तुम लोगों ने मेरे साथ जो कुछ बुरा करने की योजना बनाई थी। किन्तु परमेश्वर सचमुच अच्छी योजना बना रहा था। परमेश्वर की योजना बहुत से लोगों का जीवन बचाने के लिए मेरा उपयोग करने की थी और आज भी उसकी यही योजना है।
नीतिवचन 19:21 - पवित्र बाइबल मनुष्य अपने मन में क्या—क्या! करने की सोचता है किन्तु यहोवा का उद्देश्य पूरा होता है। Hindi Holy Bible मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएं होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मनुष्य अपने मन में अनेक योजनाएं बनाता है; परन्तु प्रभु का अभिप्राय स्थिर रहता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएँ होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है। नवीन हिंदी बाइबल मनुष्य के मन में बहुत सी योजनाएँ होती हैं, परंतु जो यहोवा का उद्देश्य होता है वही पूरा होता है। सरल हिन्दी बाइबल मनुष्य के मन में अनेक-अनेक योजनाएं उत्पन्न होती रहती हैं, किंतु अंततः याहवेह का उद्देश्य ही पूरा होता है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएँ होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है। |
तुम लोगों ने मेरे साथ जो कुछ बुरा करने की योजना बनाई थी। किन्तु परमेश्वर सचमुच अच्छी योजना बना रहा था। परमेश्वर की योजना बहुत से लोगों का जीवन बचाने के लिए मेरा उपयोग करने की थी और आज भी उसकी यही योजना है।
अबशालोम और इस्राएलियों ने कहा, “एरेकी हूशै की सलाह अहीतोपेल की सलाह से अच्छी है।” उन्होंने ऐसा कहा क्योंकि यह यहोवा की योजना थी। यहोवा नें अहीतोपेल की सलाह की व्यर्थ करने को योजना बनाई थी। इस प्रकार यहोवा अबशालोम को डण्ड दे सकता था।
किन्तु एस्तेर राजा के पास गयी और उसने उससे बातचीत की। इसीलिये राजा ने नये आदेश जारी कर दिये। यहूदियों के विरुद्ध हामान ने जो षड़यन्त्र रचा था, उसे रोकने के लिये राजा ने अपने आदेश पत्र जारी किये। राजा ने उन ही बुरी बातों को हामान और उसके परिवार का साथ घटा दिया। उन आदेशों में कहा गया था कि हामान और उसके पुत्रों को फाँसी पर लटका दिया जाये।
“किन्तु परमेश्वर कभी नहीं बदलता। कोई भी व्यक्ति उसके विरुद्ध खड़ा नहीं रह सकता है। परमेश्वर जो भी चाहता है, करता है।
ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि यहोवा, तेरे विरुद्ध उन लोगों ने षड़यन्त्र रचा था? उन्होंने बुरा करने को योजनाएँ रची थी, किन्तु वे उसमें सफल नहीं हुए।
वे शत्रु कह रहे हैं, “आओ, हम उन लोगों को पूरी तरह मिटा डाले, फिर कोई भी व्यक्ति ‘इस्राएल’ का नाम याद नहीं करेगा।”
लोग चाहते हैं व्यक्ति विश्वास योग्य और सच्चा हो, इसलिए गरीबी में विश्वासयोग्य बनकर रहना अच्छा है। ऐसा व्यक्ति बनने से जिस पर कोई विश्वास न करे।
राजाओं का मन यहोवा के हाथ होता, जहाँ भी वह चाहता उसको मोड़ देता है वैसे ही जैसे कोई कृषक पानी खेत का।
यदि यहोवा न चाहें तो, न ही कोई बुद्धि और न ही कोई अर्न्तदृष्टि, न ही कोई योजना पूरी हो सकती है।
“एक बात और जो मुझे पता चली है। परमेश्वर ने तो लोगों को नेक ही बनाया था किन्तु लोगों ने बुराई के अनेकों रास्ते ढूँढ लिये।”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने एक वचन दिया था। यहोवा ने कहा था, “मैं वचन देता हूँ, कि यें बातें ठीक वैसे ही घटेंगी, जैसे मैंने इन्हें सोचा है। ये बातें ठीक वैसे ही घटेंगी जैसी कि मेरी योजना है।
“प्रारम्भ में मैंने तुम्हें उन बातों के बारे में बता दिया था जो अंत में घटेगी। बहुत पहले से ही मैंने तुम्हें वे बातें बता दी हैं, जो अभी घटी नहीं हैं। जब मैं किसी बात की कोई योजना बनाता हूँ तो वह घटती है। मैं वही करता हूँ जो करना चाहता हूँ।
लोगों मैं तुम्हें इसका प्रमाण दूँगा’ यह यहोवा के यहाँ से सन्देश है कि मैं तुम्हें मिस्र में दण्ड दूँगा। तब तुम निश्चय ही समझ जाओगे कि तुम्हें चोट पहुँचाने की मेरी प्रतिज्ञा, सच ही घटित होगी।
तुम कहते रहते हो कि तुम अन्य राष्ट्रों की तरह होओगे। तुन उन राष्ट्रों के लोगों की तरह रहते हो। तुम लकड़ी और पत्थर के खण्डों (देवमूर्तियों) की पूजा करते हो!’”
इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।
सब बातें योजना और परमेश्वर के निर्णय के अनुसार की जाती हैं। और परमेश्वर ने अपने निजी प्रयोजन के कारण ही हमें उसी मसीह में संत बनने के लिये चुना है। यह उसके अनुसार ही हुआ जिसे परमेश्वर ने अनादिकाल से सुनिश्चित कर रखा था।
तथा वह बन गया: “एक ऐसा पत्थर जिससे लोगों को ठेस लगे और ऐसी एक चट्टान जिससे लोगों को ठोकर लगे।” लोग ठोकर खाते हैं क्योंकि वे परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते और बस यही उनके लिए ठहराया गया है।
क्योंकि हमारे समूह में कुछ लोग चोरी से आ घुसे हैं। इन लोगों के दण्ड के विषय में शास्त्रों ने बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। ये लोग परमेश्वर विहीन हैं। इन लोगों ने परमेश्वर के अनुग्रह को भोग-विलास का एक बहाना बना डाला है तथा ये हमारे प्रभु तथा एकमात्र स्वामी यीशु मसीह को नहीं मानते।