सुलैमान ने उस काँसे को कभी नहीं तोला जिसका उपयोग इन चीज़ों को बनाने के लिये हुआ था। यह इतना अधिक था कि इसका तौलना सम्भव नहीं था इसलिये सारे काँसे के तौल का कुल योग कभी मलूम नहीं हुआ। राजा ने इन चीज़ों को सुक्कोत और सारतान के बीच यरदन नदी के समीप बनाने का आदेश दिया। उन्होंने इन चीज़ों को, काँसे को गलाकर और जमीन में बने साँचों में ढालकर, बनाया।