुमसे मिलने आऊँ तो तुम्हारे सामने मेरा परमेश्वर कहीं मुझे लज्जित न करे; और मुझे उन बहुतों के लिए विलाप न करना पड़े जिन्होंने पहले पाप किये हैं और अपवित्रता, व्यभिचार तथा भोग-विलास में डूबे रहने के लिये पछतावा नहीं किया है।
तब यहोशू न आकान से कहा, “पुत्र, तुम्हें अपनी प्रार्थना करनी चाहिए। इस्राएल के योहवा परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और उससे तुम्हें अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए। मुझे बताओ कि तुमने क्या किया? मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश न करो!”
ठीक उसी क्षण वहाँ एक भारी भूचाल आया और नगर का दसवाँ भाग ढह गया। भूचाल में सात हज़ार लोग मारे गए तथा जो लोग बचे थे, वे भयभीत हो उठे और वे स्वर्ग के परमेश्वर की महिमा का बखान करने लगे।
ऊँचे स्वर में वह बोला, “परमेश्वर से डरो और उसकी स्तुति करो। क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ गया है। उसकी उपासना करो, जिसने आकाश, पृथ्वी, सागर और जल-स्रोतों की रचना की है।”
चालीस चालीस किलो के ओले, आकाश से लोगों पर पड़ रहे थे। ओलों के इस महाविनाश के कारण लोग परमेश्वर को कोस रहे थे क्योंकि यह एक भयानक विपत्ति थी।
मैंने उसे मन फिराने का अवसर दिया है किन्तु वह परमेश्वर के प्रति व्यभिचार के लिए मन फिराना नहीं चाहती।
इस पर भी बाकी के ऐसे लोगों ने जो इन महा विनाशों से भी नहीं मारे जा सके थे उन्होंने अपने हाथों से किए कामों के लिए अब भी मन न फिराया तथा भूत-प्रेतों की अथवा सोने, चाँदी, काँसे, पत्थर और लकड़ी की उन मूर्तियों की उपासना नहीं छोड़ी, जो न देख सकती हैं, न सुन सकती हैं और न ही चल सकती हैं।