किन्तु यहोवा ने मेरे पिता से कहा, ‘दाऊद, जब तुमने मेरे नाम पर मन्दिर बनाने की इच्छा की तब तुमने ठीक ही किया।
2 कुरिन्थियों 8:12 - पवित्र बाइबल क्योंकि यदि दान देने की लगन है तो व्यक्ति के पास जो कुछ है, उसी के अनुसार उसका दान ग्रहण करने योग्य बनता है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं है। Hindi Holy Bible क्योंकि यदि मन की तैयारी हो तो दान उसके अनुसार ग्रहण भी होता है जो उसके पास है न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि दान देने की उत्सुकता है, तो सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ भी दिया जाए, वह परमेश्वर को ग्राह्य है। किसी से यह आशा नहीं की जाती है कि वह अपने सामर्थ्य से अधिक दान दे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि यदि मन की तैयारी हो तो दान उसके अनुसार ग्रहण भी होता है जो उसके पास है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं। नवीन हिंदी बाइबल क्योंकि यदि कोई दान देने को उत्सुक हो, तो जो उसके पास है उसी के अनुसार वह दान ग्रहणयोग्य होता है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं है। सरल हिन्दी बाइबल यदि किसी में दान देने की इच्छा है तो जो कुछ उसके पास है, उसी के आधार पर उसका दान ग्रहण होगा—उसके आधार पर नहीं, जो उसके पास नहीं है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि यदि मन की तैयारी हो तो दान उसके अनुसार ग्रहण भी होता है जो उसके पास है न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं। |
किन्तु यहोवा ने मेरे पिता से कहा, ‘दाऊद, जब तुमने मेरे नाम पर मन्दिर बनाने की इच्छा की तब तुमने ठीक ही किया।
“इस्राएल के लोगों से मेरे लिए भेंट लाने को कहो। हर एक व्यक्ति अपने मन में निश्चय करे कि वह मुझे इन वस्तुओं में से क्या अर्पित करना चाहता है। इन उपहारों को मेरे लिए अर्पित करो।
हर एक व्यक्ति जो चाँदी, काँसा, चढ़ाना चाहता था यहोवा को भेंट के रूप में उसे लाया। हर एक व्यक्ति जिसके पास बबूल की लकड़ी थी, आया और उसे यहोवा को अर्पित किया।
इस्राएल के वे सभी लोग जिनके मन में प्रेरणा हुई यहोवा के लिए भेंट लाए। ये भेटें मुक्त भाव से दी गई थीं, लोगों ने इन्हें दिया क्योंकि वे देना चाहते थे। ये भेंट उन सभी चीज़ों के बनाने के लिए उपयोग में आई जिन्हें यहोवा ने मूसा और लोगों को बनाने का आदेश दिया था।
यहोवा के लिए विशेष भेंट इकट्ठी करो। तुम्हें अपने मन में निश्चय करना चाहिए कि तुम क्या भेंट करोगे। और तब तुम वह भेंट यहोवा के पास लाओ। सोना, चाँदी और काँसा;
लोग चाहते हैं व्यक्ति विश्वास योग्य और सच्चा हो, इसलिए गरीबी में विश्वासयोग्य बनकर रहना अच्छा है। ऐसा व्यक्ति बनने से जिस पर कोई विश्वास न करे।
“फिर जिसे चाँदी के सिक्कों की दो थैलियाँ मिली थीं, अपने स्वामी के पास आया और बोला, ‘स्वामी, तूने मुझे चाँदी की दो थैलियाँ सौंपी थीं, चाँदी के सिक्कों की ये दो थैलियाँ और हैं जो मैंने कमाई हैं।’
वे लोग जिन पर थोड़े से के लिये विश्वास किया जायेगा और इसी तरह जो थोड़े से के लिए बेईमान हो सकता है वह अधिक के लिए भी बेईमान होगा।
अब दान करने की उस तीव्र इच्छा को तुम जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी से पूरा करो। तुम इसे उतनी ही लगन से “पूरा करो” जितनी लगन से तुमने इसे “चाहा” था।
हम यह नहीं चाहते कि दूसरों को तो सुख मिले और तुम्हें कष्ट; बल्कि हम तो बराबरी चाहते हैं।
इसके अतिरिक्त इस दयापूर्ण कार्य में कलीसियाओं ने उसे हमारे साथ यात्रा करने को नियुक्त भी किया है। यह दया कार्य जिनका प्रबन्ध हमारे द्वारा किया जा रहा है, स्वयं प्रभु को सम्मानित करने के लिये और परोपकार में हमारी तत्परता को दिखाने के लिए है।
हर कोई बिना किसी कष्ट के या बिना किसी दबाव के, उतना ही दे जितना उसने मन में सोचा है। क्योंकि परमेश्वर प्रसन्न-दाता से ही प्रेम करता है।
जिस किसी को परमेश्वर की ओर से जो भी वरदान मिला है, उसे चाहिए कि परमेश्वर के विविध अनुग्रह के उत्तम प्रबन्धकों के समान, एक दूसरे की सेवा के लिए उसे काम में लाए।