यहोवा दण्ड देते हुए भी अपनी कृपा बनाये रखता है। वह अपने प्रेम और दया के कारण अपनी कृपा रखता है।
2 कुरिन्थियों 7:8 - पवित्र बाइबल यद्यपि अपने पत्र से मैंने तुम्हें दुख पहुँचाया है किन्तु फिर भी मुझे उस के लिखने का खेद नहीं है। चाहे पहले मुझे इसका दुख हुआ था किन्तु अब मैं देख रहा हूँ कि उस पत्र से तुम्हें बस पल भर को ही दुःख पहुँचा था। Hindi Holy Bible क्योंकि यद्यपि मैं ने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उस से पछताता नहीं जैसा कि पहिले पछताता था क्योंकि मैं देखता हूं, कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यद्यपि मैंने आप लोगों को उस पत्र द्वारा दु:ख दिया, फिर भी मुझे उस पर खेद नहीं है। मुझे यह देख कर खेद हुआ था कि उस पत्र ने आप को थोड़े समय के लिए दु:खी बना दिया था, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि यद्यपि मैं ने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उससे पछताता नहीं जैसा कि पहले पछताता था, क्योंकि मैं देखता हूँ कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। नवीन हिंदी बाइबल यद्यपि मैंने अपने पत्र से तुम्हें दुःख पहुँचाया, फिर भी मुझे उसका पछतावा नहीं। हाँ, पहले तो पछतावा हुआ था—क्योंकि मैं देखता हूँ कि उस पत्र ने तुम्हें दुःख पहुँचाया, भले ही वह थोड़े ही समय के लिए था— सरल हिन्दी बाइबल यद्यपि तुम मेरे पत्र से शोकित हुए हो, मुझे इसका खेद नहीं—पहले खेद ज़रूर हुआ था मगर अब मैं देखता हूं कि तुम उस पत्र से शोकित तो हुए किंतु थोड़े समय के लिए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि यद्यपि मैंने अपनी पत्री से तुम्हें शोकित किया, परन्तु उससे पछताता नहीं जैसा कि पहले पछताता था क्योंकि मैं देखता हूँ, कि उस पत्री से तुम्हें शोक तो हुआ परन्तु वह थोड़ी देर के लिये था। |
यहोवा दण्ड देते हुए भी अपनी कृपा बनाये रखता है। वह अपने प्रेम और दया के कारण अपनी कृपा रखता है।
यीशु ने फिर तीसरी बार पतरस से कहा, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, क्या तू मुझे प्रेम करता है?” पतरस बहुत व्यथित हुआ कि यीशु ने उससे तीसरी बार यह पूछा, “क्या तू मुझसे प्रेम करता है?” सो पतरस ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, तू सब कुछ जानता है, तू जानता है कि मैं तुझसे प्रेम करता हूँ।” यीशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चरा।
देखो। यह दुःख जिसे परमेश्वर ने दिया है, उसने तुममें कितना उत्साह जगा दिया है, अपने भोलेपन की कितनी प्रतिरक्षा, कितना आक्रोश, कितनी आकुलता, हमसे मिलने की कितनी बेचैनी, कितना साहस, पापी के प्रति न्याय चुकाने की कैसी भावना पैदा कर दी है। तुमने हर बात में यह दिखा दिया है कि इस बारे में तुम कितने निर्दोष थे।
सो यदि मैंने तुम्हें लिखा था तो उस व्यक्ति के कारण नहीं जो अपराधी था और न ही उसके कारण जिसके प्रति अपराध किया गया था। बल्कि इस लिए लिखा था कि परमेश्वर के सामने हमारे प्रति तुम्हारी चिंता का तुम्हें बोध हो जाये।
किन्तु दीन दुखियों को सुखी करने वाले परमेश्वर ने तितुस को यहाँ पहुँचा कर हमें सान्त्वना दी है।
और वह भी केवल उसके, यहाँ पहुँचने से नहीं बल्कि इससे हमें और अधिक सान्त्वना मिली कि तुमने उसे कितना सुख दिया था। उसने हमें बताया कि हमसे मिलने को तुम कितने व्याकुल हो। तुम्हें हमारी कितनी चिंता है। इससे हम और भी प्रसन्न हुए।
सो अब मैं प्रसन्न हूँ। इसलिये नहीं कि तुम को दुःख पहुँचा था बल्कि इसलिये कि उस दुःख के कारण ही तुमने पछतावा किया। तुम्हें वह दुःख परमेश्वर की ओर से ही हुआ था ताकि तुम्हें हमारे कारण कोई हानि न पहुँच पाये।
“उन सभी को जिन्हें मैं प्रेम करता हूँ, मैं डाँटता हूँ और अनुशासित करता हूँ। तो फिर कठिन जतन और मनफिराव कर।