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अय्यूब 32:21 - पवित्र बाइबल

इस बहस में मैं किसी भी व्यक्ति का पक्ष नहीं लूँगा और मैं किसी का खुशामद नहीं करुँगा।

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Hindi Holy Bible

न मैं किसी आदमी का पक्ष करूंगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूंगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

मैं किसी के प्रति पक्षपात नहीं करूंगा; और न ही किसी की चापलूसी करूंगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य की चापलूसी करूँगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

मैं अब किसी का पक्ष न लूंगा और न किसी की चापलूसी ही करूंगा;

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूँगा।

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अय्यूब 32:21
18 क्रॉस रेफरेंस  

मैं जानती हूँ कि मेरे राजा मेरे प्रभु के शब्द मुझे शान्ति देंगे क्योंकि आप परमेश्वर के दूत के समान होंगे। आप समझेंगे कि क्या अच्छा और क्या बुरा है। यहोवा आपका परमेश्वर, आपके साथ होगा।”


योआब ने यह इसलिये किया जिससे आप तथ्यों को दूसरी दृष्टी से देखेंगे। मेरे प्रभु आप परमेश्वर के दूत के समन बुद्धिमान हैं। आप सब कुछ जानते हैं जो पृथ्वी पर होता है।”


यदि तुम न्यायालय में छिपे छिपे किसी का पक्ष लोगे तो परमेश्वर निश्चय ही तुमको लताड़ेगा।


क्या तुम मेरे विरुद्ध परमेश्वर का पक्ष लोगे? क्या तुम न्यायालय में परमेश्वर को बचाने जा रहे हो?


सो निश्चय ही मुझे बोलना चाहिये, तभी मुझे अच्छा लगेगा। अपना मुख मुझे खोलना चाहिये और मुझे अय्यूब की शिकायतों का उत्तर देना चाहिये।


मैं नहीं जानता हूँ कि कैसे किसी व्यक्ति की खुशामद की जाती है। यदि मैं किसी व्यक्ति की खुशामद करना जानता तो शीघ्र ही परमेश्वर मुझको दण्ड देता।


मन मेरा सच्चा है सो मैं सच्चा शब्द बोलूँगा। उन बातों के बारे में जिनको मैं जानता हूँ मैं सत्य कहूँगा।


परमेश्वर प्रमुखों से अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक प्रेम नहीं करता, और परमेश्वर धनिकों की अपेक्षा गरीबों से अधिक प्रेम नहीं करता है। क्योंकि सभी परमेश्वर ने रचा है।


परमेश्वर कहता है, “कब तक तुम लोग अन्यायपूर्ण न्याय करोगे? कब तक तुम लोग दुराचारी लोगों को यूँ ही बिना दण्ड दिए छोड़ते रहोगे?”


ये सुक्तियाँ भी बुद्धिमान जनों की है: न्याय में पक्षपात करना उचित नहीं है।


वह जो किसी जन को सुधारने को डांटता है, वह अधिक प्रेम पाता है, अपेक्षा उसके जो चापलूसी करता है।


“तुम्हें न्याय करने मै ईमानदार होना चाहिए। न तो तुम्हें ग़रीब के साथ विशेष पक्षपात करना चाहिए और न ही बड़े एवं धनी लोगों के प्रति कोई आदर दिखाना चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी के साथ न्याय करते समय ईमानदार होना चाहिए।


“तुम उस तरह नहीं रहे जैसा रहने को मैंने कहा! तुमने हमारी शिक्षाओं को स्वीकार नहीं किया हैं! अत: मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा, लोग तुम्हारा सम्मान नहीं करेंगे!”


उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास भेजा। उन लोगों ने यीशु से कहा, “गुरु, हम जानते हैं कि तू सच्चा है तू सचमुच परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देता है। और तब, कोई क्या सोचता है, तू इसकी चिंता नहीं करता क्योंकि तू किसी व्यक्ति की हैसियत पर नहीं जाता।


जब तुम फैसला करो तब यह न सोचो कि कोई व्यक्ति दूसरे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। तुम्हें हर एक व्यक्ति का फैसला एक समान समझकर करना चाहिए। किसी से डरो नहीं क्योंकि तुम्हारा फैसला परमेश्वर से आया है। किन्तु यदि कोई मुकदमा इतना जटिल हो कि तुम फैसला ही न कर सको तो उसे मेरे पास लाओ और इसका फैसला मैं करूँगा।’


तुम्हें ठीक न्याय को बदलना नहीं चाहिए। तुम्हें किसी के सम्बन्ध में अपने इरादे को बदलने के लिए धन नहीं लेना चाहिए। धन बुद्धिमान लोगों को अन्धा करता है और उसे बदलता है जो भला आदमी कहेगा।